नई दिल्ली : इस देश ने 2014 -2024 तक भाजपा शासन में सिर्फ तबाही देखी है , देश समाजिक , आर्थिक , राजनैतिक और मानसिक बदहाली और तंगी से जूझने लग गया और इन सब समस्याओं का कारण सब जानते है अतार्थ मोदी सरकार की अमानवीय कार्य शैली और पूंजीपतियो के आगे नतमस्तक होना
मोदी ही इस देश के अकेले प्रधानमन्त्री है जो पूंजीपतियो के इशारो पर नाचते है , अपने देश की कम्पनी बी एस एन एल की जगह जिओ का विज्ञापन कर रहे थे और आज बी एस एन एल को ख़त्म होने एक कागार पर मोदी ने ही ला कर खड़ा किया है
देश में बेरोजगारी , महंगाई , गरीबी को अपने उच्तम स्तर पर लाने वाले मोदी ही है देश को हर तरीके से बर्बाद करने के बाद भाजपा और मोदी
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जनता को ‘बड़ी महंगी पड़ी मोदी सरकार’!
– आटा ₹20 से ₹40 किलो
– दाल ₹80 से ₹210 किलो
– दूध ₹30 से ₹66 लीटर
– तेल ₹52 से ₹150 लीटर
– पेट्रोल ₹66 से ₹97 लीटर
– डीजल ₹52 से ₹90 लीटर
– रसोई गैस ₹410 से ₹1,103
– और डॉलर ₹58 से ₹83इस कमरतोड़ महंगाई में, रिकॉर्ड तोड़… pic.twitter.com/PUyQLaDSMR
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) April 11, 2024
चार सौ न्यूज़ चैनल और एक हजार से ज्यादा न्यूज़ पेपर मोदी के लिए एकतरफा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे है , लेकिन अचानक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण ने चौंकाने वाले नतीजे आने के संकेत दिए हैं। राम मंदिर, भ्रष्टाचार धारा ३७० जैसे जिन मुद्दों की दिनरात चर्चा कर माहौल बनाने की कोशिश की गई है, वे मतदाताओं के लिए बड़े मुद्दे नहीं हैं।
सीएसडीएस-लोकनीति ने द हिंदू के साथ मिलकर जो सर्वे किया है उसमें मतदाताओं की सबसे बड़ी तीन चिंताएँ- रोज़गार, महंगाई और विकास उभरी हैं। सर्वेक्षण के अनुसार नौकरियों और महंगाई की चिंताओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
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इस सर्वे ने यह साबित कर दिया है कि क्या यह देश में भाजपा और मोदी के खिलाफ एक लहर चल रही है और मोदी के जुमलो पर झूट पर और अंट शंट बकवास को महत्व नहीं देते
चुनाव पूर्व इस सर्वेक्षण से पता चला है कि बेरोजगारी और महंगाई सर्वे किए गए लोगों में से क़रीब आधे मतदाताओं की प्रमुख चिंताएं हैं। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से लगभग दो तिहाई यानी क़रीब 62% ने कहा है कि नौकरियां पाना अधिक मुश्किल हो गया है। हालांकि यह सवाल सर्वे कम्पनी ने सीधा नहीं पंहुचा और इस सवाल में भी कही न कही मोदी को बचाने की कोशिश की गई है , क्योकि नौकरी मिलना मुश्किल मतलब बेरोजगारी बहुत बढ़ गई है ऐसा मानने वाले शहरों में 65% हैं। गाँवों में 62% और कस्बों में 59% लोग ऐसा मानते हैं। 59% महिलाओं की तुलना में 65% पुरुषों ने ऐसी ही राय रखी है। केवल 12% ने कहा कि नौकरी पाना आसान हो गया है।
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