मोदी काल 2014-2024 विकास या सम्पूर्ण विनाश काल , सभी योजनाओं का हाल बेहाल ?

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नई दिल्ली  मोदीकाल के ये दस साल देश के लिए अफरा तफरी ,मानसिक उत्पीडन ,आर्थिक विधव्न्श्ता महंगाई , बेरोजगारी , मोब लिंचिंग , दंगे ,जातिय उत्पीडन , महिला सुरक्षा के नाम पर धब्बा रहे  है तो  देश ने असल में इन दस सालो में क्या खोया क्या पाया ?

आज भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव शुरू हो गए है   और इस वक्त देश भाजपा की दस साल की बेडियो में बंधा रहा जो आज टूटने के लिए बेकाबू है , यानी इस बार मोदी काल की विदाई होगी और देश में एक नई सरकार बनेगी

ये बात अलग है कि भाजपा और मोदी इस  बार चार सौ पार का नारा देकर सभी विपक्षी दलों में मनोवैज्ञानिक डर बनाने की कोशिश में लगे है लेकिन विपक्ष इतना मजबूती से खड़ा है और जैसे पुरे देश में मोदी के खिलाफ आक्रोशित है उससे लगता है चार जून को देश में  नई सरकार बनेगी

लेकिन पिछले दस सालो में मोदी सरकार ने क्या किया  क्या मोदी के कामो से देश में विकास हुआ या लोगो को फायदा हुआ ? या देश विकास की जगह पतन के गर्त में जा रहा है ?

तो आइये पहले इन  वादों और कामो का विश्लेष्ण कर लेते है 

नोट्बंदी मोदी का सनकी फैसला

नोट्बंदी मोदी सरकार ने आते के साथ ही एक बहुत ही घातक कदम उठाया  जिसको अधिकतर लोग एक सिरफिरा फैंसला कहते है जो किसी भी बैठक ,मंत्रालय , में ऑफिस में नहीं लिया गया बल्कि ये प्रधानमंत्री मोदी का सनकी फैसला था  इस फैंसले के बाद मोदी ने रो रो कर जनता से पचास दिन मांगे और कहा उसकी जूते से पिटाई करे लेकिन मोदी जी जूते खाने के लिए जनता के सामने नहीं आये यानी फैसला गलत साबित हुआ

नोट बंदी के फायदे जो गिनाये गए  जिसमे हर व्यक्ति के अकाउंट में पन्द्रह लाख आने का वादा किया गया जिसको खुद अमित शाह ने बाद में  चुनावी जुमला बताया

कैशलेस  इकॉनमी

चाइना की कम्पनी  अलीबाबा से मिलकर पेटम बनाया गया और इसके बाद ऐसे ही कुछ और प्लेटफोर्म बनाये लेकिन इन पेमेंट गेटवे में लाखो लोगो के पैसे फंसे हुए है क्योकि ये लोग गैरकानूनी तरीके से काम अकरने लग गए थे इसलिए रिजर्व बैंक ने भी पेटम पर रोक लगा दी थी  कैश लेस इकॉनमी के बारे में कहा गया कि

भष्टाचार पर लगाम लगेगी  ,कैशलेस इकोनॉमी  ,नकली करेंसी पर लगाम, रियल स्टेट पारदर्शी बनेगा , समान्तर इकॉनमी बंद होगी , कर्ज सस्ता होगा , सेविंग  बढ़ेगी , बैंको की कमाई भी बढ़ेगी , , आतंकवाद की कमर टूटेगी आदि आदि लेकिन हुआ बल्कि इसके विपरीत  

जी एस टी देश को बर्बाद करने का एक और घातक कदम

ये बात बहुत ही अजीब है कि मोदी जी सत्ता में आने से पहले जी एस टी और आधार कार्ड के प्रचंड विरोधी थे लेकिन सत्ता में आते ही बिना सोचे समझे  विचार करे देश में जी एस टी  को लागू कर दिया जिसकी वजह से नोट बंदी की मार से जूझ रहे छोटे मंझोले कारोबारिओ पर और बोझ आ गया और देश की ये अर्थ्वाव्य्स्था  एकदम चरमराने लगी  देश में खुद मोदी जी एक भाषण में कहते है कि मोदी जी ने तीन लाख कम्पनियो को ताले लगवा दिए  अगर  एक कम्पनी में औसतन पांच व्यक्ति काम करते है तो तो पन्द्रह लाख लोगो को बेरोजगार किया और इन कम्पनियो  के माध्यम से हजारो करोड़ की लेन देन की अर्थ्वाव्य्स्था भी डूबी

