गौतम अडानी Gautam Adani ने 26 मई 2014 की शाम 6 बजे अपना कारोबार शुरू नहीं किया था। उनका व्यापारिक सफर इंदिरा गांधी काल के दौरान शुरू हुआ। राजीव गांधी, पी.वी. नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में उनका बिज़नेस ग्लोबल ऊँचाई पर पहुँचा और उसी दौरान वे “भारत के शीर्ष 10 उद्योगपति क्लब” में शामिल हो गए। इस बीच में वीपी सिंह, चंद्रशेखर, देवेगौड़ा और गुजराल की सरकारें भी आईं। पर उनकी तरक़्क़ी नहीं रुकी।
1981 (इंदिरा गांधी काल): Indira Gandhi अडानी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में अपने बिज़नेस जीवन की शुरुआत की। उनके बड़े भाई मनसुखभाई अडानी ने उन्हें अहमदाबाद में एक प्लास्टिक यूनिट को सँभालने के लिए कहा। ये उनकी शुरुआत थी।
1985 (राजीव गांधी काल): प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में अडानी ने पॉलिमर्स के आयात में कदम रखा। उनके वैश्विक व्यापार में शामिल होने की नींव यहीं पड़ी। बिज़नेस को ग्लोबल ले जाना हमेशा उनके एजेंडे पर रहा। 1988 (राजीव गांधी काल): अडानी एक्सपोर्ट की स्थापना। बाद में यही कंपनी अडानी एंटरप्राइज़ बन गई। शुरू से ही कंपनी का ध्यान एग्रो प्रोडक्ट और ऊर्जा पर था।
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1991 (नरसिम्हा राव काल): PV Narsimha Rao प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने आर्थिक उदारीकरण नीतियों की शुरुआत की। इस समय कई उद्योग तेज़ी से बड़े हुए। अडानी उनमें शामिल थे। उन्होंने मैटल, वस्त्र, और कृषि उत्पादों के व्यापार में विविधीकरण किया। नई आर्थिक नीतियों का लाभ उठाया।
1995 (नरसिम्हा राव काल): नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान, अडानी ने मुंद्रा पोर्ट हासिल किया और पहली जेटी स्थापित की। मुंद्रा पोर्ट एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन के द्वारा संचालित ये पोर्ट बाद में अडानी पोर्ट्स एंड SEZ (APSEZ) का हिस्सा बन गया। ये अब भारत का प्रमुख बंदरगाह है। नरसिम्हा राव शासन: अडानी समूह की बिजली व्यापार शाखा अडानी पावर प्रधानमंत्री राव के कार्यकाल में स्थापित हुई। कंपनी ने तेजी से विस्तार किया और भारत में थर्मल ऊर्जा उत्पादकों में नंबर वन प्लेयर बन गई, जिनके थर्मल पावर प्लांट क्षमता लगभग 4620 मेगावॉट थी। 2006 (मनमोहन सिंह काल):
अडानी ने मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान समूह के पोर्टफोलियो में और भी विविधीकरण किया और विद्युत उत्पादन-वितरण व्यवसाय में धाक जमाई। ये अडानी का बेहद सफल बिज़नेस साबित हुआ।
2009-2012 (मनमोहन सिंह काल): मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान अडानी ने विदेश में बिज़नेस फैलाया। कई अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण किए। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एबट प्वाइंट पोर्ट और क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में कारमाइकल कोयला खदान coal Mine का अधिग्रहण किया। इस तरह अडानी मनमोहन सिंह के शासन में कोयला, बिजली और पोर्ट के क्षेत्र में वैश्विक खिलाड़ी बन गए। इन वर्षों की सरकारी नीतियाँ से अडानी और ऐसे दर्जनों कारोबारियों को व्यापार को बढ़ावा देने में मदद मिली। यह नीतियाँ भारत की विकास में भी सहायक रहीं।
इनसे रोज़गार भी पैदा हुआ। तब की कांग्रेस सरकारें उद्योगों और उदारीकरण की समर्थक रहीं। ये समझना ज़रूरी है कि 2014 में मोदी सरकार आने से पहले ही अडानी बड़े, बहुत बड़े बन चुके थे।
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विशेष आभार दिलीप मंडल ट्वीट
गौतम अडानी ने 26 मई 2014 की शाम 6 बजे अपना कारोबार शुरू नहीं किया था। उनका व्यापारिक सफर इंदिरा गांधी काल के दौरान शुरू हुआ। राजीव गांधी, पी.वी. नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में उनका बिज़नेस ग्लोबल ऊँचाई पर पहुँचा और उसी दौरान वे "भारत के शीर्ष 10 उद्योगपति क्लब" में… pic.twitter.com/c06USYj2en
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) September 12, 2023