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SC /ST/OBC बैकलॉग कोटा पूरा होने तक लगे सवर्णों की भर्ती पर रोक लगे ? Surender Kumar 

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया NDPI  के  राष्ट्रीय ट्रेसरर   सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट  श्री हर्ष गौतम ने  अपने एक ब्यान में कहा है  कि बिहार के आंकड़ो  को आदर्श मानते हुए  पुरे देश में अब सवर्ण भर्ती पर तब तक रोक लगनी चाहिए जबतक दलित पिछड़ा  वर्ग का पूरा बैकलॉग   भर्ती नहीं कर दिया जाता   ये  ब्यान ऐसे में आया है जब पुरे देश में  गरीबी बेरोजगारी  महंगाई बेतहाशा बढती जा रही है ऐसे में बिहार के जातिय आंकड़े ने साबित कर दिया है , देश में बहुत बड़ा जातिय घोटाला चल रहा है और जानबूझ कर दलित पिछडो को उनका हक नहीं दिया जा रहा है

Adv.Harsh Gautam   Supreme Court , National Treasurer  , New Democratic Party of India
Adv.Harsh Gautam Supreme Court , National Treasurer , New Democratic Party of India

 

आरक्षण का विरोध सवर्ण समाज आपको हर जगह करता  मिलेगा लेकिन  जाति की वजह से जो शारीरिक , मानसिक , आर्थिक शोषण और उत्पीडन होता है वो उसके  बारे में कुछ भी बात  नहीं करेगा बल्कि उसके ये तर्क रहेगा कि आरक्षण की वजह से  जातिय भेदभाव है  अगर आरक्षण नहीं होता तो जातिय उत्पीडन भी नहीं होता  उसका ये भी  कहना है कि भारत में और तथाकथित हिन्दू समाज में जाति की कोई जगह नहीं है बल्कि  जाति वाव्य्स्था अंग्रेजो की फूट डालो राज करो की निति का परिणाम है जिसकी वजह से अंग्रेजो ने  भारत पर दो सौ साल तक  राज किया

दरसल ब्राह्मणों का कोई भी ग्रन्थ उठा कर देखो जिन्हें ये हिन्दू धर्म का कह कर मंसूब करते है उनमे ब्राह्मण जाति की श्रेष्टता  और एस सी एस टी जाति के लोगो का उत्पीडन बताया गया है सबसे कमाल की बात ये है की जाति वाव्य्स्था पालन करना ही धर्म बताया गया है  और यही कारण है देश में हजारो साल से जाति वाव्य्स्था चली आ रही है और सबसे बड़ी बात की अगर देश में आरक्षण न होता तो आज भी एस सी एस टी की स्थति आज  भी जानवरों से बदतर ही होती

तो क्या आरक्षण समाजिक वाव्स्था सुधारने का बालने का और समाजिक परिवर्तन का  हथियार है ?  क्या आरक्षण से  इनकी संख्या के अनुसार इनका हक मिल गया है  ? क्या जिन लोगो को  या जिन परिवारों को आरक्षण मिल गया  है अब उनका आरक्षण खत्म कर देना चाहिए ?

दरसल भारत दुनिया का एकमात्र देश है जहां पर आरक्षण होने के बावजूद आर्खं मिलने वालो की हलात में वांछनिय सुधार नहीं हुआ अहै इसका मुख्य कर्ण खुद सरकार  है और सरकार में बैठे लोग जिन्होंने  अपने लिए एक ऐसा एको सिस्टम तैयार कर लिया  है कि किसी को भी कोई भी अधिकार नहीं देंगे और इनका कोई भी कुछ नहीं  बिगाड़ पाएगा यानी सवर्ण लोग जिन्होंने  सारी सुविधाओं को हडप लिया अहै चाहे आरक्षण हो या सरकार के क्षेत्र में मिलने वाली सुविधाए हो  हर सुविधा केवल सवर्णों के लिए बन कर रह गई है  देश की यूनिवर्सिटी में वाईस चांसलर और प्रोफेसर  एस सी एस टी एक प्रतिशत भी नहीं जबकि ओ बी सी तो एकदम जीरो है  देश की न्यायपलिका में सत्तर प्रतिशत केवल ब्राह्मण है  यूनिवर्सिटी में ब्राह्मण है  देश की अन्य पोस्ट पर नब्बे प्रतिशत से ज्यादा  केवल सवर्ण है जिसमे ब्राह्मण कही कही सौ प्रतिशत तो कही सत्तर प्रतिशत  जैसे न्यायपालिका में सत्तर प्रतिशत केवल ब्राह्मण बाकी जाति  तीस प्रतिशत लेकिन दलित पिछड़ा  एक प्रतिशत भी नहीं

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देश में बीस हजार से ज्यादा पोस्ट यूनिवर्सिटी में खाली है जिसमे प्रोफसर लेक्चरर आदि ही केवल दस हजार है लेकिन इनकी भरत नहीं की जा रही है इसलिए ये कह देना आरक्षण ने अपना अकाम आकर दिया है ये एकदम गलत है बल्कि सवर्ण एको सिस्टम ने दस प्रतिशत अलग से आरक्षण ले  लिया है मतलब  अब आगे  भी कुछ नहीं मिलेगा  इसके साथ साथ अगर महिला आरक्षण भी इसी हालत में लागू हो जाता  है तो सवर्ण औरत आदमी मिलकर लगभग अस्सी प्रतिशत पर काबिज हो जाएंगे