GST के नुकसान

सबसे पहले देश में छोटे मंझोले  जो काम काज करने वाले थे उनको सरकार ने जीना मुश्किल कर दिया काम काज का जी एस टी रजिस्ट्रेशन होने की वजह से लाखो कर्रोबारियो का धंधा चौपट हो गया इसके बाद जी एस प्रणाली और उसके स्लेब ने आजतक देश को परेशान करके रखा है ऐसा लगता है देश बर्बाद करने के मोदी ने ठान रखा है  इसकी वजह से कारोबारी जो काम कर भी रहे है वो भी  आज भी परेशानिओं का सामना कर रहे है इससे इनके खर्च बढे है

  1. एसएमई पर उच्च टैक्स देयता

जीएसटी के मुख्य नुकसान में से एक यह है कि इससे एमएसएमई के टैक्स भार में वृद्धि हुई है. इससे पहले, आईएनआर 1.5 करोड़ से अधिक वार्षिक टर्नओवर वाली फर्म एक्साइज़ ड्यूटी के अधीन थीं. हालांकि, नए टैक्स व्यवस्था के तहत, ऐसी कोई भी कंपनी जिसकी वार्षिक बिक्री ₹20 लाख से अधिक है, को टैक्स लायबिलिटी का भुगतान करना होगा. जिसकी वजह से ज्यादा टैक्स देना मतलब काम न करने जैसा रहा

बड़ी कंपनियों के लिए ऑनलाइन सिस्टम में स्विच करना आसान है, लेकिन यह छोटी इकाइयों के लिए एक परेशानी हो सकती है जिसमें निवेश करने के लिए सीमित संसाधन होते हैं. छोटे उद्यमों के लिए जीएसटी-अनुपालन सॉफ्टवेयर के बारे में जानना और इसे उनके मुख्य कार्यशील सेटअप में लागू करना मुश्किल हो सकता है.
कुल मिला आकर जी एस टी ने आम आदमी की यानी आम कारोबारी की कमर तोड़ कर रख दी

कोविड19 लॉक डाउन एक और घातक कदम

 कोरोना लॉक डाउन  इसके बाद दिए जलाना ताली थाली बजाना  कार्यक्रम ऐसे लगता है जैसे नरेंदर मोदी भारत के लोगो का मानसिक स्तर और भक्ति का स्तर जांच रहे थे

ये बात सही है लॉक डाउन पूरी दुनिया में हुआ और यह घातक बिमारी पूरी दुनिया में फैली ( जिसका बाद में पता चला की यह बिमारी है ही नहीं बल्कि दुनिया की फर्मा कम्पनियो की एक चाल थी ) लेकिन भारत में मोदी जी ने जिस तरह लॉक डाउन घोषित किया और पुलिस प्रशासन ने इसको लागू करवाया इससे पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मानवता भारत में शर्मशार हुई , किसी ने अपने किरायेदारो को किराए की वजह से निकाला , किसी ने अपने यहाँ काम करने वाले को फैक्ट्री वाले ने मजदूरों को निकाला और फिर बिना किसी बस ,रेल   के एक सफर शुरू हुआ गरीबो को पैदल सडको  पर भूखे प्यासे अपने अपने ग़ाव चल दिए

इसमें कुछ समाज सेवी सन्घठन  ने माना कि भारत में चालीस लाख से ज्यादा लोग मरे है क्रोरोना से लेकिन भारत सरकार ने कहा मात्र तीस हजार के करीब लोग ही मेरे है जिसको बाद में खुद संसद में स्वास्थ मंत्री ने कहा हमारे पास कोई हिसाब नहीं है कि कोरोना से कितने लोग मरे

