मूवी रिव्यू फैमिली एंटरटेनर है तू झुठी मै मक्कार क्रिटिक रेटिंग , 3 स्टार (डिलाइट गोल्ड, अभिषेक सिनेप्लेक्स सहित अन्य सिनेमाघरों में) चंद्र मोहन शर्मा हमारे फ़िल्म समीक्षक
मूवी रिव्यू फैमिली एंटरटेनर है तू झुठी मै मक्कार क्रिटिक रेटिंग , 3 स्टार (डिलाइट गोल्ड, अभिषेक सिनेप्लेक्स सहित अन्य सिनेमाघरों में) चंद्र मोहन शर्मा हमारे फ़िल्म समीक्षक
कुछ अरसा पहले डॉयरेक्टर लव रंजन की फिल्म ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट साबित हुई। इस फिल्म को देखने के बाद मुझे लगा डायरेक्टर ने अपनी इस फिल्म का आइडिया भी उसी फिल्म से लिया, ‘तू झूठी मैं मक्कार’ देखते वक्त लगेगा कि उसी स्टोरी को आगे बढ़ाया गया है। फिल्म के एक बड़े हिस्से तक हम दर्शक इस सोच में उलझे रहते हैं कि रणबीर को रोहन कहें, मिकी कहें या जीतेन्द्र। फिर पता चलता है कि उसके कई नाम हैं। कुछ ऐसा ही श्रद्धा कपूर के लिए भी है। वह निशा भी हैं और टिन्नी भी। उनकी एक बेस्ट फ्रेंड किन्नी (मोनिका चौधरी) है।
फिल्म में अनुभव सिंह बस्सी अपने लीड हीरो यानी रणबीर कपूर के दोस्त भी हैं, बिजनस में साथी भी और पार्टनर इन क्राइम भी। ये दोनों लड़के परिवार का बिजनस संभालते हैं और साथ ही रिलेशनशिप गुरु भी हैं, जो ब्रेकअप सर्विस चलाते हैं। कह सकते हैं कि ये उनका साइड बिजनस है। वे ऐसे लोगों को पैकेज की कीमत दो लाख रुपये) देते हैं, जिन्हें रिश्तों को खत्म करने में मदद की जरूरत होती है। अब यह सब मजेदार खेल आराम से चल रहा है। लेकिन किस्मत ने पलटी मारी है और अब मिकी की यह विशेषज्ञता उसे ही काटने के लिए दौड़ रही है।
मैने ऐसी कोई फिल्म नहीं देखी है, जो फर्स्ट हाफ और सेकेंड हाफ में पूरी तरह अलग-अलग हो। इंटरवल से पहले यह फिल्म इम्तियाज अली की ‘तमाशा’ जैसी लगती है। जबकि इंटरवल के बाद यह फिल्म सूरज बड़जात्या और करण जौहर का कॉकटेल बन जाती है, जिसे लव रंजन ने प्रियदर्शन के अंदाज में पिरोया है। फिल्म के पहले भाग में खूबसूरत समंदर का किनारा है, बिकिनी में हीरोइन है, झूमने पर मजबूर कर देने वाले गाने हैं। यह सब आंखों को सुकून देता है, इस फिल्म के किरदार क्या चाहते हैं यह पता नहीं चलता। ऐसे में दर्शक समझने की कोशिश करते हैं, जो दिखाया और समझाया नहीं गया है।
इंटरवल के बाद फिल्म बड़ी तेजी से आगे बढ़ती है और एक फैमिली एंटरटेनर बन जाती है। लव रंजन की पिछली फिल्मों की तरह इसमें महिलाएं दुश्मन नहीं हैं। मिकी की प्रोग्रेसिव सोच वाल मां के किरदार में डिंपल कपाड़िया हैं। उसकी बहन के रोल में हसलीन कौर है। वह कंजूस, जरूरतमंद और एक बातूनी प्रेमी है। लव रंजन की फिल्मों में हमने हमेशा लड़कों वाली सोच देखी है। लेकिन इस बार वह नए जमाने में डेटिंग और इस मॉर्डन लव के खतरों पर ध्यान दिलाने की कोशिश करते हैं।
तुझे प्यार करना है या टाइम पास?’, मिकी अपनी टिन्नी से यह सवाल सीधे पूछता है, ताकि समय की बर्बादी न हो। दोनों एक दूसरे से बहुत जल्दी प्यार करने लगते हैं। दोनों बातूनी हैं और हर जरूरी बातों और महत्वपूर्ण चीजों को छोड़कर बाकी सारी बातें करते हैं। बोलना ज्यादा, सुनना कम। यहां दोनों के बीच लड़का-लड़की वाली लड़ाई नहीं है। मुद्दा यह है कि दोनों मुद्दे पर बात नहीं कर रहे हैं। क्या मिकी और टिन्नी एक-दूसरे के लिए कुछ जरूरी, बड़े और मुश्किल फैसले ले सकते हैं
फिल्म देखते हुए लगता है सब ठीक हो जाएगा,
रणबीर कपूर ने जब भी पर्दे पर टूटे-फूटे इंसान का किरदार निभाया है, वह बेहद खूबसूरत लगे हैं। उनकी चुप्पी बहुत कुछ बोलती है। लेकिन यहां वह एक नए इलाके में एंट्री करते हैं, इस फिल्म में रणबीर ने शायद अब तक की किसी भी फिल्म से अधिक बात की है। उनकी पर्सनैलिटी का यह अंदाज देखना दिलचस्प है। वह श्रद्धा के साथ बहुत अच्छे लग रहे हैं, लेकिन दोनों की केमिस्ट्री पर काम करने की जरूरत है। श्रद्धा इस बार पर्दे पर बेहिचक और उत्साही नजर आती हैं। डिंपल कपाड़िया और हसलीन कौर सबसे अलग दिखती हैं। बोनी कपूर के पास करने को बहुत कम है।
फिल्म जितनी लंबी है, उस हिसाब से किरदारों को थोड़ा और उभारा जा सकता था।
क्यों देखें- ये कॉमेडी फिल्म है, रोमांस है और फिल्म का ‘दिल’ अपनी जगह पर है। कुछ ऐसा देखना चाहते हैं जो नया हो तो यह फिल्म देख सकते है वैसे जरूरी भी नही देखी जाए ।