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किसान आन्दोलन Update :अपने ही नागरिको के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है मोदी सरकार ने

दिल्ली में किसान आन्दोलन को देखते हुए बॉर्डर के चारो तरफ कीलो वाली सडके बिछा दी गई है आंसू गेस के गोले किसानो पर छोड़े जा रहे है , वाटर केनन में खुजली वाला खतरनाक केमिकल मिला कर किसानो पर छोड़ने की तैयारी है , चारो तरफ पुलिस और परा मिलिट्री फ़ोर्स के जवान तैनात है ड्रोन से भी  आंसू  गेस के गोले छोड़े जा रहे है

दिल्ली की तरह आने वाले किसानो को जबरदस्ती गिरफ्तार किया जा रहा है उनके साथ मार पीट की जा रही है  बॉर्डर से सटे ग़ाव  में दहशत फैलाने के लिए पुलिस घूम रही है वहा लोगो को चेतावनी दे रही है कि कोई बाहर न आये

photo Internet

ऐसा लग रहा  है कि जैसे मोदी ने अपने ही किसान नागरीको के खिलाफ एक युद्ध की घोषणा कर दी है , गोदी मीडिया सरकार का पक्ष लेते हुए सरकार की तरफ से खबरे चला रहा है और किसानो को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है भाजपा का आई टी सेल भी काफी सक्रिय हो गया  और किसानो के खिलाफ माहौल बनाने में लगा है

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तीन काले कानून के खिलाफ एक साल से ज्यादा किसान आन्दोलन पुरे देश  में चला और दिल्ली के आस पास किसान एक साल तक बैठे रहे इसी दौरान 650 से ज्यादा किसानो की मौत हुई और अंत में मोदी सरकार को अपने घुटने टेकने पड़े

ये थे तीन नए कृषि कानून जिन्हें पीएम मोदी ने लिया आज वापस

पहला कृषि कानून– कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020. इसके अनुसार किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते थे. इतना ही नहीं बिना किसी अवरोध के दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते थे. कोई भी लाइसेंसधारक व्यापारी किसानों से परस्पर सहमत कीमतों पर उपज खरीद सकता था. कृषि उत्पादों का यह व्यापार राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए मंडी कर से मुक्त किया गया था.

दूसरा कृषि कानून – किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 था. यह कानून किसानों को अनुबंध खेती करने और अपनी उपज का स्वतंत्र रूप से विपणन करने की अनुमति देने के लिए था. इसके तहत फसल खराब होने पर नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों द्वारा की जाती.

photo ANI /google

तीसरा कानून- आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम.इस कानून के तहत असाधारण स्थितियों को छोड़कर व्यापार के लिए खाद्यान्न, दाल, खाद्य तेल और प्याज जैसी वस्तुओं से स्टॉक लिमिट हटा दी गई थी.

आन्दोलन के खत्म होते वक्त सरकार ने किसानो की मांगे मान ली थी और भरोसा दिलाया था कि उनकी सभी वाजिब मांगे मान ली जाएंगी जिसमे एम् एस पी (MSP )  भी शामिल  थी

लेकिन शुरू से ही ऐसा लग रहा था कि मोदी ने किसानो के साथ एक बार फिर  धोखा कर दिया है और किसानो की मांगे न तो मानी गई और न ही उन पर सही ढंग से विचार किया गया  यही कारण रहा एक बार फिर किसानो ने दिल्ली को घेरने का निर्णय लिया और 13 फरवरी 2024 को दिल्ली कुंच का एलान किया

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कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने एक टी वी चैनल से बात करते हुआ ब्यान दिया है कि किसानो का ये मार्च राजनीती से प्रेरित है , अर्जुन मुंडा ने ये भी कहा कि तुरंत कोई काम नहीं हो सकता हर कार्य की एक पद्धति होती है  वह कार्य उसी पद्धति से होता है , लेकिन अर्जुन मुंडा  ने ये नहीं बताया की यह पद्धति की प्रक्रिया कब पूरी होगी क्योकि अब तक दो साल होने को आये तो वह तथाकथित प्रक्रिया कब पूरी होगी ,

किसानो पर आंसू गेस के गोले बरसाए  जा रहे है इस पर अर्जुन मुंडा बोले यह तो राज्य के अधीन है कि वह राज्य कैसे अपने अधिकार क्षेत्र में शान्ति बनाये रखता है

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जितनी पुलिस सेना , पुलिस अधिकारी  सरकारी अमला इस वक्त किसानो को रोकने ,धमकाने में डराने में ,दहशत फैलाने में लगा है अगर इतने ही लोग मोदी सरकार ने गलवान घाटी और अरुणाचल  प्रदेश में लगा देते तो भारत के गलवान घाटी में इतने सैनिक शहीद न होते और न ही भारतीय जमीन पर चीन का कब्जा न होता , ऐसा लगता है कि मोदी ने अपने ही किसान नागरिको के खिलाफ एक जंग छेड़ दी है जो कभी देशहित में नहीं  हो सकती

 

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