डबल इंजन  यु पी :  सरकारी योजनाओं में  गरीबो को डबल धोखा : Surender Kumar

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दुनिया  में अगर किसी  देश की सरकार  के विज्ञापन का खर्चा देखा जाए तो मोदी सरकार  और भाजपा शासित सरकारों के विज्ञापनों का बजट  सबसे ज्यादा है , इसके बाद  में  आदमी पार्टी सरकार के विज्ञापन का खर्चा सामने आता है

लेकिन असलियत ये है कि विज्ञापनों के अनुसार जो तस्वीर , सुशासन   तरक्की , विज्ञापनों में दिखाई जाती है वैसा इन राज्यों में हकीकत में कुछ भी नहीं है  यानी सिर्फ जनता के खून पसीनो के पैसो की बर्बादी  और जनता के के लिए सिर्फ परेशानी ही परेशानी

प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी हर बात में  एक स्लोगन दे देते है एक नारा बना देते है लेकिन वो नारा जमीनी स्तर पर कभी नहीं उतर पाता  मोदी जी ने कहा  डिजिटल इंडिया , जिसके माध्यम से  मिनिमम गवर्मेंट , मैक्सिमम गवर्नेंस  यानी सरकारी दफ्तरों से लाल फीताशाही खत्म हो कम काम फाइलों में हो और जनता को कम परेशानी हो लेकिन ऐसा बिलकुल नही हुआ बल्कि डिजिटल वाव्य्स्था करने से ऑनलाइन फॉर्म भरने या आवेदन देने के बाद भी ये परेशानियां कम नहीं हुई बल्कि ये डिजिटल वाव्य्स्था ही खुद अपने आप में परेशानी बन गई है  जिसका कारण है सरकारी अफसरो को ये मालूम ही नही कि ये  डिजिटल प्रक्रिया  कैसे काम  करेगी , इसमें आने वाली परेशानी  को कैसे दूर किया जाएगा  और सबसे बड़ी बात इसमें क्या क्या परेशानी आयंगी .

गाजिआबाद  की एक महिला जिसके पति की ईलाज के दौरान दिल्ली   के अस्पताल में मृत्यु हुई  कुछ समय बाद जब ये महिला  समाज कल्याण की वेबसाइट में पारिवारिक लाभ के लिए आवेदन करने लगी तो  इस वेबसाइट  में जब पति का मृत्यु प्रमाणपत्र वेलिडेट करने की बारी आई तो काफी मशकत के बाद भी  यु पी के समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट में पति का मृत्यु प्रमाणपत्र  वेलिडेट नहीं हो पाया   यानी  वह आवेदन नहीं कर सकी , जब ये महिला गाजिआबाद के जिला समाज कल्याण विभाग  अधिकारी अमरजीत से  से मिली  तो इस अधिकारी ने  न तो इसकी बात सुनी और उल्टा इस महिला कह दिया की इसमें हम कुछ नही कर सकते क्योकि ये सरकार का काम है कि वेबसाइट को सुधारे  , जब महिला ने पूछा वेबसाइट कब तक ठीक हो जाएगी और क्या बाद में समय निकला जाने के बाद  क्या ये महिला दुबारा से आवेदन कर पाएगी ?  तो जिला अधिकारी ने कहा  नहीं बिलकुल नहीं .

तो यानी जिसको अभी जरूरत है जिसके पास सभी प्रमाण  और डॉक्यूमेंट  है लेकिन सरकार की वेबसाइट  में यह आप्शन नहीं है कि दिल्ली का  मृत्यु प्रमाणपत्र मान्य हो तो ये किसकी गलती है  क्या सरकार को ऐसे लोगो के लिए ऑफलाइन  आवेदन का आप्शन नहीं देना  चाहिए .

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ऑफलाइन आवेदन पर समाज कल्याण विभाग   ,योजना  विंग के  डिप्टी डायरेक्टर लखनऊ  ने बताया  कि सरकार ने  आधार बेस पेमेंट सिस्टम है जिसके जरिये डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर होता है उसी को अपनाया है इसलिए ऑफलाइन आवेदन नहीं हो सकता  अगर हुआ भी तो वैसे फॉर्म की डिटेल को डेटा बेस में  कैसे लाये यानी मेहनत कौन करे ?

