Smart City स्मार्ट सिटी ,मोदी की गारंटी या जुमला ? स्मार्ट सिटी : स्मार्ट घोटाला

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने चुनाव से पहले अपने चुनावी भाषणों और वादों से लोगो को इतना प्रभावित किया कि जो लोग भाजपा के पक्ष में भी नहीं थे उन्होंने भी भाजपा को ये सोच कर वोट दिया कि शायद भारत की तकदीर सवरने वाली है उनमे से मोदी का एक वादा था स्मार्ट सिटी , जी हाँ स्मार्ट सिटी नाम सुनकर ही ऐसा लगता है कि टेक्नोलॉजी की मदद से हमारी जिन्दगी बहुत आसान और सुगम हो जाएगी लेकिन लोगो को क्या पता था कि मोदी के सभी वादों की तरह ये भी एक जूमला ही निकलेगा

भारत की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 31% को शहरों में बसता है और इनका सकल घरेलू उत्पाद में 63% (जनगणना 2011) का योगदान हैं। ऐसी उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्रों में भारत की आबादी का 40% रहेगा और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 75% का होगा । इसके लिए भौतिक, संस्थागत, सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के व्यापक विकास की आवश्यकता है।

.स्मार्ट सिटी Smart City  में जो काम होने थे वो इस प्रकार है  पर्याप्त पानी की आपूर्ति . निश्चित विद्युत आपूर्ति  ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता  कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन  किफायती आवास, विशेष रूप से गरीबों के लिए  सुदृढ़ आई टी कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण  सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी  टिकाऊ पर्यावरण  नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा, और स्वास्थ्य और शिक्षा और इस लक्ष्य को पाने की अवधि  इस मिशन में 100 शहरों को शामिल किया जाना था  और इसकी अवधि पांच साल (वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2019-20) की रखी गई थी लेकिन आज २०२४ चल रहा  है और स्मार्ट सिटी की कोई बात भी नहीं हो रही है वो तो छोडो मोदी सरकार ने जो लोगो के पास छोटे मोटे घर थे , झोपडी थी उनको भी तोडना शुरू कर दिया है , पिछले तीन सालो में जिस तरह देश के अलग अलग हिस्सों में बुलडोजर चलाया गया है उससे लगता है की मोदी सरकार का  मकसद केवल गरीबो को उजाड़ना  है ये कहा न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रिय अध्यक्ष श्री अरुण माजी ने

केंद्र सरकार द्वारा मिशन को पांच साल में 48,000 करोड़ रुपये, करीब प्रति वर्ष प्रति शहर 100 करोड़ रुपये औसत वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन अब ये फण्ड ये योजना कहा है पता नहीं ऐसा लगता है बुलेट ट्रेन में बैठ कर यह योजना विश्व भ्रमण पर गई है

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अब  जरा इस खबर पर देखे जालंधर Jalndhar नगर निगम में स्मार्ट सिटी के नाम पर हुए बड़े घोटाले का मामला केंद्र सरकार के पास पहुंच गया है। दरअसल, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने मानवीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप पूरी को पत्र लिख कर उक्त मामले की सख्त कार्रवाई की मांग की है। आरोप है कि इस घोटाले में पंजाब सरकार की मिली भगत दिखाई दे रही है।

हरियाणा स्मार्ट सिटी घोटाला  Haryana Smart City हरियाणा विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान केंद्र द्वारा घोषित किए गए स्मार्ट सिटी – फरीदाबाद और करनाल में विकास कार्यों में धांधली के आरोप असंध विधायक शमशेर सिंह गोगी ने लगाए। उन्होंने जब करनाल में अधिकांश विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कड़ी आपत्ति जताई। करनाल सीएम का निर्वाचन जिला है। सीएम ने कहा, अगर किसी भी मामले में भ्रष्टाचार की शिकायत है तो लिखित में दें। सरकार हर मामले की जांच करवाएगी।

पिछले वर्ष गोवा में भी ऐसा ही मामला सामने आया था कांग्रेस ने पणजी स्मार्ट सिटी परियोजना पर गंभीर आरोप लगाए  । उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत घटिया काम हुआ है और इसके बोर्ड के सदस्यों ने 1140 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। साथ ही कहा कि योजना के नाम पर पैसे की लूट हो रही है।

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 इसी तरह भोपाल में  भी स्मार्ट सिटी का घोटाला Smart City scam प्रकाश में आया जिसमे स्मार्ट सिटी एरिया में 100 एकड़ जमीन की करीब 1500 करोड़ में की नीलामी की जा रही है. नीलामी प्रक्रिया में गड़बड़ी और घोटाले की शिकायत EOW में की गई थी. ईओडब्ल्यू की प्राथमिक जांच में जमीन नीलामी में गड़बड़ी के सबूत मिले हैं. टीटी नगर एरिया के प्लाट नंबर 79 (ए), 80 और 83 की बिक्री में गड़बड़ी की बात कही गई है. इनका बेसिक प्राइस 63. 80 करोड़, 70.75 करोड़ और 73.96 करोड़ रुपए रखा गया था.

इसके बाद सरकार ने स्मार्ट सिटी के सीईओ आईएएस अफसर आदित्य सिंह  को हटा दिया

इसी तरह के और भी बहुत घोटाले है लेकिन सबसे बड़े कमाल की बात ये है की इतने सारे घोटाले हुए करोड़ो रुपया खर्च कर दिया गया लेकिन किसी की भी जांच नहीं हो रही है क्योकि पैसा तो खर्च हुआ लेकिन सिटी के किसी स्मार्ट वर्क में नहीं स्मार्ट भ्रस्टाचार में

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