कहानी यहाँ खत्म न हीं होती  तबाही सिर्फ यहाँ नहीं रूकती इस लॉक डाउन से तीस लाख से ज्यादा छोटे मंझोले उद्योग बर्बाद हुए  इनमे काम करने वाले  तीस करोड़ से ज्यादा लोग या तो बेरोजगार हुए  या उनकी सेलरी आधी कर दी गए लाखो सेवा से जुड़े कारोबार बंद हुए , होटल , पर्यटन  सभी क्षेत्र बर्बाद हुए  देश में हजारो लोगो ने कर्ज की वजह से आत्महत्या की लेकिन सरकार ने अपनी गलतिओं को कभी नहीं माना

लॉक डाउन  का दूसरा पक्ष  था कि सरकार अपने कारोबारिओ की की मदद नहीं की बल्कि लॉक डाउन में बीस लाख करोड़ के राहत पैकेज  की नौटंकी की लेकिन जो इस राहत के सबसे ज्यादा हकदार थे उनको कुछ नहीं मिला जिसका नतीजा यह हुआ देश में गरीबी महंगाई बेरोजगारी बेतःसा बढ़ी आज देश में बेरोजगारों की संख्या साठ करोड़ के करीब है और उसी लॉक डाउन का असर है कि खुद मोदी सरकार देश के अस्सी करोड़ लोगो को गरीब मानकर मुफ्त अनाज बाँट रही है हलांकि इसके पीछे भी मोदी की चुनावी रणनीति  है बाकी कुछ और नहीं इसके अलावा देश के अनाज भंडार को खत्म करना है जिसके बाद अपने आका के जरिये सरकार अनाज खरीदे

पी एम् केयर फण्ड कोरोना पीडितो की सहायता के लिए माँगा लेकिन मोदी का निजी फण्ड बना

कोरोनाकाल में आम लोगो की साहयता के लिए मोदी जी ने लोगो से प्राथना कि कोरोना से पीड़ित लोगो की सहायता के लिए दान दे लेकिन जब लोगो ने इस फण्ड के बारे में जानना चाहा कि आखिर यह फण्ड कहा गया इसका क्या उपयोग किया गया तो सरकार ने कह दिया कि यह कोई पब्लिक फण्ड नहीं है इसलिए आम लोगो को इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती लेकिन ये फण्ड फिर कहा गया  और भ्रष्टाचार में माहिर मोदी सरकार ने कोर्ट में ये तक कहा

फंड से सरकार का कोई वास्ता नहीं PMO द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में जानकारी दी गई है कि PM केयर्स फंड एक चैरिटेबल ट्रस्ट है, पारदर्शिता के लिहाज से इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाता है..

दिल्ली। PM केयर्स फंड के विवाद को लेकर PMO के तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अवर सचिव प्रदीप श्रीवास्तव ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा पेश करते हुए कहा कि पीएमओ केयर्स फंड में केंद्र या राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। यह फंड भारत सरकार से नहीं बल्कि एक चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, पीएमओ के तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया है कि इस कोष में आने वाली राशि भारत सरकार की संचित निधि में नहीं जाता है।

🌞S.Kumar👉🌱🌲🌳👈 on X: "@dhruv_rathee PM cares fund is a SCAM ... 👉Just like Bharat Ke Veer website, which collected over Rs.300 crore, on d name of helping families of Martyrs of Pulwama

सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में लाने को लेकर याचिका आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में पीएम केयर्स फंड को संविधान के तहत राज्य घोषित करने और RTI के अंदर लाने को लेकर याचिका दायर की गई है। यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में वकील सम्यक गंगवाल ने दायर की है। याचिकाकर्ता ने इसमें पीएम केयर्स फंड को संविधान के तहत राज्य घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है, ताकि इसकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। सम्यक गंगवाल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के बीच PM- CARES फंड की शुरुआत की गई थी। इस फंड के जरिए कोरोना के कारण जूझ रहे देश के नागरिकों को सहायता प्रदान करने का उद्देश्य था। लेकिन मार्च में शरु किए गए ट्रस्ट को लेकर दिसंबर 2020 में जानकारी दी गई कि यह संविधान या संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के अधीन नहीं है। फिर पीएम केयर्स फंड के वेबसाइट के डोमेन में ‘gov’ का उपयोग क्यों किया गया।

