अब स्वच्छ भारत 2.0 : विपक्ष-मुक्त संसद की ओर  (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

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अब स्वच्छ भारत 2.0 : विपक्ष-मुक्त संसद की ओर  (व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

क्या काफी देर नहीं हो गयी? मोदी 2.0 चलते-चलते अपने छोर पर पहुंच गया। अमृत काल आकर पुराना भी पड़ गया। उसके बाद तो जी-20 का मेला भी लग गया। और ये जनाब अब आ रहे हैं, खरामा-खरामा, टहलते, टहलते। खैर! देर से ही सही, कम से कम स्वच्छ भारत 2.0 लगा तो सही। और पहले न सही, कम-से-कम नये मोदी भवन में, संसद बैठने से पहले तो लग ही गया। नये इंडिया के नये संसद भवन में बैठने वाली संसद भी, अब कम-से-कम नयी-नयी, स्वच्छ-स्वच्छ होगी ; पुरानी जैसी ऊबड़-खाबड़ नहीं। नये इंडिया की नयी संसद में सब काम करीने से होगा। कायदे से, एकदम नियमानुसार होगा। स्वच्छ भारत की स्वच्छ संसद जो होगी। सब कुछ ही स्वच्छ व सुंदर होगा। चर्चा-वर्चा नहीं होगी तो क्या, मुद्दा-वुद्दा नहीं होगा तो क्या, शिष्टाचार पूरा होगा और हर पल जयकार होगा। हर सुबह संसद बैठेगी और हर दिन जयकार होगा। विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता की – जय हो, जय हो, जय हो! एक सौ चालीस करोड़ भारतीयों के चुने हुए नेता की – जय हो, जय हो, जय हो! विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र बल्कि डेमोक्रेसी की मम्मी के ज्येष्ठ पुत्र की – जय हो, जय हो, जय हो! विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के इकलौते नेता की – जय हो, जय हो, जय हो! छोटी महाशक्ति के छप्पन इंची छाती वाले सबसे बड़े नेता की – जय हो, जय हो, जय हो! रामलला को बेघर से महलवान बनाने वाले, विश्व के सबसे धर्मप्राण नेता की – जय हो, जय हो, जय हो! विश्व की सबसे अमीर पार्टी के सबसे फकीर सुप्रीमो की – जय हो, जय हो, जय हो! आरंभ, मध्य, अंत, सब में जयकार होगा। बाकायदा स्पीकर भी होगा और नियमानुसार ब्रेक की घोषणा वही करेगा – कल फिर मिलते हैं इसी समय, एक ब्रेक के बाद।

राहुल गांधी से शुरूआत हुई है, स्वच्छ भारत 2.0 के निर्माण की। स्वच्छ भारत 1.0 में काफी हो ली शहरों और गांवों की सफाई; घरों, द्वारों, दफ्तरों, वगैरह की सफाई। गंगा जी की सफाई। और तो और पिछवाड़ा छुपाने के लिए इज्जतघर हों या चाहे नहीं हों, खेतों, झाडिय़ों, ढूहों, नदी-सडक़ किनारे, दिशा-मैदान का मौका ताकने वालों की सफाई भी। इसके साथ-साथ, शहरों-कस्बों से कट्टीखानों की सफाई। मांस, चमड़ा वगैरह का कारोबार करने वालों की सफाई। जगह-जगह मांसाहारी होटलों की सफाई। बच्चों के दोपहर के भोजन में से जगह-जगह अंडे-वंडे की भी सफाई। मोहल्लों, सोसाइटियों से टोपी-दाढ़ी वालों की सफाई। संसद-विधानसभाओं वगैरह से भी टोपी-दाढ़ीवालों की सफाई। मुस्लिम लगने वाले नामों की सफाई। आजादी-आजादी चिल्लाने वालों की सफाई। आंदोलन-वांदोलन करने वालों की सफाई। लैला-मजनूंगीरी के चक्कर में धर्मों की मिलावट करने वालों की सफाई। टीवी-अखबार वगैरह के धंधे में रहकर भी, बादशाह सलामत को नाखुश करने वालों की सफाई। हिंदुओं की महानता कम कर के दिखाने वाले इतिहास की सफाई। इतिहास से मुस्लिम शासकों की सफाई। अंगरेजों से लड़ाई के इतिहास में से टीपू सुल्तान की सफाई। सावरकर, आरएसएस, गोडसे के असली इतिहास की सफाई। यूं ही सफाई चलते-चलते अमृतकाल भी आ गया। सफाई करने को कुछ खास नहीं बचा और गुलामी की अंगरेजों से भी पुरानी निशानियां मिटाने के चक्कर में, राजपथ बदलकर कर्तव्य पथ और मुगल गार्डन बदलकर, अमृत उद्यान भी हो गया। इसके बाद भी स्वच्छ भारत 2.0 नहीं आता, तो कब आता। हम दो – हमारे दो के पवित्र रिश्ते पर आरोपों के दाग लगाकर, विरोधी स्वच्छ भारत 1.0 के भी बखिए उधेड़ देते तब?

इसलिए, शुक्र है कि आखिरकार स्वच्छ भारत 2.0 लग गया और संसद की सफाई का नंबर आ गया। राहुल गांधी की सदस्यता चली गयी। पवित्र रिश्ते पर सवाल पूछने चले थे, सदस्यता चली गयी। जवाब देने का मौका मांगते ही रह गए, सदस्यता चली गयी। सूरत का फैसला दिल्ली तक ठीक से पहुंचा भी नहीं था, तब तक संसद की सदस्यता चली गयी। अच्छा है, अब दूसरों के भी कान हो जाएंगे कि भाई, पवित्र रिश्ते के जिक्र से बचाव में ही बचाव है; सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेता की भी सदस्यता चली गयी। अब सब अनुशासन में रहेंगे।

अब सब बादशाह सलामत से डर कर रहेंगे। पब्लिक से खुद को चुनवा लेना ही काफी नहीं है, बादशाह सलामत की मेहरबानी रहना भी जरूरी हैं; वर्ना राहुल गांधी की तरह बोलने का मौका मांगते ही रह जाओगे! फिर भी अगर कोई सवाल-ववाल पूछकर संसद का माहौल खराब करने की कोशिश करेगा, तो बाहर धकेले जाने के लिए दरवाजा चौपट खुला है। बस किसी डबल इंजन वाले …

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