Bhagat Singh Martyrs day Special क्यों करना  चाहते है दुबारा ये लोग भगत सिंह की हत्या: Surender Kumar

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टाउन हाल टाइम्स ये जानकार सबको बड़ा ही आश्चर्य होगा कि भगत सिंह की दुबारा हत्या की जा रही है जबकि भगत सिंह को तो अंग्रेज फांसी लगा चुके है ,

दरसल ये बात सही है कि भगत सिंह को फांसी हुई थी लेकिन भगत सिंह आज भी हमारे विचारों में जिन्दा है और वर्तमान सरकारों को पार्टियो को उसके विचार बिलकुल पसंद नहीं आते एयर इन पार्टियो को यह खतरा हमेशा बना रहता है कि अगर भगत सिंह के विचार जिन्दा रहे तो ये विचार समाज में देश में एक क्रान्ति पैदा कर देंगे और क्रान्ति इन सरकारों को उखाड़ फेकेगी .

कांग्रेस हो भाजपा हो या आम आदमी पार्टी लोगो को ये लगता होगा कि ये अलग अलग पार्टिया है और आपस में कुत्तों की तरह लड़ते है  लेकिन ये बात कोई नहीं जानता कि ये चाहे आपस में लादे लेकिन उन लोगो के लिए उन विचारों के लिए ये एक साथ हो जाते है जो समाजिक क्रान्ति लाने वाले होते है , जो मजदूरों की उत्पीडित लोगो की बाते करते है , जो विचार समाज में असमानता के खिलाफ काम करते है , जो जाति , धर्म , भाषा के विवादों से  परे मानवता के लिए काम करते है  इसलिए ये लोग जब भी ऐसी कोई बात आती है तो ये लोग  अंदर ही अंदर एकजुट हो जाते है और भगत सिंह और ऐसे ही लोगो के विचारों के खिलाफ षड्यंत्र रचने लगते है

ऐसा ही एक विचार है धर्म निरपेक्षता का यानी कार्ल मार्क्स की तरह भगत सिंह धर्म को अफीम मानते थे और यही कारण  था इन्होने अपने अंतिम दिनों में दिल्ली के कश्मीरी गेट  पर फोटोग्राफर चमन लाल से जो अपना आखिरी फोटो खिचवाया  उसमे वो सरदार नहीं थे  यानी केश कटा चुके थे और यह फोटो इन्होने अंग्रेजी हैट पहन कर खिचवाया था

भगत सिंह पर शोध करने वाले जे एन यु के प्रोफ़ेसर चमन लाल का एक लेख बी बी सी में  प्रकाशित हुआ जिसमे प्रोफ़ेसर ने यह सारी जानकारी लिखी , उन्होंने यह भी बताया कि अब कुछ लोग भगत सिंह के विचारों की हत्या करना चाहते है और इस क्रम में सबसे पहले वो भगत सिंह को इंग्लिश हैट में नहीं बल्कि पीली पगड़ी पहना देते है यानी उनको एक सिख बनाते है यानी उन्हें धार्मिक व्यक्ति बनाते है और उन्हें एक ख़ास धर्म यानी सिख से जोड़ देते है , जबकि उनके विचार किसी भी धर्म को नहीं मानते बल्कि सभी धर्मो का समान आदर करते है और खुद नास्तिक बनते है  जिसका जिक्र उन्होंने अपने लेख “ मै नास्तिक क्यों बना “ में लिखे है

आम आदमी पार्टी जो पंजाब में सरकार भी बना चुकी है दिल्ली में है ये लोगो को सर्वाधिक गुमराह कर रही है और भगत सिंह के समाजवादी विचारों की जगह परोपकारी विचारों एम् शामिल कर डेट है

भगत सिंह (जन्म: 28 सितम्बर 1907 , वीरगति: 23 मार्च 1931) भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया।

.वही दूसरी तरफ भाजपा भी इसी प्रयास में लगी रहती है लेकिन भाजपा / संघ / हिंदुत्व जैसे मुद्दों से भगत सिंह बहुत दूर  थे बल्कि भगत सिंह देख रहे थे कि किस तरह ये हिन्दुत्ववादी लोग अंग्रेजो की चमचागिरी में लगे थे , माफ़ी मांगने के बाद जब जेल से सावरकर जेल से रिहा हुए तो अंग्रेजो के चमचे बन गए और अंग्रेजी सत्ता के लिए काम करने लगे और इन्हें साठ रूपये महिना सेलरी मिलती थी जो एक कलेक्टर की सेलरी से भी ज्यादा थी , सो भगत सिंह को ऐसे लोग बिलकुल पसंद न थे

चार सौ बीस पेज की नोट बुक जो शिमला म्युसियम में रखी है इसमें भगत सिंह के सारे विचार लिखित है  राजकमल प्रकाशन पर भी एक किताब है भगत सिंह और उनके साथिओ के द्स्तावेज नामक किताब उपलब्ध है

भगत सिंह एक क्रांतिकारी विचारधारा के व्यक्ति थे उन्हें धर्म जाति , से कोई लेना देना नहीं था  बल्कि उन्होंने अंतिम समय में यह इच्छा जाहिर की थी कि अगर किसी तरह वो इस फांसी से बच गए तो शेष जीवन डॉ बी आर आंबेडकर के बताये पद चिन्हों पर चलेंगे

हाथरस में जिस तरह दलित लड़की को रात के अँधेरे में  प्रशासन ने आग लगा दी थी , उसी तरह अंग्रेजो ने भी भगत सिंह को मिटाने के लिए उनकी आवाज को खत्म करने के लिए चुपचाप बिना किसी को बताये भगत सिंह की लाश का अंतिम संस्कार कर दिया

bhagat singh martyrs day 23rd march

Saunder Death , Sukh dev , Rajguru

Shimla Museum ,, Bhagat Singh Diary, 420 Pages

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