हलांकि अब भी इस ट्रस्ट से कितना पैसा खर्च हुआ कहा हुआ  इस पर भी जानकारी सार्वजनिक नहीं है

स्किल इंडिया –  नया नाम विश्वकर्मा योजना

भारत में मौजूदा समय में 50 फीसद से ज्यादा जनसंख्या युवाओं की है। जिसमें 65 प्रतिशत युवाओं की उम्र 35 वर्ष से कम है।

भारत देश के अनुसार औसत आयु में जापान 48, चीन 37 से आगे है यहां 1.40 अरब लोगों की औसत आयु 29 वर्ष है। इसी को देखते हुए भारत सरकार स्किल इंडिया के तहत तमाम योजनाएं चला रही है जो बेरोजगार युवाओं को स्किल प्रदान कर उन्हें रोजगारपरक बना रही हैं। स्किल इंडिया मिशन के तहत चल रहीं योजनाओं में प्रति वर्ष 24 लाख से अधिक युवाओं को स्किल्ड किया जा रहा है। 10वीं, 12वीं पास या 10वीं-12वीं स्कूल बीच में छोड़ने वाले युवाओं को उद्योग से संबंधित कौशल प्रशिक्षण मिलता है।

कोर्स पूरा होते ही युवाओं को सर्टिफिकेट दिया जाता है। इस योजना में युवाओं को कंट्रक्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स, हार्डवेयर, फर्नीचर, हैंडीक्रॉफ्ट, लेदर तकनीक, पशुपालन, एयरलाइन, आईटी, फर्नीचर फिटिंग, फूड प्रोसेसिंग जैसे 3 दर्जन से अधिक क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।  इसमें

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के अंतर्गत 4 योजनाएं संचालित की जा रहीं हैं।

1-राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन

2-कौशल विकास और उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति

3-प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

4-कौशल ऋण योजना

लेकिन ये योजना कितनी सफल है इसका हिसाब भाजपा  नहीं दे रही है इस पर कितना पैसा खर्च हुआ , कितना इसका लाभ हुआ और वर्तमान में क्या हलात है इसका कुछ नहीं मालूम  लेकिन यह एक फ्लॉप योजना साबित हुई है

    मेक इन इंडिया    एक और असफल कार्यक्रम:

            वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है। यह पहल दुनिया भर के संभावित निवेशकों और भागीदारों को न्यू इंडियाकी विकास गाथा में भाग लेने हेतु एक खुला निमंत्रण हैै।

            मेक इन इंडिया ने 27 क्षेत्रों में पर्याप्त उपलब्धियांँ हासिल की हैं। इनमें विनिर्माण और सेवाओं के रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल हैं।        

            नए औद्योगीकरण के लिये विदेशी निवेश को आकर्षित करना और चीन से आगे निकलने के लिये भारत में पहले से मौजूद उद्योग आधार का विकास करना।

Goa Congress on X: "The Economic Mismanagement under Modi regime has brought the country to its knees. A further contraction of 9.6% has been projected for the Indian economy. People of India

 मध्यावधि में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को 12-14% वार्षिक करने का लक्ष्य।

  देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को वर्ष 2022 तक 16% से बढ़ाकर 25% करना।

 वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना।

   निर्यात आधारित विकास को बढ़ावा देना।

            FDI अंतर्वाह: 2014-2015 में भारत में FDI अंतर्वाह 45.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और तब से लगातार आठ वर्षों में रिकॉर्ड FDI प्रवाह तक पहुंँच गया है।

            वर्ष 2021-22 में 83.6 अरब अमेरिकी डॉलर का अब तक का सबसे अधिक FDI दर्ज किया गया।

            हाल के वर्षों में आर्थिक सुधारों और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की वजह से भारत चालू वित्त वर्ष (2022-23) में FDI में 100 बिलियन अमेरिकी डाॅलर को आकर्षित करने की राह पर है। लेकिन ये कोई पक्का नहीं है इसलिए ये आंकड़े केवल आंकड़े है इनका कोई भरोसा नहीं है

