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इस्लाम में मजदूर का हक : International Labours Day

पैग़म्बर मुहम्मद साहब (स अ व) ने मज़दूरों/कर्मचारियों/सेवकों के हक़ में अपने मानने वालों को सख्त दिशा निर्देश दिए और न सिर्फ उनके अधिकार बयान किये बल्कि उनके अधिकारों के उल्लंघन करने पर लोक परलोक में सख्त अज़ाब/सज़ा की चेतावनी भी दी और फरमाया…

“जब तुम किसी मज़दूर को काम पर रखो तो पहले उसकी मज़दूरी तय कर लो”
(Sunan an-Nasai 3857)

“मज़दूर की उसके काम में मदद करो”
(Adab al-Mufrad 191)

“तुम्हारे मातहत (मज़दूर/सेवक) तुम्हारे भाई है, उन्हें वही खिलाओ जो खुद खाते हो, वही पहनाओ जो खुद पहनते हो, और उन पर उनकी ताक़त से ज़्यादा बोझ न डालो, अगर ज़्यादा बोझ डालो भी तो फिर उन काम मे उनकी मदद करो”
(Sahih Bukhari 2545)

“जब किसी मज़दूर से काम लो तो उसकी पूरी मज़दूरी अदा करो”
(Bulug al-Maram 914)

“मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी अदा कर दो”
(Sunan Ibn Majah 2443)

“रोज़े क़यामत मै ऐसे शख़्स के खिलाफ वकील रहूंगा (यानी मज़दूर की पैरवी करूँगा) जिसने मज़दूर से काम लेने के बाद उसकी मज़दूरी अदा नही की”
(Sunan Ibn Majah 2442)

मज़दूर दिवस/Workers’ Day

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