अब सवाल ये है की आखिर ये सवर्ण है कौन और कितने प्रतिशत है इतिहासिक रूप से अगर देखा जाए तो सवर्ण भारत में विदेशी आर्य है जो हजारो साल पहले भारत में आये और धीरे धीरे भारत के मूलनिवासियो को जाति वाव्स्य्था में बाँट कर  खुद को श्रेष्ट बना कर शिक्षा , रोजगार आदि सभी संसाधनों पर कब्जा कर लिया  और ये कब्जा आज भी बरकरार है  , अंग्रेजो के आने के बाद सामाजिक वाव्य्स्था में कुछ सुधार आया लेकिन आजादी के बाद भी आरक्षण मिलने के बाद भी कोई ख़ास परिवर्तन भारतीय समाज में नहीं आया है और यही कारण है पिछड़ा आरक्षण जिसकी वकालत डॉ. अम्बेडकर ने की थी और इसी कारण से उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा भी दिया था  लेकिन  तब यह हो न सका और धीरे धीरे वक्त और हलात को देखते हुए अपने वोट बैंक की रक्षा करने के लिए  इस तरफ कदम बढाए गए लेकिन वि पी सिंह सरकार में यह हो पाया लेकिन होने के  बावजूद यानी मंजूरी के बाद  भी इसका   किर्यान्वन नहीं हो पाया  यही कारण रहा पिछड़ा समाज का आन्दोलन लगातार बढ़ता  रहा और  आखिर में २०२३ में नितीश कुमार सरकार ने जातिय  जनगणना करवाई जो सामाजिक  न्याय और पिछड़ा   आरक्षण और राज्य के विकास के लिए ही नहीं पुरे देश के विकास के लिए बहुत जरूरी कदम है को करवाया  जिसके आंकड़े बहुत चौंकाने वाले निकले

जैसे ही बिहार के जातिय जनगणना समाने आये है वैसे ही पुरे देश में एक अजीब सा मौल बन गया है सवर्ण समाज को छोड़ ८५ प्रतिशत  देश की जनता ऐसा महसूस कर  रही है जैसे उनका ठगा गया है उनके हिस्से को लूटा गया है उनके साथ समाज के एक छोटे से वर्ग ने धोखेबाजी की है  ८५ प्रतिशत लोगो के सुख सुविधा नौकरी शिक्षा हर चीज पर इन्होने डाका डाला है

ये कहना है  न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया के शीर्ष नेता  सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट हर्ष गौतम  इन्होने कहा कि ये बात बिलकुल स्पष्ट हो चुकी है कि कुछ लोगो ने इस देश एक साथ वफादारी नहीं की है श्री हर्ष गौतम ने कहा

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1931 के बाद में यह पहला मौका है जब बिहार सरकार ने अपने विवेक से जातिगत जनगणना करवाई है और इसके आंकड़े भी सार्वजानिक कर दिए   अगर इन आंकड़ो  पर नज़र डाले तो  . बिहार में राजपूत की आबादी 3.45%, यादव 14%, भूमिहार 2.86%, ब्राह्मण 3.65% और नौनिया 1.9 फीसदी हैं. जातिगत सर्वे के आंकड़ों के अनुसार बिहार में पिछड़ा वर्ग के 27.13 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा 15.52 प्रतिशत के लोग हैं. वहीं बिहार की कुल आबादी 13,07,25,310 है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 3,54,63,936, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 4,70,80,514, अनुसूचित जाति 2,56,89,820, अनुसूचित जनजाति  21,99,361, अनारक्षित 2,02,91,679 हैं. बिहार सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बिहार में 82% हिन्दू, 17. 7% मुसलमान, .05% ईसाई, .08% बौद्ध धर्म, .0016% कोई धर्म नहीं है.

हर्ष गौतम का कहना है कि ये आंकड़े ही देश का सही सही सैंपल है और कमोबेशी ये ही संख्या का अनुपात पुरे देश में है इसलिए

बिहार के ही आंकड़ो को आदर्श माना जाए और और जिस जाति की संख्या जितनी भारी है उसकी उतनी ही संख्या में आरक्षण और हिस्सेदारी मिले लेकिन इससे पहले बैकलॉग पूरा करना  होगा सरकार को यानी जबतक एस सी एस टी ओ बी सी का पिछला बकाया पूरा हो सवर्णों को नौकरी में न के बराबर प्रतिशत मिले

एन  डी पी आई न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी हो इंडिया के ही महासचिव   अरुण  माजी ने कहा  की अब जिसकी  जनसंख्या भारी  उसकी उतनी हिस्से दारी यानी जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण दिया जाए और चूँकि  ब्राह्मण केवल तीन प्रतिशत है इसलिए इन्हें केवल तीन प्रतिशत और सवर्ण केवल पन्द्रह प्रतिशत है इसलिए कुल १५ प्रतिशत इनके लिए सुरक्षित रखा जाए

Adv.Arun Maji Supreme Court , General Secretary , New Democratic Party of India

अगर ऐसा हो जाता है  तो यह भारत में समाजिक बदलाव के लिए बहुत बड़ी क्रान्ति होगी , गरीबी बेरोजगार  एकदम खत्म होगी लेकिन जिस तरह सरकार  षड्यंत्र कर रही है वैसे में  आरक्षण को निजी कम्पनियो में भी लागू करना होगा  तभी जाकर सबको समाजिक न्याय  मिल पाएगा  अन्यथा इतिहास गवाह किस कद्र ब्राह्मणों ने  दुसरो के हिस्सों को खाकर दुसरो का हक़ मार कर खुद आगे बढे है लेकिन यह बात भी ध्यान रखनी होगी  कि न्याय सबको मिले  और न्याय करते  वक्त जाति बीच में नहीं आनी  चाहिए

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