            मोदी जी ने जिस उत्साह से इस योजना को लांच किया अब इसके बारे में बात करना भी पसंद नहीं करते

             केवल खिलोने को छोड़ कर  जिसमे   वित्तीय वर्ष 2021-22 में खिलौनों का आयात 70% घटकर (877.8 करोड़ रुपए) हो गया है। भारत के खिलौनों के निर्यात में अप्रैल-अगस्त 2022 में 2013 की इसी अवधि की तुलना में 636% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। लेकिन बाकी का क्या हुआ इसके बारे सरकार बात करना भी पसंद नहीं करती

  नागरिकता कानून के द्वारा सविंधान की हत्या 

नागरिकता कानून  विशेष रूप सविंधान में मौजुद है कि इसमें खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है। उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है। 

नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। लेकिन मुस्लिम  नहीं आ सकते  ये कानून सविंधान के विरुद्ध है

Anti-CAA protests: A reiteration of people power over political muscle | Politics News National - Business Standard

कानून की गहराई से जांच करने पर और इस कानून को एन आर सी और शत्रु सम्पति अधिकार कानून को जोड़ कर देखे तो ये कानून सदीओ से इस देश के असली मालिक यानी दलित पिछड़े लोगो के खिलाफ है और उनको उन्ही के ही देश में गुलाम बना देगा और विदेशी आर्य इस देश के मालिक बन बैठेंगे

    कृषि कानून ऐसा षड्यंत्र तो कोई दुश्मन के खिलाफ भी नहीं करता :

       मोदी जी थारी तोप कड़े है , हम दिल्ली आरे  है

जैसा की सभी योजनाओं और फैसलों में मोदी का ही हाथ होता है जाहिर है कृषि कानून भी मोदी जी की सहमती से ही लागू किये गए जिनको इन्होने अपने अम्बानी अडानी मित्रो की सहूलियत और फायदे के लिए बनाया  जिनके खलाफ दिल्ली में लगभग एक साल से ज्यादा समय तक किसानो ने धरना दिया और इसमें छ सौ पचास  से भी ज्यादा किसानो की मौत हुई ये कानून आखिर   मोदी सरकार को वापिस लेने पढ़े

मुख्य रूप से कृषि कानूनों में तीन एक्ट हैं, जिनमें पहला है कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (promotion and facilitation) Act, 2020) दूसरा है, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Act,2020) और तीसरा है, आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 (The Essential Commodities (Ammendment) Act 2020)

लेकिन मोदी सरकार ने जैसा एम् एस पी और अन्य राहते जो किसानो के लिए थी उनपर अभी तक कोई फैंसला नहीं किया है सो काफी इन्तजार करने के बाद तेरह फरवरी को फिर से एक बार किसान दिल्ली आ रहे है   

 भारत में गरीबी और आर्थिक विषमता बड़ी  

ओक्सफेम की रिपोर्ट अगर आप देखे तो आपको पता चलेगा महामारी के बाद 121% बढ़ी अरबपतियों की संपत्ति

ऑक्सफैम ने कहा कि नवंबर 2022 तक महामारी शुरू होने के बाद से भारत में अरबपतियों ने अपनी संपत्ति में 121% या 3,608 करोड़ रुपए प्रति दिन की ग्रोथ देखी है। दूसरी ओर 2021-22 में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में टोटल 14.83 लाख करोड़ रुपए का लगभग 64% आधी आबादी से आया। वहीं GST का सिर्फ 3% ही टॉप-10 से मिला।

2022 में अरबपतियों की कुल संख्या बढ़कर 166 हुई

ऑक्सफैम ने कहा कि भारत में अरबपतियों की टोटल संख्या 2020 के 102 से बढ़कर 2022 में 166 हो गई है। भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की संयुक्त संपत्ति 660 अरब डॉलर (54.12 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गई है। यह एक ऐसी राशि है जो 18 महीने से ज्यादा के पूरे केंद्रीय बजट को फंड दे सकती है।

