प्रेस एवं नियत कालिक पत्रिका निबंधन विधेयक 2023 : पुरानी शराब नई बोतल

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  पुरानी शराब नई बोतल : भाजपा का घटिया राष्ट्रवाद प्रेस एवं नियत कालिक पत्रिका निबंधन विधेयक 2023  Press and Periodicals Registration Bill 2023 पारित

नई दिल्ली : टाउन हॉल  टाइम्स न्यूज़ नेट वर्क  भाजपा सरकार यानी मोदी सरकार का राष्टवाद का फार्मूला कामयाब रहा अहै इसके चलते आम जन लोग बहकावे में आ जाते है गलवान घाटी पुलवामा  देश में कोई आतंकी हमला ,किसी मंदिर पर हमला और हिन्दू मुस्लिम दंगे ये भाजपा के चुनावी हथियार है

इसके साथ साथ भाजपा गुलामी की जंजीरे तोड़ते हुए अंग्रेजो के  बनाये कानून भी बदल रही है वैसे एक बात साफ़ साफ़ यहा पर बता देते है ये जो नए कानून बना रही है सरकार ये नए नहीं है बल्कि बोतल बदली जा रही है जिसकी शराब वही है पुरानी ऐसा ही प्रेस एंड बुक रजिस्ट्रेशन एक्ट १८६७ के साथ हुआ है जिसके स्थान पर प्रेस एवं नियत कालिक पत्रिका निबंधन विधेयक 2023 (Press and Periodicals Registration Bill 2023 ) लाया गया है

राज्यसभा ने आज प्रेस एवं नियत कालिक पत्रिका निबंधन विधेयक 2023 (Press and Periodicals Registration Bill 2023 )  को आज ध्वनिमत से पारित कर दिया  इसमें खा गया है कि इसको पत्रिकाओं के लिए पंजीयन कराने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इसमें ऐसा प्रावधान किया गया है कि आतंकी गतिविधियां या अवैधानिक गतिविधियों के लिए सजायाफ्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा के विरूद्ध गतिविधि चलाने वाले को पत्रिका प्रकाशन की अनुमति नहीं मिलेगी। बगैर पंजीयन के पत्रिका के प्रकाशन पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।

https://townhalltimes.com/aathvi-shatabdhi-tak-kedarnath-budh-math-tha-budh-murtio-ko-hi-hindu-devi-devta-bna-kar-dikahaya-gya-hai/स्वामी प्रसाद  मौर्य का दावा आठवीं शताब्दी  तक बदरीनाथ धाम बौद्ध मठ था।    बौध मठों को मंदिर में किया गया है परिवर्तित

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर  Anurag Thakur I&B Minister ने आज इस विधेयक पर हुयी चर्चा का जबाव देते हुये कहा कि प्रेस एवं बुक्स निबंधन कानून 1867 Press and Book Registration Act 1867  के स्थान पर यह विधेयक लाया गया है। इसमें गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए लाया गया है। उस समय अंग्रेज अपने सुविधा के अनुसार कानून बनाते थे लेकिन अब इसमें सुगमता लाने के लिए कई बदलाव किये गये हैं।

लेकिन अगर हम पुराने और नए कानून को पढ़े तो इसमें कोई ख़ास फर्क नहीं है सिवाए इसके कि मोदी सरकार अखबारों और मैगजीनों पर अपना शिकंजा कसना चाहती है इस कानून के जरिये मोदी सरकार प्रेस को डराना चाहती है इस कानून में में कहा गया है जो देश के खिलाफ सरकार के खिलाफ लिखेगा उसके खिलाफ कार्यवाही होगी और बिना रजिस्ट्रेशन के मैगज़ीन या अखबार निकालने पर पांच लाख का जुर्माना होगा

सबसे बड़ी बात कि इसमें ऐसी कोई नई बात नहीं है जो पहले से न चल रही हो जैसे

उन्होंने कहा कि अब तक जिला मजिस्ट्रेट से टाइटल जारी किया जाता था जिसमें आमतौर पर छह महीने का समय लगता था। अब इस कानून में ऑनलाइन आवेदन करने की व्यवस्था की गयी है और 60 दिनों में स्वत: ही टाइटल को मंजूरी मिल जायेगी। यह आवेदन प्रेस रजिस्टार जनरल और स्थानीय स्तर पर अधिकृत को भेजना होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कारोबार में सुगमता लाने के लिए 39 हजार अनुपालनों को समाप्त किया है या कम कर दिया है। इसके साथ ही कई और उपाय किये गये हैं।

जब की आज भी यही चल रहा है और बहुत सालो से ये ही चल रहा है ऑनलाइन होना भी बहुत पहले से है  तो इसमें नया कुछ भी नहीं है जबकि जरूरत थी इस प्रक्रिया को फ़ास्ट करने की और आंतरिक रूप से जो भ्रस्टाचार है उसको खत्म करने की प्रेस रजिस्ट्रार के ऑफिस में बिना रिश्वत दिए कोई कम नहीं होता है  इसके लिए काम होना चाहिए था , प्रेस रजिस्ट्रार ऑफिस के अधिकारी एक नम्बर के रिश्वत खोर है उस पर काम होना चाहिए  सबसे बड़ी बात वहा जो लोग बैठे है उनको ये नहीं पता वो काम क्या करते है यानी अयोग्य अधिकारी बैठे है वहा

उन्होंने कहा कि इसमें पुस्तकों की छपाई को शामिल नहीं किया गया है। इसमें सिर्फ पत्रिकाओं के पंजीयन को भी शामिल किया गया है जिसमें समाचार और उस पर टिप्पणी शामिल है। इसमें किताबें, वैज्ञानिक और अकादमिक जनर्ल शामिल नहीं है। यह भी प्रावधान किया गया है कि केन्द्र सरकार की पूर्व अनुमति से ही विदेशी पत्रिका का भारत में प्रिंट हो सकेगा। इसके लिए पंजीयन की प्रक्रिया अलग होगी।

 

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