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लोकतंत्र, मानवाधिकार, न्यायपालिका, वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य पर हमला सार्वभौमिक विषय है सपा सांसद : जावेद अली खां: Surender Kumar

लोकतंत्र, मानवाधिकार, न्यायपालिका, वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य पर हमला सार्वभौमिक विषय है सपा सांसद : जावेद अली खां

नई दिल्ली:   Town Hall Times लोकतंत्र, मानवाधिकार, न्यायपालिका, वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य पर हमला सार्वभौमिक विषय है इसकी निन्दा कभी भी कहीं भी, किसी के भी द्वारा की जा सकती है किसी विशेष स्थान, समय व ऋतु का होना आवश्यक नहीं है  यह बात सपा सांसद ने संसद में राहुल गाँधी के ब्यान पर मचे घमासान के परिपेक्ष्य में कही

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के लंदन वाले बयान पर सियासी घमासान मचा है. संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के दो दिन की कार्यवाही राहुल गांधी के बयान के कारण ठप रही. भारतीय जनता पार्टी (BJP) उनके बयान को संसद की अवमानना बताते हुए माफी की मांग पर अड़ी है.

यह सनद रहे कि  राहुल गाँधी ने  कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कहा था कि भारत की संसद में माइक बंद कर दिए जाते हैं. विपक्ष अपनी आवाज नहीं रख सकता है. उन्होंने कहा कि विपक्ष का कोई नेता किसी भी यूनिवर्सिटी में बोल नहीं सकता है. भारत में लोकतंत्र पर सीधा प्रहार हो रहा है.

इसके बाद से देश में घमासान मचा हुआ है  अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को राहुल गांधी पर निशाना साधा. ठाकुर ने कहा- ‘लोकसभा में कांग्रेस सांसद की उपस्थिति सांसदों की औसत उपस्थिति से भी कम है. वे विदेशों में जाकर कहते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जाता. ये देश का अपमान है. उन्हें संसद में आकर माफी मांगनी चाहिए.

सिम्रिति ईरानी ने कहा है राहुल गांधी का ब्यान ठीक वैसा ही है जैसे प्राचीन काल में लोग विदेशी आक्रान्ताओं को भारत पर हमले के लिए आमंत्रित करते थे  इसके लिए राहुल गाँधी को  माफ़ी मांगनी चाहिए कांग्रेस सांसद और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को कहा कि सरकार संसद नहीं चलाना चाहती. क्या कभी ऐसा देखा गया है कि सत्ताधारी दल के सभी सदस्य संसद को रोकने के लिए हंगामा करते हों? राहुल गांधी को माफी क्यों मांगनी चाहिए? इसके बजाय, उन्हें (केंद्र को) माफी मांगनी चाहिए.

वही दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के सांसद श्री जावेद अली खां ने कहा है लोकतंत्र, मानवाधिकार, न्यायपालिका, वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य पर हमला सार्वभौमिक विषय है इसकी निन्दा कभी भी कहीं भी, किसी के भी द्वारा की जा सकती है किसी विशेष स्थान, समय व ऋतु का होना आवश्यक नहीं है

उनके इस ब्यान का सार   राहुल  गांधी के ब्यान का समर्थन तो है ही लेकिन इस बात की और ज्यादा इशारा कर रहा है की देश में लोकतंत्र, मानवाधिकार, न्यायपालिका, वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्ता  की हालत कुछ ज्यादा ही बिगड़ी हुई है और  यह चिंता का विषय है और इस पर  व्यापक रूप से  बात होनी चाहिए

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