अडाणी पर टैक्स से मिल सकते हैं 1.79 लाख करोड़ रुपए

ऑक्सफैम ने कहा, ‘सिर्फ एक बिलियनेयर गौतम अडाणी को 2017 से 2021 के बीच मिले अनरियलाइज्ड गेन पर एकमुश्त टैक्स से 1.79 लाख करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं। इन पैसों से 50 लाख प्राइमरी स्कूल टीचर्स को एक साल तक सैलरी दी जा सकती है।

दरसल जी डी पी के जिस भ्रम जाल में फंसा कर मोदी सरकार गुमराह कर रही है उसकी पोल ये आंकड़े खोल देते है 

प्रेस फ्रीडम 

वैश्विक मीडिया निगरानी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2023 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में से 161वें स्थान पर आ गया है। यह रिपोर्ट आरएसएफ द्वारा जारी की गई थी, और यह प्रेस स्वतंत्रता के लिए भारत की रैंकिंग में गिरावट का संकेत देती है।

वर्तमान में देश में 100,000 से अधिक समाचार पत्र (36,000 साप्ताहिक सहित) और 380 टीवी समाचार चैनल काम कर रहे हैं। 1 जनवरी, 2023 से देश में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई जबकि 10 पत्रकार सलाखों के पीछे हैं। इस साल की रिपोर्ट से पता चलता है कि पत्रकारों के साथ व्यवहार के लिए “संतोषजनक” माने जाने वाले देशों की संख्या थोड़ी बढ़ रही है, लेकिन ऐसी संख्या भी है जहां स्थिति “बहुत गंभीर” है

                 रिजर्व बैंक को कंगाल बना दिया 

अभी तक इस फंड में 2.3 लाख करोड़ रुपए थे। आरबीआई ने इसी फंड में से 52,637 करोड़ रुपए सरकार को देने का फैसला लिया है। ऐसी स्थिति में फंड ट्रांसफर के बाद आपात स्थितियों के लिए आरबीआई के पास 1.77 लाख करोड़ रुपए ही बचेंगे।

                 रुपया लगातार गिर रहा है

अभी तक इस फंड में 2.3 लाख करोड़ रुपए थे। आरबीआई ने इसी फंड में से 52,637 करोड़ रुपए सरकार को देने का फैसला लिया है। ऐसी स्थिति में फंड ट्रांसफर के बाद आपात स्थितियों के लिए आरबीआई के पास 1.77 लाख करोड़ रुपए ही बचेंगे। 

पिछली सरकारों के मुकाबले बेतहासा बढ़ रहा है विदेशी कर्ज

 

अगर  विपक्ष की माने तो यह कुल कर्ज 255 लाख करोड़ का है जो की 2014 केवल 55 लाख करोड़ का था यानी मोदी सरकार लगातार  विदेशी कर्ज के निचे दबती जा रही है जिसका मतलब हर भारतीय विदेशी कर्ज के निचे भी दबता जा रहा है

भारत का कुल कर्ज (Outstanding debt or bond) चालू वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2) में बढ़कर 2.47 लाख करोड़ डॉलर (205 लाख करोड़

रुपये) हो गया। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। बीते वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में कुल कर्ज 2.34 लाख करोड़ डॉलर (200 लाख करोड़ रुपये) था।

इंडियाबॉन्ड्स डॉट कॉम के को-फाउंडर विशाल गोयनका ने भारतीय रिजर्व बैंकबैं (RBI) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “केंद्र सरकार का कर्ज सितंबर तिमाही में

1.34 लाख करोड़ डॉलर यानि 161.1 लाख करोड़ रुपये रहा, जो मार्च तिमाही में 1.06 लाख करोड़ डॉलर यानी 150.4 लाख करोड़ रुपये था।”

साल 2021 में शुरू हुई इंडियाबॉन्ड्स डॉट कॉ म शेयर बाजार नियामक सेबी में रजिस्टर्ड ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म है। उसने यह रिपोर्ट आरबीआई, क्लियरिंग

कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) और भा रतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों को कलेक्ट कर तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार पर

161.1 लाख करोड़ रुपये यानि कुल कर्ज का सर्वाधिक 46.04 प्रतिशत है। इसके बाद राज्य सरकारों की कर्ज में हिस्सेदारी 24.4 प्रतिशत यानी 604 अरब डॉलर (50.18 लाख करोड़ रुपये) है।

