Electoral Bond :हैकिंग द डेमोक्रेसी, सिर्फ मौलिक अधिकार नहीं , देश और लोकतंत्र पर डाका डाला भाजपा ने !
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नई दिल्ली : कल ही देश के सुप्रीम कोर्ट ने राजनैतिक पार्टियो को दिए जाने वाले एलेक्ट्रोल बांड के जरिये दिए जाने वाले राजनैतिक चंदे को रद्द कर दिया कोर्ट ना कहा कि ये देश के नागरिको के मौलिक अधिकार का हनन करती है अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट नेकहा कि यह स्कीम सूचना के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत
बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है। सर्वोच्च अदालत ने चुनावी बॉन्ड योजना लाने के लिए
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और आयकर कानूनों सहित विभिन्न कानूनों में किए गए संशोधनों को भी अवैध ठहरा दिया। इलेक्टोरल बॉन्ड के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया था कि यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। इसके साथ ही यह
भी कहा गया था कि कॉर्पोरेट फंडिंग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ है।
देश में ऐसी अटकले है जिसकी बात विदेशो में बैठी कुछ एजेंसियां भी करती है कि भाजपा ने 2014 का लोकसभा चुनाव ई वी एम् और भ्रामक विज्ञापन के जरिये जीता था और इसमें लगभग सत्ताईस हजार करोड़ का एक आंकड़ा था भाजपा का चुनाव खर्चे का इस तरह भाजपा ने न सिर्फ चुनाव जीता बल्कि देश के लोकतंत्र पर ही डाका डाल दिया और लोकतंत्र को हैक कर लिया
हलांकि अपने देश के लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की लूट का अहसास सभी पार्टियो और आम आदमी को धीरे धीरे होने लगा था कि हमने तो एक अच्छे प्रशासन की उम्मीद की थी अच्छे दिन की उम्मीद की थी लेकिन नरेंदर मोदी के भाषण , झूट , और देश में बढती भाजपाई नेताओं की अराजकता , भाजपा गुंडों का कभी गाय के नाम पर कभी हिन्दू राष्ट्र के नाम पर आतंक बढ़ता जा रहा था ऐसा कही से भी एक आम आदमी को जो जरा भी संजीदा और पढ़ा लिखा था उसको नरेंदर मोदी एक प्रधानमंत्री लगता था हर व्यक्ति को ऐसा लगता है कि ये कोई प्रधानमंत्री न हो कर किसी गैंग का डॉन है
नब्बे प्रतिशत से ज्यादा इलेक्टोरल बांड केवल भाजपा के खाते में आये
चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दिया जाता है। इसकी व्यवस्था पहली बार वित्त मंत्री ने 2017-2018 के केंद्रीय बजट मेंकी थी। इसके बाद 29 जनवरी 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम लाई गई। इसके तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
की चुनिंदा शाखा से भारत का कोई भी व्यक्ति या कंपनी एक हजार, 10 हजार, एक लाख और एक करोड़ रुपये के गुणांक में बॉन्ड्स खरीदकर अपनी पसंद की पार्टी को दान दे सकता था। इसमें शर्त यह थी कि इसे उन्हीं अकाउंट्स के जरिए खरीदा जा सकता था, जिनमें केवाईसी की जानकारी पूरी हो एसबीआई से बॉन्ड्स खरीदनेके 15 दिनों के अंदर इसका इस्तेमाल
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के सेक्शन 29 ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को दान देनेके लिए करना होता था। हालांकि,केवल उन्हीं राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरियेचंदा दिया जा सकता है, जिन्होंने सबसे ताजा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में डाले गए वोटों का कम-से-कम एक प्रतिशत वोट हासिल किया हो।
ये बाते लोगो के मन में घर कर ही रही थी कि 2019 के चुनाव की भी भाजपा ने लूट कर ली इसके बड तो गरीबी, महंगाई , बेरोजगारी , सुशासन तो छोड़ दो उसेक बाद से तो अराजकता की कोई सीमा ही नहीं रही है और अब भी भाजपा ई वी एम् के दम से चुनाव जितने की फिराक में है लेकिन देश के जागरूक नागरिको ने भाजपा को मिलने वाले इलेक्ट्रोल बांड का जब खुलासा करवाया तो आज पूरा देश हैरान हो गया है कि किस तरह पुरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशो से भी सम्बन्ध रखने वाले कॉर्पोरेट घराने कैसे भाजपा को एलेक्ट्रोल बांड के रूप में चुनावी चंदे दे रही है और सरकार को अपने इशारे पर नचा रही है , अम्बानी , अडानी टाटा कोटक बजाज , बिरला और ऐसे ही लोगो के हितो में सरकार काम कर रही है ओक्सफेम की रिपोर्ट ने भी यह साबित कर दिया है कि भारत के लोगो को कुछ गिने चुने पूंजीपतियो ने कंगाल बना दिया है और सारी पूंजी इन्ही पूंजीपतियो के पास जमा हो गई है , गरीबी , महंगाई , अशिक्षा लगातार बढती जा रही है
आज पुरे देश में सरकार के खिलाफ ई वी एम् को लेकर आन्दोलन हो रहे है लेकिन चुनाव आयोग सरकार के दिए तर्क बता कर चुनाव ई वी एम् से ही कराना चाहता है जिसका मतलब होगा देश के लोकतंत्र को एक बार फिर से हैक कर लेना