आधा, अधुरा भारत जोड़ो कार्यक्रम
राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा आज दिल्ली पहुच गई और कुछ ही घंटो के बाद दिल्ली से अपने अगले गंतव्य के लिए रवाना हो जाएगी
विपक्षी लोगो को कहना है जो अपनी पार्टी नहीं जोड़ सकता वो भारत क्या जोड़ेगा , वो इस यात्रा को भारत भ्रमण भी बता रहे है कि चलो इस बहाने राहुल गाँधी असली भारत के दर्शन कर लेंगे .
राहुल गाँधी ने बीच बीच में प्रेस कांफ्रेंस भी की है जिसमे उन्होंने कहा कि उन्होंने नफरत के बाजार में मोहब्बत की दूकान खोली है , उन्होंने देश में फैली गरीबी महंगाई पर भी वार किया तो उनकी इन बातों का भाजपा की तरफ से पलटवार भी आया जो शायद काफी कुंठा से भरा रहता था
राहुल गाँधी ने इस यात्रा के दौरान समाज और क्षेत्र के लोगो से संवाद भी स्थापित किया और उन लोगो ने राहुल गाँधी से अपने मुतालिक भविष्य को लेकर सवाल भी पूछे अब कितना सतुष्ट है ये लोग ये वाजी जाने , बहरहाल राहुल गाँधी अपनी यात्रा करते जा रहे है और कह रहे है कि मीडिया उनकी अनदेखी कर रहा है
कुछ सवाल बहुत बहुत गहरे है जो राहुल गाँधी शायद उनके जवाब कभी नहीं दे पायंगे
पहला सवाल देश का नाम भारत है लेकिन राहुल गाँधी देश को हिंदुस्तान ही कहते है तो कही न कही ये एक वर्ग को लुभाने की कोशिस रहती है
नफरत की जिस दूकान की बात राहुल गांधी करते है इसकी पहली बोहनी जवाहर लाल ने की थी जब उन्होंने ऐसे हिन्दूवादी को लोकसभा में लाये जिनको बाहर हो जाना था ,इसके बाद मुस्लिम लीग के कट्टर मुसलमानों को भी कांग्रेस में जगह मिली जो किसी कारणवश भारत में ही रह गए थे .
१९५६ में डॉक्टर आंबेडकर को इस्तीफ़ा इसलिए देना पढ़ा क्योकि पूना पैक्ट और अन्य सामाजिक सुधारों से नेहरु पीछे हट्टे दिखे जिनकी बाते बटवारे से पहले की गई थी
इसलिए नेहरु जातिवाद और सम्प्रदायवाद को खुद पालते पोसते चले आ रहे थे और यही कारण था कि जे पी आन्दोलन के वक्त तक आम आदमी गरीबी महंगाई , सामाजिक वाव्य्स्था से परेशान हो चूका था
नेहरु –इंदिरा – राजीव गाँधी के वक्त तक काफी साम्प्रदयिक दंगे हुए जिनमे जानबूझ कर तथाकथित हिंदुवादियो को ही सरकारी मदद मिलती थी यानी दंगो के दौरान पुलिस प्रशासन केवल हिन्दू का साथ देता था इसी तरह जातिवादी दंगो में उच्च जाति के लोगो की मदद की जाति थी जिसमे दलितों का नरंसहार पुलिस और प्रशासन की मदद से होता था और बाद में ओपचारिकता के लिए किये गए पोलके केस में मुख्य अपराधी अदालत में बरी हो जाते थे क्योकि जज भी जातिवादी होते थे वो भी उच्च जाति के
आज साधू , नेता , हिंदूवादी संघठन खुलेआम हत्या की बाते करते है दंगो की बाते करते है लेकिन पुलिस प्रशासन कुछ नहीं करता क्योकि वो पक्षपाती है और ये परम्परा कांग्रेस ने चलाई है और आज भी राहुल गाँधी जिस तरह से यात्रा कर रहे है और जिन लोगो से संवाद कर रहे है ये सब प्लांटेड लोग है जिनसे राहुल की बाते करवाई जा रही है , जिनसे प्रश्न पूछ्वाये जा रहे है ,
राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे है लेकिन इस लगभग तीन हजार किलोमीटर की यात्रा में राहुल गाँधी ने कही भी किसी भी ग़ाव में चौपाल में प्रवेश नहीं किया , राहुल गाँधी ने कही भी जा कर ग़ाव में दलितों के घर नहीं देखे , उनका जीवन नहीं देखा , कभी किसी आदिवासी ग़ाव में नहीं देखा तो कैसा भारत जोड़ रहे है राहुल गाँधी जो इन्हें वोट दे , प्रचार करे ??
कभी जा कर किसी ग़ाव में हंडिया में पानी पीया ? सीली लकड़ी जलने पर उठने वाला धुँआ आँखों में लगा राहुल गाँधी के ?? या सडक पर किसी दस्तकार को बुला कर देख लिया भारत या कुम्हार को बुला कर भारी सुरक्षा के बीच चाक चला कर देख लिया भारत . राहुल गाँधी को यह बात समझनी चाहिए की भारत देखने का नहीं जीने का और संघर्षो से लड़ने का देश है यहाँ बदनसीबी , गरीबी , लाचारी , मजबूरी कर्मो से नहीं जन्म से लिखी जाती है , आप इंसान है या नहीं ये बात आपका वव्हार , आपका चाल चलन नहीं आपकी जाति तय करती है , कुल मिला कर राहुल गाँधी की ये यात्रा राजनैतिक रूप से ज्यादा समझा जाना चाहिए न कि भारत के संदर्भ में
राहुल गाँधी या कांग्रेस को भी यह समझ लेना चाहिए कि राहुल गांधी की यह यात्रा कांग्रेस को कोई भी राजनैतिक लाभ नहीं देने वाली क्योकि इस वक्त भाजपा को कोई भी एक संघटित राष्ट्रीय पार्टी ही मात दे सकती है , जो हाल फिलहाल के परिपेक्ष्य में बिलकुल संभव नहीं है क्योकि जैसे ही भाजपा को हराने के लिए सभी पार्टियो का एक घटजोड़ तैयार करने की कोशिश की जाती है तुरंत हर पार्टी की अपनी अपनी राजनैतिक महत्त्वक्षन्साए जाग जाती है और इनका वो हाल हो जाता है कि लूट की दौलत अभी मिली नहीं है लेकिन पहले से सबको लूट का हिस्सा सुनिश्चित करना है
लेकिन इसमें एक बात साफ़ साफ़ नज़र आ रही है कि भाजपा इस यात्रा से घबराई हुई है और इस यात्रा का परिणाम सिर्फ इतना है कि लोगो में मोदी सरकार के खिलाफ जानकारी आ रही है