अगर  विपक्ष की माने तो यह कुल कर्ज 255 लाख करोड़ का है जो की 2014 केवल 55 लाख करोड़ का था यानी मोदी सरकार लगातार  विदेशी कर्ज के निचे दबती जा रही है जिसका मतलब हर भारतीय विदेशी कर्ज के निचे भी दबता जा रहा है  

लगातार मोब लिंचिंग बढ़ी , आम लोगो में दहशत 

चार साल में 134 बार मॉब लिंचिंग मोहम्मद अख्लाक से लेकर रकबर खान तक.. पिछले 4 सालों में मॉब लिंचिंग के 134 मामले हो चुके हैं  

20 सितंबर 2015– उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के दादरी में 52 साल के अख़लाक़ को बीफ खाने के शक में भीड़ ने ईंट और डंडों से पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया।

27 अगस्त 2019– मेरठ में भीड़ ने बच्चा चोरी की अफवाह में एक आदमी की पिटाई करी, पुलिस ने मामला दर्ज कर आठ लोगों को गिरफ्तार भी किया था, इसके अलावा करीब 50 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था।

26 अगस्त 2019– गाजियाबाद में अपने पोते के साथ शॉपिंग करने आई एक महिला को बच्चा चोर बताकर उसे पीट दिया गया, महिला से कुछ भी पूछे बगैर उसे जमकर पीटा गया था।

7 जून 2019– जमना टाटी और अजय टाटी दो युवकों को असम में हिंसक भीड़ ने मार डाला।

1 अप्रैल 2017– हरियाणा के नूंह में रहने वाले पहलू खान अपने परिवार के साथ राजस्थान के अलवर से गाय खरीद कर लौट रहे थे, उन्हें गौ-तस्करी के शक में मौत के घाट उतार दिया गया। जबकि वो दूध के लिए गाय खरीद कर ला रहे थे।

22 जून 2017– डीसीपी मोहम्मद अयूब पंडित को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला और शव को नाले में फेंक दिया था।, आरोप सिर्फ इतना था कि अयूब पंडित मंदिर के बाहर फोटो खींच रहे थे।

3 दिसंबर 2018– अपनी ड्यूटी निभा रहे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को भी कथित गौकशी को लेकर भड़की भीड़ ने मार डाला। 

  दलित –मुस्लिम के खिलाफ बुलडोज़र संस्कृति

बिना रिपोर्ट , बिना अदालत  दंड देने की संस्कृति भारतीय जनता पार्टी ने शुरू की जिसमे विशेष रूप से मुस्लिम और दलितों को टारगेट करके फैसले किये गए उनकी बस्ती उजाड़ी गई उनको जेल में डाला गया या एनकाउंटर कर दिया गया , हरियाणा , उत्तर प्रदेश , उतराखंड, मध्य प्रदेश  सब जगह भाजपा ने कानून अदालत को नहीं माना   नूह से लेकर लखनऊ ,हल्द्वानी , मध्य प्रदेश आतंक फैलाया गया है

मोदी हीन भावना से ग्रसित है झूट बोल कर अपने आपको बताते है महान

अपनी पढ़ाई को लेकर , चाय बेचने को लेकर , पैंतीस साल तक भीख मांग कर खाया , माँ  दुसरे के घरो में बर्तन मांजती थी

नेहरु ने आरक्षण का विरोध किया , हैदराबाद में बिजली महंगी है

विदेशो में जाकर भारत की बुराई करना  इस सब वजह से मोदी की इमेज आम लोगो में काफी कम हुई है उन्हें ऐसे लगता है कि ये आदमी प्रधानमंत्री बनने के लायक नहीं है

 सविन्धानिक संस्थाओं को गुलाम बना लिया और सविंधान का अपमान किया 

नागरिकता कानून से लेकर संसद में सैंगोल को स्थापित करना प्रधानमंत्री के पद पर रहकर मंदिर बनवाना और फिर उस मंदिर से राजनितिक भाषण देना सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग , सी बी आई , ई डी  का इस्तेमाल जिस तरह से मोदी कर रही उससे न सिर्फ इन संस्थाओं की शाख गिरी है बल्कि सविंधान भी खतरे में है

