भारत में ब्राह्मणों की स्थिति ?  Suman Shrama

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भारत में किस राज्य में ब्राह्मणों की आबादी सबसे ज़्यादा है?  Suman Shrama

ब्राह्मण समाज का इतिहास भारत के वैदिक धर्म से आरम्भ होता है। वास्तव में ब्राह्मण कोई जाति विशेष ना होकर एक वर्ण है, दक्षिण भारत में द्रविड़ ब्राह्मण को ही कहा जाता है| भारत का मुख्य आधार ही ब्राह्मणों से शुरू होता है। ब्राह्मण नरम व्यवहार के होते हैं| ब्राह्मण व्यवहार का मुख्य स्रोत वेद हैं। ब्राह्मण समय के अनुसार अपने आप को बदलने में सक्षम होते हैं । ब्राह्मणों का भारत की आज़ादी में भी बहुत योगदान रहा है जो इतिहास में गढ़ा गया है। ब्राह्मणों के सभी सम्प्रदाय वेदों से प्रेरणा लेते हैं। पारम्परिक तौर पर यह विश्वास है कि वेद अपौरुषेय (किसी मानव/देवता ने नहीं लिखे) तथा अनादि हैं, बल्कि अनादि सत्य का प्राकट्य हैं जिनकी वैधता शाश्वत है। वेदों को श्रुति माना जाता हैं (श्रवण हेतु, जो मौखिक परम्परा का द्योतक है)।

धार्मिक व सांस्कृतिक रीतियों एवं व्यवहार में विवधताओं के कारण और विभिन्न वैदिक विद्यालयों के उनके सम्बन्ध के चलते, आचार्य ही ब्राह्मण हैं। सूत्र काल में प्रतिष्ठित विद्वानों के नेतृत्व में, एक ही वेद की विभिन्न नामों की पृथक-पृथक शाखाएँ बनने लगीं। इन प्रतिष्ठित ऋषियों की शिक्षाओं को सूत्र कहा जाता है। प्रत्येक वेद का अपना सूत्र है। सामाजिक, नैतिक तथा शास्त्रानुकूल नियमों वाले सूत्रों को धर्म सूत्र कहते हैं, आनुष्ठानिक वालों को श्रौत सूत्र तथा घरेलू विधिशास्त्रों की व्याख्या करने वालों को गृह्यसूत्र कहा जाता है। सूत्र सामान्यतः पद्य या मिश्रित गद्य-पद्य में लिखे हुए हैं।

ब्राह्मण शास्त्रज्ञों में प्रमुख हैं आंगिरस, आपस्तम्भ, अत्रि, बृहस्पति, बौधायन, दक्ष, गौतम, वत्स, हारीत, कात्यायन, लिखित, पाराशर, संवर्त, शंख, शातातप, ऊषानस, वशिष्ठ, विष्णु, व्यास, याज्ञवल्क्य तथा यम। ये इक्कीस ऋषि स्मृतियों के रचयिता थे। स्मृतियों में सबसे प्राचीन हैं आपस्तम्भ, बौधायन, गौतम तथा वशिष्ठ।

ब्राह्मण निर्धारण – जन्म या कर्म से

ब्राह्मण का निर्धारण माता-पिता की जाती के आधार पर ही होने लगा है। स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अन्तर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को यज्ञोपवीत के आध्यात्मिक अर्थ में बताया गया है,

जन्मना ब्राह्मणो ज्ञेयः संस्कारै द्विज उच्यते।

विद्यया याति विप्रः श्रोतिरस्त्रिभिरेवच।।

अतः आध्यात्मिक दृष्टि से यज्ञोपवीत के बिना जन्म से ब्राह्मण भी शुद्र के समान ही होता है।

