अयोध्या में राम की मूर्ति काली और बुद्ध से मिलती जुलती क्यों ? मन्दिर से जुड़े  ये चार विवाद भी इतिहास बन गए है , जानिये क्या है ?  

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 नई दिल्ली : अयोध्या राम मंदिर  Ayodhya Ram temple में नवस्थापित राम की मूर्ति की सूरत और रंग को लेकर कुछ लोगो में अलग अलग भ्रान्ति और विचार आ रहे है और इसके पक्ष में अलग अलग तर्क भी दिया जा रहे है , आइये इस मंदिर से जुड़े सारे विवाद और शंकाओं को एक बार फिर से समझ लेते है और जानते है क्या कहते है राम की मूर्ति के बारे में लोग

 अयोध्या राम मंदिर अपने स्थान को लेकर ,  मन्दिर की भूमि अधिग्रहण को लेकर , मंदिर के निर्माण को लेकर इसके उद्घाटन को लेकर और इसमें स्थापित राम की मूर्ति को लेकर  और मंदिर निर्माण के लिए आस पास की मस्जिदों , घरो  और मंदिरों को तोड़ने को लेकर लगातार चर्चा का केंद्र बना रहा

ये बात बहुत ही समझने की है कि अयोध्या राम मंदिर शुरू से ही एक विवाद का  कारण रहा है जैसे 22-23 दिसम्बर  1949 की रात को अचानक वहा पर फ़ैजाबाद के डी एम् के के नायर ने वहा पर मूर्ति रखवा दी , जिसकी पुलिस रिपोर्ट होने के बाद मस्जिद को  बंद कर दिया गया Ram Idol placed in Babri Msjid on 22-23 December 1949

बाबरी मस्जिद धवस्त स्थान पर मिले बुद्ध के निशाँ 

1968 में जब मस्जिद का दरवाजा खोला गया तो  कई धार्मिक संघठन इसके मालिकाना हक के लिए सामने आये उसमे से बौध संघठन भी सामने आये  जिन्होंने बौद्ध अवशेष को लेकर 2018 याचिका दायर की थी उनका पक्ष अयोध्या निवासी विनीत कुमार मौर्य ने साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट  Supreme Court में याचिका दाखिल की थी। विनीत का दावा था कि विवादित स्थल के नीचे कई अवशेष दबे हुए हैं जो अशोक काल के हैं और इनका कनेक्शन बौद्ध धर्म से है। याचिका में दावा किया गया था कि बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले उस जगह पर बौद्ध धर्म से जुड़ा ढांचा था। मौर्य ने अपनी याचिका में कहा था, ‘एएसआई की खुदाई से पता चला है कि वहां स्तूप, गोलाकार स्तूप, दीवार और खंभे थे जो किसी बौद्घ विहार की विशेषता होते हैं।’

Placed in London Museum the idol of Budha

मौर्य ने दावा किया था, ‘जिन 50 गड्ढों की खुदाई हुई है, वहां किसी भी मंदिर या हिंदू ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं।’सबसे बड़ी बात कि भारत में अबतक की किसी भी खुदाई में राम , कृष्ण या ब्राह्मणों के किसी भी देवी देवता की मूर्ति नहीं मिली है बल्कि बुद्ध की मुर्तियो को ही ब्राह्मणों ने देवी देवताओं के नाम रख कर प्रचारित किया है इसलिए उन्हें ये सब मूर्तियाँ और बुद्ध विहार मिलने चाहिए

दूसरा विरोध आया कि लड़ाई रमानंद साम्प्रादय  Ramanand Cult और निर्मोही अखाड़े ने राम अम्न्दिर के लिए लड़ी लेकिन सरकार ने ट्रस्ट बना कर अपने ही लोगो को इसका मुखिया और कर्ताधर्ता बना दिया और असली लड़ने वाले बाहर बैठे है यही नहीं मंदिर उद्घाटन में शन्कराचार्य और अन्य धार्मिक  संघठनो को बाहर  ही रखा गया और मंदिर का उद्घाटन मोदी ने किया और उसके बाद मंदिर परिसर से ही अपना राजनितिक भाषण दिया   जो सरासर गलत था