                     मोदी ने   शहीदों के नाम पर वोट मांगे  

लोकसभा चुनावों के लिए शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों की बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुलवामा पर वोट मांगना लोगो को पसंद नहीं आया , लोगो ने मोदी के इस ब्यान को बहुत गिरा हुआ बताया  महाराष्ट्र के लातूर में एक रैली में बोलते हुए पीेएम मोदी ने पहली बार वोट डालने जा रहे वोटर्स से बालाकोट एयर स्ट्राइक और पुलवामा में अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों के लिए अपना वोट समर्पित करने का आग्रह किया. 

  मोदी का  गलवान घाटी पर कायरना ब्यान , विदेश मंत्री ने कहा हम नहीं मुकाबला कर सकते चीन से

 गलवान में न कोई घुसा है न कोई अंदर आया है ये बात प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने उस वक्त टीवी प्रसारण पर कही जब गलवान घाटी में चीनी और भारतीय फौज के बीच मुठभेड़ हुई और उसमे बीस भारतीय जवान शहीद हुए उस वक्त जितनी डर जितनी कायरता मोदी के चेहरे पर देखी जा सकती थी लेकिन हर भारतीय का खून उबल रहा था .

ठीक इसी तरह चुनाव से पहले पुलवामा ब्लास्ट हुआ तो मोदी ने पुलवामा के शहीदों के नाम पर वोट तो मांगे लेकिन अभी तक उसकी जांच पूरी नहीं हुई है . इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में भी चीन ने भारत की बहुत सारी  जमीन पर कब्जा किया हुआ  है और लगातार कर रहा है लेकिन मोदी उस पर कुछ नहीं बोलते बल्कि मीडिया को भी इस बात पर बोलने से रोका हुआ है तो ये कैसी देशभक्ति हुई ?

इसके अलावा खुद  विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि चीन एक बहुत बड़ी इकॉनमी है हम वो बहुत ताकतवर है  हम उनका मुकाबला नहीं कर सकते

                   सेना के पास हथियार और अफसर नहीं

मोदी ने अपने पद संभालते ही जैसे तीनो सेना का एक चीफ बना कर उसे अपने अधीन किया उससे लगा की भारतीय सेना में कुछ बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है लेकिन राफेल की खरीद का घोटाला सामने आया फिर  राफेल की देखभाल के लिए जैसे अनिल अम्बानी को चुना और ओडिनेंस फैक्ट्री को बंद किया उससे साफ़ पता चल गया कि ये सिर्फ घोटालेबाज है और कुछ नहीं एक रिपोर्ट में कहा गया है

भारत की वायुसेना, थलसेना और नौसेना पुराने पड़ रहे हथियारों को बदलने के लिए कुछ ज़रूरी हथियार तंत्र आयात नहीं कर पा रही है. इसके कारण साल 2026 तक भारत के पास हेलीकॉप्टर्स की भारी कमी हो जाएगी और साथ ही 2030 तक सैकड़ों लड़ाकू विमान कम पड़ जाएंगे.

भारत की रक्षा प्रणाली को देश में निर्मित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  को चीन और पाकिस्तान के खतरे के सामने कमजोर बना रहे हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसारइस मामले से जुड़े अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. उनका कहना है कि भारत की वायुसेना, थलसेना और नौसेना पुराने पड़ रहे हथियारों को बदलने के लिए कुछ ज़रूरी हथियार तंत्र आयात नहीं कर पा रही है. इसके कारण साल 2026 तक भारत के पास हेलीकॉप्टर्स की भारी कमी हो जाएगी और साथ ही 2030 तक सैकड़ों लड़ाकू विमान कम पड़ जाएंगे.

इसके अलावा अग्निवीर एक ऐसी स्कीम शुरू की है  जो भारतीय सेना को कमजोर बनाती है इसका खुलासा खुद चीफ मनोज नर्वाने ने अपनी पुस्तक में किया  है

 

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