डायरेक्ट बैंक ट्रान्सफर अपने आप में एक धोखा है जिसके जरिये मोदी सरकार ने सब्सिडी  जो की गैस  वैगरह आदि है इनको खत्म किया यानी कभी दी कभी नहीं दी  जबकि जनता की जेब से पैसे पहले ही निकलवा चुके है

योजना  विंग के  डिप्टी डायरेक्टर  लखनऊ   श्री कृष्ण  ने बताया  उत्तर प्रदेश में अब तक  नो राज्य बाकी है जिनको नेशनल इनफार्मेशन सेंटर  ने यु पी के सिस्टम के साथ  इंटीग्रेटेड नहीं किया है जिसमे दिल्ली प्रमुख रूप से है सबसे कमाल की बात दिल्ली और यु पी डबल इंजन की सरकार कहने वाले भाजपा नेता योगी एंड मोदी है लेकिन दिल्ली के प्रमाणपत्र ही यु पी में मान्य नहीं है  और अगर ऐसे हम नो राज्यों को देखे तो ऐसे हजारो केस  है जिनको सरकार की बदइन्तजामी की वजह से  सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह गए है और आगे भी रह जाएंगे

इसके अलावा समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट बहुत ही घटिया तरीके से डिजाईन की गई है कि इसमें अगर सरकार  या सरकारी अधिकारी चाहते तो इसमें एक अकाउंट जो की उस व्यक्ति या परिवार के लिए हो जाता उसको बनाने की वाव्य्स्था कर सकते थे  और अंतिम समय तो उसमे एडिट करने का ऑप्शन भी दे सकते थे लेकिन इसमें नहीं दिया गया  है

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इसके अलावा जिस तरह का ऑप्शन दिल्ली में है उसी तरह एक वाव्स्य्था की जा सकती थी कि अगर एक हफ्ते में  आवेदक ने सभी डॉक्यूमेंट की हार्ड कॉपी जमा नहीं करवाई तो आवेदन अपने आप  रिजेक्ट हो जाए जिसके बाद आवेदक दुबारा भर सके क्योकि कई बार ऐसा हो जाता है कि पूरा फॉर्म  ऑनलाइन जमा करने के बाद भी कुछ कमियाँ रह जाती  है जिनको एक बार सबमिट करने के बाद एडिट नहीं होता है वैसे में आवेदक के पास यह विकल्प रहना ही चाहिए इसके अलावा अगर आवेदक अपने ऑनलाइन फॉर्म को डिलीट करना चाहे तो पूरा डिलीट हो जाए और जब वह दुबारा से ऑनलाइन फॉर्म भरने लगे तो सिस्टम पुरानी त्रुटियों या   पूर्व में भरी गई जानकारी  के हवाले काम न करे बल्कि आधार कार्ड , पैन कार्ड आदि की दुबारा जरूरत न पड़े

एक तरफ मोदी सरकार , डबल इंजन सरकार ये दावे कर रही है कि भारत को डिजिटल बनाना है दूसरी और  जो सिस्टम डिजिटल हो गया है  उसको दुरुस्त नहीं कर रही है बल्कि जैसा बन गया वैसा ही चला रही है जिससे लोगो को लाभ कम और परेशानी  काफी हो रही है

 ऐसे में बार बार सरकारी अमलो के पास ऐसे केस आते है जिसमे  मानिवय गलती या सॉफ्टवेर की गलती से आवेदन गलत हो जाता है लेकिन अधिकारी सिर्फ  हाथ पर हाथ रख कर आम जनता को लोगो को डरा धमका कर , बदतमीजी करके के उन्हें चुप कर देते है  जबकि सरकार को और अधिकारी को चाहिए आने वाली हर समस्या का निवारण  तुरंत करे

कोई ये मानेगा कि यु पी में दिल्ली का मृत्यु प्रमाणपत्र  नहीं चलता जबकि पूरी दुनिया में मृत्यु प्रमाणपत्र एक ही होता है लेकिन यु पी सरकार दिल्ली के प्रमाणपत्र को नहीं मान रही  और इनकी अपनी गलतियो की वजह से आम आदमी को काफी परेशानी हो रही है

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