1) जम्मू कश्मीर : 2 लाख + 4 लाख विस्थापित

2) पंजाब : 9 लाख ब्राह्मण

3) हरयाणा : 14 लाख ब्राह्मण

4) राजस्थान : 78 लाख ब्राह्मण

5) गुजरात : 60 लाख ब्राह्मण

6) महाराष्ट्र : 45 लाख ब्राह्मण

7) गोवा : 5 लाख ब्राह्मण

8) कर्णाटक : 45 लाख ब्राह्मण

9) केरल : 12 लाख ब्राह्मण

10) तमिलनाडु : 36 लाख ब्राह्मण

11) आँध्रप्रदेश : 24 लाख ब्राह्मण

12) छत्तीसगढ़ : 24 लाख ब्राह्मण

13) ओद्दिस : 37 लाख ब्राह्मण

14) झारखण्ड : 12 लाख ब्राह्मण

15) बिहार : 90 लाख ब्राह्मण

16) पश्चिम बंगाल : 18 लाख ब्राह्मण

17) मध्य प्रदेश : 42 लाख ब्राह्मण

18) उत्तर प्रदेश : 2 करोड़ ब्राह्मण

19) उत्तराखंड : 20 लाख ब्राह्मण

20) हिमाचल : 45 लाख ब्राह्मण

21) सिक्किम : 1 लाख ब्राह्मण

22) आसाम : 10 लाख ब्राह्मण

23) मिजोरम : 1.5 लाख ब्राह्मण

24) अरुणाचल : 1 लाख ब्राह्मण

25) नागालैंड : 2 लाख ब्राह्मण

26) मणिपुर : 7 लाख ब्राह्मण

27) मेघालय : 9 लाख ब्राह्मण

28) त्रिपुरा : 2 लाख ब्राह्मण

सबसे ज्यादा ब्राह्मण वाला राज्य: उत्तर प्रदेश

सबसे कम ब्राह्मण वाला राज्य : सिक्किम

सबसे ज्यादा ब्राह्मण राजनेतिक वर्चस्व : पश्चिम बंगाल

सबसे ज्यादा %ब्राह्मण वाला राज्य : उत्तराखंड में जनसँख्या के 20 % ब्राह्मण

अत्यधिक साक्षर ब्राह्मण राज्य :

केरल और हिमाचल

सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्थिति में ब्राह्मण : असम

सबसे ज्यादा ब्राह्मण मुख्यमंत्री वाला राज्य : राजस्थान

सबसे ज्यादा ब्राह्मण विधायक वाला राज्य : उत्तर प्रदेश

भारत लोकसभा में ब्राह्मण : 48 %

भारत राज्यसभा में ब्राह्मण : 36 %

भारत में ब्राह्मण राज्यपाल : 50 %

भारत में ब्राह्मण कैबिनेट सचिव : 33 %

भारत में मंत्री सचिव में ब्राह्मण : 54%

भारत में अतिरिक्त सचिव ब्राह्मण : 62%

भारत में पर्सनल सचिव ब्राह्मण : 70%

यूनिवर्सिटी में ब्राह्मण वाईस चांसलर : 51%

सुप्रीम कोर्ट में ब्राह्मण जज: 56%

हाई कोर्ट में ब्राह्मण जज : 40 %

भारतीय राजदूत ब्राह्मण : 41%

पब्लिक अंडरटेकिंग ब्राह्मण :केंद्रीय : 57% राज्य : 82 %

बैंक में ब्राह्मण : 57 %

एयरलाइन्स में ब्राह्मण : 61%

आईएएस ब्राह्मण : 72%

आईपीए ब्राह्मण : 61%

टीवी कलाकार एव बॉलीवुड : 83%

सीबीआई /कस्टम ब्राह्मण : 72%

ब्राह्मण धर्म – वेद

ब्राह्मण कर्म – गायत्री

ब्राह्मण जीवन – त्याग

ब्राह्मण मित्र – सुदामा

ब्राह्मण क्रोध – परशुराम

ब्राह्मण त्याग – ऋषि दधिची

ब्राह्मण राज – बाजीराव पेशवा

ब्राह्मण प्रतिज्ञा – चाणक्य

ब्राह्मण बलिदान – मंगल आजाद

ब्राह्मण भक्ति – रावण

ब्राह्मण ज्ञान – आदि गुरु शंकराचार्य

ब्राह्मण सुधारक – महर्षि दयानंद

ब्राह्मण राजनीतिज्ञ – कौटिल्य (चाणक्य)

ब्राह्मण वैज्ञानिक – आर्यभट्ट

https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/how-the-migratory-patterns-of-the-brahmins-the-weavers-shaped-indian-culture/articleshow/75497810.cms
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