मंदिर वहाँ नहीं जहां के लिए लड़ाई और वादा था 

शिवसेना के प्रवक्ता श्री संजय राउत  Sanjay Raut ने कहा कि मंदिर उसी स्थान पर नहीं बनाया गया है जिसके लिए इतने सालो से लड़ाई चल रही थी और केस चल रहा था बल्कि मंदिर मुख्य  जगह से तीन किलोमीटर दूर उस  स्थान पर बनाया गया है जिस स्थान को १९९२ में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरसिममा राव Narsinmma rao ने आबंटित कर दिया था

ये एक तरह से लोगो की भावनाओं के साथ में खिलवाड़ है और ऐसा लगता है ये जो इतने सालो तक मंदिर मस्जिद की नूरा कुस्ती चल रही थी सिर्फ लोगो की भावनाओं के साथ में खिलवाड़ किया जा रहा था , जबकि मंदिर से जुड़े लोगो ने कहा है की मंदिर उसी जगह बनाया गया है लेकिन जानकारों ने इस बात की पुष्टि की है कि मंदिर मस्ज्दी वाली जगह पर नहीं है

मंदिर के  रास्ते में तोड़े गए गरीबो के घर और मंदिर मस्जिद

मंदिर के रास्ते में पड़ने वाले सैंकड़ो घर लगभग तीस के करीब मस्जिद और बारह मंदिरों को भी तोड़ दिया गया जिसमे गरीबो के घर दूकान , मकान भी तोड़ दिए गए और उनको इस बात कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया ये कारवाही सरकार की तरफ से तानाशाही के रूप में की गई

Houses demolished for the beautification of Ayodhya Ram mandir and widening the roads
Houses demolished for the beautification of Ayodhya Ram mandir and widening the roads
Houses demolished for the beautification of Ayodhya Ram mandir and widening the roads

राम की मूर्ति काली क्यों है? Why Ram Idol is Black 

अब सबसे बड़ी बात और बौध संघठनो का आरोप  सामने आया है कि मंदिर के लिए राम की मूर्ति को काले रंग का ख़ास कारणों से बनाया गया है सबसे पहले कि राम को काला यानी भारत के मूलनिवासी के रंग में दिखाना और कहना की राम भारत के ही है जबकि राम एक काल्पनिक पात्र है और इनका कोई भी वैज्ञानिक सबूत अभी तक नहीं मिला है दूसरा मूर्ति को बुद्ध से मिलता जुलता बनाया गया है ताकि लोगो में ये भ्रम डाला जा सके कि जो पहले से प्राप्त  बुद्ध की मूर्तियाँ है वो दरसल राम की मूर्ति हो सकती है जबकि ये बिलकुल गलत है  बुद्ध संघठनो  Boudh orgnziationका मानना है ब्राह्मणों ने बौध धर्म के चौरासी हजार बौध विहारों को तोड़ मंदिर में तब्दील कर दिया और बुद्ध की विभिन मुद्रा वाली मुर्तिओं के आधार पर अपने देवी देवता गड लिया

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Ayodhya Ram Temple Idol Black and similar to Buddha

इसके अलावा ब्राह्मण संघठनो की ये हमेशा कोशिश रही है कि बुद्ध को विष्णु का अवतार  Vishnu incarnation घोषित कर दिया जाए जबकि बुद्ध का विष्णु से कोई लेना देना नहीं यहाँ तक की बुद्ध ब्राह्मणवाद जो पाखंड का दूसरा नाम था अंधविश्वास का दूसरा नाम था इसके बेहद खिलाफ थे और ये ही बात बुद्ध के विचारों में झलक कर सामने आई है

इसके जवाब में महंत , साधू आदि कहते है इनकी मूर्ति का निर्माण श्याम शिला से हुआ है, जिसका रंग काला होता है। इस वजह से भी रामलला की मूर्ति श्यामल है। इस काले पत्थर को कृष्ण शिला कहा जाता है। शास्त्रों में जिस कृष्ण शिला से रामलला की मूर्ति का निर्माण हुआ है उसे बेहद खास माना जाता है। लेकिन इस बात में कोई ज्यादा वजन नज़र नहीं आता क्योकि  ब्राह्मण देवी देवताओं की मूर्ति गोरी और सफ़ेद पत्थरो की होती है ये रंग इनके वर्ण वाव्य्स्था को भी मजबूती देता है और इनके विदेशी होने को भी इंगित  करता है

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