भारत  राष्ट्र निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर पुरे विश्व के लिए ज्ञान और मानव अधिकारों के प्रेरणा श्रोत

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.टाउन हॉल टाइम्स , ये भी आप सभी को बड़े कमाल की बात मिलेगी कि पुरे विश्व में हर धर्म में भाई चारा , बंधुत्व  और समानता की बाते नज़र आएँगी या उनके उपदेशक बतायेंगे , लेकिन  ये उपदेशक ये नहीं बता पाते कि बावजूद इसके आपके धर्म में समाज में भेदभाव क्यों है , क्यों आप एक दुसरे  को गुलाम बनाने के लिए उतारू है , क्यों नहीं आप एक दुसरे को समान समझते क्यों नहीं आपके अंदर इंसानियत जागती ?

ऐसा ही भारत के ब्राह्मण धर्म में जिसे  कभी हिन्दू धर्म , तो कभी  सनातन धर्म  कह कर  एक धर्म के रूप में स्थापित करने की कवायद चल रही है  जो की पूरी तरह जातिय भेदभाव , उत्पीडन ,सूत हिंसा पर टिका है जिसमे एक व्यक्ति को दुसरे व्यक्ति के ऊपर अत्याचार करने को धर्म कहा जाता है उसे छोटा  और वंचित रहने को  धर्म कहा जाता है , इस ध्स्र्म की सबसे बड़ी बात ये कि इस धर्म की सभी किताबे यानी ब्राह्मण धर्म की सभी किताबे केवल ब्राह्मणों ने लिखी , और ब्राह्मणों ने पाने को ही ईशवर का प्रतिनिधि बताया और  अपने आपको ही श्रेष्ट  रखा यानी समाजिक स्तर पर ये खुद ही श्रेष्ट है और ये बाते इन्होने खुद ही लिखी है

हजारो साल की घृणित गुलामी से लड़ते हुए डॉ. भीम राव आंबेडकर  ने भारत के मूलनिवासियो के लिए  अंग्रेजो  से पृथक निर्वाचन हांसिल किया लेकिन यानी भारत के आजाद होने के बाद दलित अपने प्रतिनिधि अपने ही लोगो को चुन सकेंगे  और अपने दोहरे वोट के जरिये देश के प्रतिनिधि को चुन सकेंगे  जिसकी वजह से मूलनिवासियो के उत्पीडन की समस्या एकदम खत्म हो जाती लेकिन यहाँ पर गाँधी ने  एक राजनैतिक दाव मारा और अपनी नौटंकी से भूख हड़ताल पर बैठ गया और   पुरे देश में एक राजनैतिक माहौल बना कर  डॉ. आंबेडकर को पूना पैक्ट के लिए राजी कर लिया जिसमे पृथक निर्वाचन खत्म करके मूलनिवासी  लोगो के लिए आरक्षण पर सहमती बनाई गई

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 यानी अगर डॉ. बी आर आंबेडकर इस पैक्ट पर सहमत न होते तो आज न तो भारत के पास अपना सविंधान होता  और न ही हिन्दू राष्ट्र कहने के लिए वो जनसँख्या होती यानी लोग होते जिन्हें आज हिन्दू कहा जाता है क्योकि आज देश के एस सी एस टी  और ओ बी सी ही ब्राह्मणों के सांस्कृतिक गुलाम हिन्दू कहलाते है  और न ही ये राष्ट्र होता  इसलिए भारत पर न सिर्फ सविंधान बना कर डॉ. बी आर आंबेडकर ने उपकार किया  बल्कि इसको एक सशक्त राष्ट्र बनाने में भी  उनके योगदान को कोई नहीं भुला सकता

 हिन्दू कोड बिल के जरिये महिलाओं को सम्पत्ति में अधिकार , समान शिक्षा   ,  कामगारों के लिए काम के आठ घंटे ,  छुट्टी और मजदूरों के सभी अधिकार बाबा साहेब ने दिलवाए , देश का रिजर्व बैंक  डॉ. अम्बेडकर की सलाह और  देख रेख में बना , योजना आयोग , वित्त आयोग

साल 1945 में उन्होंने देश के लिए जलनीति और औद्योगिकरण की आर्थिक नीतियां जैसे नदी-नालों को जोडना, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजन… राष्ट्रीय जलमार्ग, केंद्रीय जल और विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किए. .

साल 1944 में प्रस्तावित केंद्रीय जल मार्ग और सिंचाई आयोग के प्रस्ताव को 4 अप्रैल 1945 को वाइसराय की ओर से अनुमोदित किया गया और बड़े बांधों वाली तकनीको… . को भारत में लागू करने हेतु प्रस्तावित किया.

लेकिन आज भाजपा –मोदी संघ डॉ. आंबेडकर के योगदान को न सिर्फ नकार रहे है बल्कि उनके द्वारा रचे गए सविंधान को बदलना चाहते है  उनके द्वारा बनाए गए संस्थाओं के नाम बदल रहे है  उनके विचारों की किताबे मोदी सरकार ने प्रकाशन बंद करवा दिया है  आंबेडकर  भवन में काल्पनिक सरस्वती की मूर्ति लगा दी है और उनको बदनाम करने के लिए हर यत्न करने में लगे है , उसका सिर्फ एक ही कारण है   भारत सदीओ से एक सांस्कृतिक सम्राज्यवाद  को झेल रहा है और इसके पीड़ित यहाँ के मूलनिवासी है

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