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EVM  बात पैसे और समय की नहीं ,लोकतंत्र और जनविश्वास खतरे में है : New Democratic party of India

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में ई वी एम् पर सुनवाई चल रही है और तरह तरह के सवाल कोर्ट याचिकाकर्ता से पूछ रहा है  कि क्या हमे दुबारा बैलेट पेपर पर जाना चाहिए ,  नब्बे करोड़  वोट की गिनती कैसे होगी , इसमें कितना पैसा लगेगा  और कितना समय लगेगा आम लोग  ई वी एम् पर विश्वास नहीं करते ये डेटा आपको कैसे और कहा से मिला , आदि आदि  इस प्रक्रिया के बाद ई वी एम  पर सुनवाई 18 अप्रैल को जारी रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट के  वकील हर्ष गौतम ने  कोर्ट में चल रही  बहस पर कहा कि कौर्ट यकीनन एक अच्छा फैसला लेगी जो देश के हित में होगा क्योकि यहाँ पर बात पैसे और समय कि नहीं है लोकतंत्र की आन बान शान की है  कि हम दुनिया के सामने अपने देश के लोकतंत्र को कैसे पेश करना चाहते है  क्या हम ये चाहते है कि हमारे देश में लोकतंत्र कुछ पूंजीपतियो कुछ पार्टियो के यहाँ नौकर है उसके अंदर अपनी कोई स्वास नहीं चल रही  और उसकी कोई इज्जत नहीं है  और लोकतंत्र के बहाने देश की संस्थाओं को  ऐसे चलाया  जा रहा है जैसे कोई गुंडा गैंग अपने गुर्गो को हुक्म  देता है और देश की सभी सविन्धानिक संस्थाए वैसे ही काम करती है

इस तरह हम एक आदर्श राष्ट्र की तरफ एक आधुनिक राष्ट्र की तरफ नहीं बढ़ रहे है बल्कि पोरानिक काल में  घुसते जा रहे है , हम क्यों डर रहे है कि देश में चुनाव में पारदर्शिता लाइ जाए ? आखिर इसके क्या कारण है कि हम ईमानदारी न बरतना चाहते है और न ही ईमानदार दिखना चाहते है ?  हमे ईमानदारी पारदर्शिता को अपनाना ही होगा और मुझे उम्मीद है की सुप्रीम कोर्ट किसी रूलिंग पार्टी की नहीं बल्कि जनमानस को ध्यान रखेगा , अपने देश के लोकतंत्र के सुंदर भविष्य को ध्यान में रख कर फैसला करेगा   हर्ष  गौतम ने कहा

इधर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के कुछ अंश है जिन्हें जानकार पाठक अपना मन खुद बना सकते है कि आखिर इस केस में क्या फैंसला आ सकता है

चुनाव में ई वी एम  की जगह मतपत्रों के उपयोग को लेकर जारी चर्चाओं के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलट पेपर पर लौटने से भी कई नुकसान हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना ने ई वी एम को हटाने की याचिका के पक्ष में अपनी बात रख रहे प्रशांत भूषण से पूछा कि अब आप क्या चाहते हैं?  तो प्रशांत भूषण ने कहा कि पहला बैलेट पेपर पर वापस जाएं . दूसरा फिलहाल 100 फीसदी VVPAT मिलान हो.   तो इस पर  अदालत ने कहा कि देश में 98 करोड़ वोटर हैं. आप चाहते हैं कि 60 करोड़  वोटों की गिनती हो. ?

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जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सामान्यतः मानवीय हस्तक्षेप से समस्याएं उत्पन्न होती हैं. समस्या तब पैदा होती है जब मानवीय हस्तक्षेप होता है या जब वे सॉफ्टवेयर या मशीन मे अनधिकृत परिवर्तन करते हैं. यदि आपके पास इसे रोकने के लिए कोई सुझाव है, तो आप हमें दे सकते हैं.

प्रशांत भूषण ने वीवीपैट की पर्ची मतदाताओं को देने की मांग के साथ कहा कि मतदाता उसे एक बैलेट बॉक्स मे डाल दे. अभी जो वीवीपैट है उसका बॉक्स ट्रांसपेरेंट नहीं है.सिर्फ सात सेकेंड के लिए पर्ची वोटर को दिखाई देती है.

वकील संजय  हेगड़े ने मांग की कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से किया जाना चाहिए. जस्टिस खन्ना: क्या 60 करोड़ वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए? वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे. एक वकील ने वोट देने के लिए बारकोड का सुझाव दिया. जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर आप किसी दुकान पर जाते हैं तो वहां बारकोड होता है. बारकोड से गिनती में मदद नहीं मिलेगी जब तक कि हर उम्मीदवार या पार्टी को बारकोड न दिया जाए और यह भी एक बहुत बड़ी समस्या होगी.

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से पूछा कि आपने कहा कि अधिकांश मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते?  तो इस पर  कोर्ट ने पूछा  आपको यह डेटा कैसे मिला? प्रशांत भूषण: एक सर्वेक्षण हुआ था. जस्टिस दत्ता – हम निजी सर्वेक्षणों पर विश्वास नहीं करते.

याचिकाकर्ता के वकील द्वारा जर्मनी के सिस्टम के उदाहरण देने पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है. हमें किसी पर भरोसा और विश्वास जताना होगा. इस तरह से व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश मत करिए.  इस तरह के उदाहरण मत दीजिए… यह एक बहुत बड़ा काम है… और यूरोपीय उदाहरण यहां काम नहीं आते.

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