नए रूप और स्वरुप में धारा 370 को लागू  करने की तैयारी ! लोकसभा में बिल पास

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कश्मीर से धारा ३७० हटने के बाद कश्मीर के सभी छोटे मोटे  नेताओं को उनके ही घर में नज़रबंद कर दिया गया लगभग दो साल तक कश्मीर  एक ऐसी जेल  jail में तब्दील रहा जहा लोग आराम से एक जगह से दूसरी जगह जा सकते थे लेकिन कुछ बोल नहीं सकते थे विशेषकर सरकार के खिलाफ यानी उनके लगभग सभी मौलिक  अधिकारों  fundamental rights  का हनन कर लिया गया   वो भी राष्टवाद Nationalism  के नाम पर अब इतने सालो के बाद कश्मीर में केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 (Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill, 2023, and the Jammu and Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill, 2023,)

https://www.livelaw.in/top-stories/winter-session-lok-sabha-jammu-and-kashmir-reservation-reorganisation-243865लेकर आई है जिसे लोकसभा में पास भी करवा लिया गया है वो भी बिना कोई  चर्चा के

अगर इन दोनों बिल को जरा गहराई से देखा जाए तो ये नए रूप और स्वरुप में घारा  ३७० की तरह ही है इसमें बदलने वाली बात ये है कि पुरानी धारा 370 में कश्मीर के निवासिओं को विशेष अधिकार थे अब नई धारा ३७० में विस्थापित कश्मीरी पंडितो को विशेष अधिकार और आरक्षण दे दिया गया है यानी एक जाति विशेष के लोगो को हलांकि कहने को शब्द कश्मीरी इस्तेमाल किया गया है लेकिन  कश्मीरी विस्थापित का मतलब केवल पंडित का ही इस्तेमाल किया जाता है कहने को इसमें सभी विस्थापित लोग होते है लेकिन उन्हें ऐसा कोई ख़ास लाभ नहीं होता

आइये अब थोडा विस्तार से समझते है आज के इन दो विधेयको को

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा ने बुधवार को पास कर दिया है. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस पर अपना पूर्वाग्रही  और बिना सिर पैर का ब्यान दिया  उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी टिप्पहणी की और कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर को प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा की गई दो भूलों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है – पहला, युद्धविराम की घोषणा करना, और फिर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (U N) में ले जाना… अगर जवाहरलाल नेहरू Jawahar Lal Nehru  ने सही कदम उठाया होता, तो पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर अब भारत का हिस्सा होता. यह एक ऐतिहासिक भूल थी.’

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर वोट-बैंक की राजनीति पर विचार नहीं किया होता और आतंकवाद से शुरुआत में ही निपट लेते, तो कश्मीरी पंडितों को घाटी नहीं छोड़नी पड़ती. उन्हों ने कहा कि अब ये दोनों विधेयक उन लोगों को न्याय दिलाएंगे जो पिछले 70 वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित हैं. ये विधेयक उन लोगों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व देंगे जिन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा था. उन्होंने 1947 में कश्मीर पर पाकिस्तान के हमले का भी जिक्र किया. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 1990 के दशक में आतंकवाद फैला और इन सभी घटनाओं के लिए कांग्रेस जिम्मेादार है.

शाह का कहना है कि “इस बिल के जरिए आतंकवाद की भयावह त्रासदी झेले लोगों को मजबूती मिलेगी. अपने ही देश में विस्थापित होकर अपने वतन से उखड़ कर रहे उनको अधिकार और मजबूती के लिए ये बिल है. आतंकवाद की वजह से 46631 परिवार और 157967 लोग अपने राज्य अपने शहर छोड़कर विस्थापित होकर दूसरे राज्यों में रह रहे हैं. लेकिन अमित शाह ये भी बताना भूल गए कि कश्मीरियो के पुनर्स्थापना के जो उन्होंने खुद वादे और प्रयास किये वो भी लटके हुए है बल्कि सिर्फ  भाषण तक ही सिमित है

इस बिल में  विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए 2 और पाक अधिकृत कश्मीर के विस्थापितों के लिए 1 सीट आरक्षित करने का प्रावधान है।

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अमित शाह ने कहा कि “जो लोग ये पूछ रहे थे कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से क्या होगा. तो मैं कहना चाहता हूं कि कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी और अगर फिर विस्थापन की स्थिति आएगी तो वो उसे रोकेंगे.

