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मोदी काल ,2014-2024  तबाही काल  ! मोदी –भाजपा की हार सुनिश्चित ,सर्वे ने लगा दी मोहर

नई दिल्ली : इस देश ने 2014 -2024 तक भाजपा शासन में सिर्फ तबाही देखी है , देश समाजिक , आर्थिक , राजनैतिक और मानसिक बदहाली और तंगी से जूझने लग गया   और इन सब समस्याओं का कारण सब जानते है अतार्थ मोदी सरकार की अमानवीय कार्य शैली और पूंजीपतियो के आगे नतमस्तक होना

मोदी ही इस देश के  अकेले प्रधानमन्त्री है जो पूंजीपतियो के इशारो पर नाचते है , अपने देश की कम्पनी बी एस एन एल की जगह जिओ का विज्ञापन कर  रहे थे और आज बी एस एन एल को ख़त्म होने एक कागार पर मोदी ने ही ला कर खड़ा किया है

देश में बेरोजगारी , महंगाई , गरीबी को अपने उच्तम स्तर पर लाने वाले मोदी ही है  देश को हर तरीके से बर्बाद करने के बाद भाजपा और मोदी

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 चार सौ न्यूज़ चैनल  और एक हजार से ज्यादा न्यूज़ पेपर  मोदी के लिए एकतरफा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे है , लेकिन  अचानक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण ने चौंकाने वाले नतीजे आने के संकेत दिए हैं। राम मंदिर, भ्रष्टाचार  धारा ३७० जैसे जिन मुद्दों की दिनरात चर्चा कर माहौल बनाने की कोशिश की गई है, वे मतदाताओं के लिए बड़े मुद्दे नहीं हैं।

सीएसडीएस-लोकनीति ने द हिंदू के साथ मिलकर जो सर्वे किया है उसमें मतदाताओं की सबसे बड़ी तीन चिंताएँ- रोज़गार, महंगाई और विकास उभरी हैं। सर्वेक्षण के अनुसार नौकरियों और महंगाई की चिंताओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया गया है।

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इस सर्वे ने यह साबित कर  दिया है कि क्या यह देश में भाजपा और मोदी के खिलाफ एक लहर चल रही है और मोदी के जुमलो पर झूट पर और अंट शंट बकवास को महत्व नहीं देते

 

चुनाव पूर्व इस सर्वेक्षण से पता चला है कि बेरोजगारी और महंगाई सर्वे किए गए लोगों में से क़रीब आधे मतदाताओं की प्रमुख चिंताएं हैं। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से लगभग दो तिहाई यानी क़रीब 62% ने कहा है कि नौकरियां पाना अधिक मुश्किल हो गया है। हालांकि यह सवाल सर्वे कम्पनी ने सीधा नहीं पंहुचा और इस सवाल में भी कही न कही मोदी को बचाने की कोशिश की गई है , क्योकि नौकरी मिलना मुश्किल मतलब बेरोजगारी बहुत बढ़ गई है   ऐसा मानने वाले शहरों में 65% हैं। गाँवों में 62% और कस्बों में 59% लोग ऐसा मानते हैं। 59% महिलाओं की तुलना में 65% पुरुषों ने ऐसी ही राय रखी है। केवल 12% ने कहा कि नौकरी पाना आसान हो गया है।

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सर्वे के अनुसार मुसलमानों में यह चिंता सबसे अधिक थी। 67% ने कहा कि नौकरी पाना मुश्किल हो गया है। यह संख्या अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के लोगो में 63% है और अनुसूचित जनजाति में 59% है। जब लोगों से यह सवाल पूछा गया कि क्या नौकरियाँ पाना आसान था?  हिंदू उच्च जातियों में से 57% ने महसूस किया कि नौकरियाँ पाना अधिक मुश्किल हो गया है।

महंगाई के मामले में भी मतदाताओं की चिंताएँ बेहद गंभीर हैं। उन्होंने बेरोज़गारी की तरह ही महंगाई को बड़ा मुद्दा माना है। संपर्क किए गए लोगों में से 71% ने कहा कि महंगाई बढ़ी है। गरीबों में यह संख्या बढ़कर 76%, मुसलमानों और अनुसूचित जातियों में 76% और 75% हो गई है।

सर्वे में 19 राज्यों में क़रीब 10 हज़ार लोगों की राय ली गई है।

 इस ताज़ा सर्वेक्षण के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था से जुड़ा संकट मतदाताओं के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

सार्थक रोजगार के अवसर सुरक्षित न कर पाने का डर, महंगाई की वास्तविकता, जीवन और आजीविका पर इसका प्रभाव और ग्रामीण संकट का तथ्य कुछ ऐसा है जो उत्तरदाताओं के दिमाग में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि आर्थिक रूप से कम संपन्न लोग इस संकट को अधिक तीव्रता से अनुभव कर रहे हैं। लेकिन सम्पन्न लोग भी इस खतरे से डरे हुए है

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मीडिया में भाजपा के प्रवक्ताओं का दावा है भारत में ऐसा कोई संकट नहीं जो पहले नहीं था यानी भाजपा की सरकार से पहले भी भारत इस  तरह के  संकटों से जूझ रहा था .  लेकिन कमाल की बात वो इस बात का जवाब नहीं दे पाते कि रिजर्व बैंक को भी मोदी ने कंगाल कर दिया है , वस्तुओ के दाम जिसमे आटा दाल ,गेहू , चावल , मिर्च तेल पेट्रोल जिन पर आम आदमी का जीवन चलता है वो सब चीजे दुगने से लेकर चार गुना तक बढ़ गई है , रूपये का दाम लगातार गिरता जा रहा है

प्रशांत भूषण जो एक वरिष्ट वकील है उनका कहना है कि मोदी  जिस तरह २०१९ में पुलवामा के शहीदों  के नाम पर  वोट मांग रहे थे इस बार भी कुछ न कुछ ऐसा करवा सकते है कि अयोध्या राम  मंदिर पर हमला हो जाए या कश्मीर में पाकिस्तान के अंदर भारतीय फौज घुस जाए फिर उसे दिखा कर राष्ट्रवाद के नाम पर वोट माँगा जा सके , क्योकि मोदी है तो कुछ भी मुमकिन है  मोदी का राजनैतिक चरित्र बहुत गिरा हुआ है अब भी वो राम के नाम पर धारा ३७० के नाम पर वोट मांग रहे है आम जनता की मूल समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार नहीं

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