शाह का कहना है कि “इस बिल के जरिए आतंकवाद  Terrorism की भयावह त्रासदी झेले लोगों को मजबूती मिलेगी. अपने ही देश में विस्थापित होकर अपने वतन से उखड़ कर रहे उनको अधिकार और मजबूती के लिए ये बिल है. आतंकवाद की वजह से 46631 परिवार और 157967 लोग अपने राज्य अपने शहर छोड़कर विस्थापित होकर दूसरे राज्यों में रह रहे हैं. बिल में दो सीटें घाटी से विस्थापितों के लिए होंगी। 5 नॉमिनेटेड मेंबर होंगे। जम्मू-कश्मीर में अब 107 सीटों की जगह 114 सीटें होंगी।

गृह मंत्री शाह Home Minister Amit Shah  ने कहा ‘1980 के दशक के बाद (जम्मू-कश्मीर में) आतंकवाद का युग था और यह एक भयावह दृश्य था. जो लोग इस भूमि को अपना देश समझकर रहते थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया और किसी ने उनकी परवाह नहीं की, न ही इसे रोकने की कोशिश की. वास्तव में, वे इसे रोकने के लिए जिम्मेदार थे,  जबकि इंग्लैंड में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे.’ शाह   ने कहा कि इसे लोकसभा में “नया कश्मीर” विधेयक बताते हुए कहा कि वे पिछले 70 वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित लोगों को न्याय देंगे

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लेकिन नोट्बंदी  demonetization और धारा  article 370  को कहा गया था कि  इनसे आतंकवाद की कमर टूटेगी जबकि ऐसा बिलकुल नहीं हुआ  बल्कि आये दिन  इस तरह की घटना होती ही आ रही है  और इन  आतंकवाद की घटनाओं को टारगेट किलिंग  target Killing का नाम देकर भाजपा ने अपना सिर्फ वोट बैंक साधने की कोशिस की है  इसमें पुलवामा  एक बहुत बड़ी घटना है जिसकी आजतक जांच नहीं हुई है|

हंसी तो तब आती है जिनके मंत्री से लेकर संतरी तक सुबह से लेकर शाम तक  देश के मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते रहे है  और देश में एकता की बात करते है , राष्ट्रवाद की बात करते है सबसे विशेष बात कि मलिकार्जुन खडके ने एक बार कहा ही था कि ये भाजपाई लोगो के वंशज खुद विदेशी मूल के है

इससे भी ज्यादा हंसी की बात तब और हो जाती है अपने आपको शान्ति ,सह्ष्णु कहने वाले भारत के कर्णधार हमेशा हिंसा और हमले की बात करते रहते है लेकिन चीन के मामले पर चुप हो जाते है

एक और अजीब सा तर्क इस बिल के दौरान पी ओ के को लेकर देखिये शाह का कहना है .पीओके में, 24 सीटें आरक्षित की गई हैं क्योंकि पीओके pok  हमारा है…

अमित शाह ने कहा ‘जम्मू और कश्मीर पर दो विधेयकों में से एक में एक महिला सहित दो कश्मीरी प्रवासी समुदाय migrant community  के सदस्यों को विधानसभा में नामांकित करने का प्रावधान है… पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, अब 43 हैं. पहले कश्मीर में 46 थीं, अब 47 हैं और पीओके में, 24 सीटें आरक्षित की गई हैं क्योंकि पीओके हमारा है… दो सीटें कश्मीरी प्रवासी समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षित होंगी, और एक सीट पीओके से विस्थापित लोगों के लिए आरक्षित होगी. पहली बार, नौ सीटें एससी/एसटी समुदायों के लिए आरक्षित होंगी.’

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