अपनी मर्जी से बनाया घर तो पड़ सकता है महंगा ,भवन निर्माण के नए नियमो की अधिसूचना

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अगले दस सालो में दिल्ली की जनसंख्या क्या होगी पुरे देश की जनसंख्या में कितनी बढ़ोतरी होगी और देश में रहने की कितनी समस्या होगी बिना इन बातो को सोचे
दिल्ली में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) ने घर बनाने के लिए नए नियमों को लेकर अधिसूचना जारी की है.

अब दिल्ली में किसी भी कॉलोनी, प्लॉट या बिल्डिंग पर कमरे बनाना पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है. रेरा ने जारी आदेश में कहा गया है कि जितनी अधिक आवासीय इकाई होंगी, लोगों की संख्या भी अधिक होगी , जिससे सिविक इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक दबाव पड़ेगा. लेकिन रेरा ने ये नहीं बताया कि आखिर इस दबाव को दिल्ली झेले कैसे और सरकार को क्या क्या करना चाहिए जिससे आम नागरिक परेशान न हो

RERA के नए नियमों के अनुसार, अब 50 वर्ग मीटर से ज्यादा के चार मंजिले के मकानों की अनुमति नहीं होगी. इस साइज के प्लॉट पर केवल तीन फ्लोर ही बन सकेंगे और प्रत्येक फ्लोर पर केवल एक ही कमरा होना चाहिए.
क्या है एक आवासीय यूनिट ?

मास्टर प्लान 2021 के अनुसार, एक आवासीय यूनिट में एक कमरा, एक किचन, और एक शौचालय होता है. RERA के आदेश में, 50 वर्ग मीटर से लेकर 3750 वर्ग मीटर या इससे भी बड़े आकार के प्लॉट्स पर आवासीय यूनिट्स बनाने की सीमा तय की गई है.

प्लॉट के हिसाब से मिलेगी आवासीय यूनिट

अगर प्लॉट साइज (वर्ग मीटर) 50 तक है, तो आवासीय यूनिट 3 मिलेगी. 51-100 तक है, तो आवासीय यूनिट 4 मिलेगी. 101-250 तक है, तो आवासीय यूनिट 4 मिलेगी. 251-750 तक है, तो आवासीय यूनिट 5 मिलेगी. 751-1000 तक है, तो आवासीय यूनिट 7 मिलेगी. 1001-1500 तक है, तो आवासीय यूनिट 7 मिलेगी. 1501-2250 तक है, तो आवासीय यूनिट 10 मिलेगी. और अगर 2251-3000 तक है, तो आवासीय यूनिट 10 मिलेगी.

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सुप्रीम कोर्ट का भी है आदेश 

आदेश में सुप्रीम कोर्ट के मार्च, 2008 के एक आदेश का भी संदर्भ दिया गया है, और उसी के अनुसार विभिन्न साइज के प्लॉट्स पर आवासीय यूनिट्स बनाने की सीमा तय करने का उल्लेख किया गया है. RERA ने दिल्ली कैंट बोर्ड, एमसीडी और डीडीए को भी इस संबंध में पत्र लिखा है और आदेश के अनुसार ही बिल्डिंग प्लान जारी करने के लिए कहा है.

रेरा ने सब-रजिस्ट्रार को भी दिए निर्देश

सभी सब-रजिस्ट्रार को भी RERA ने पत्र लिखकर कहा है कि 15 सितंबर के बाद किसी संपत्ति का रजिस्ट्रेशन उक्त आदेश के अनुसार आवासीय इकाइयों की जांच कर ही किया जाए. अगर प्लॉट साइज से अधिक आवासीय इकाइयां हैं, तो ऐसी प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन न किया जाए.

 


ऐसे होता है नियमों का उल्लंघन

डीडीए अधिकारियों ने मास्टर प्लान 2021 के अनुसार बताया है कि एक आवासीय इकाई का मतलब होता है कि यह एक कमरा, एक किचन, और एक शौचालय शामिल करती है. जबकि तमाम निजी बिल्डर अनधिकृत या नियमित कॉलोनियों में 50 से 100 वर्ग मीटर के प्लॉट्स पर भी एक-एक फ्लोर पर कई कमरे बना लेते हैं.
इस अधिसूचना पर अलग अलग लोगो की अलग प्रतिक्रियाएं आई है

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रणवीर सिंह भगवान् नगर दिल्ली का कहना है कि जैसा की सब जानते है कि आबादी बहुत बढ़ रही है वैसे में अगर किसी के पास पचास गज का प्लाट है और उसके चार पुत्र है तो वह तो मकान बना ही नहीं पाएगा जब बनाएगा नहीं तो वो जाएगा कहा ?
पी आर फर्म चलाने वाले देबा साहू ने कहा है कि आम आदमी जब अपनी ही जमीन पर घर नहीं बना पाएगा तो क्या बिल्डर से खरीदेगा ? यानी एक वर्ग को मौज कर दी है सरकार ने और आम लोगो के लिए मुसीबत पैदा कर दी है

दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हर्ष गौतम ने कहा दिल्ली जैसी जगह में जहा एम् सी डी , डी डी,ए पुलिस प्रशासन के अधिकारी पैसा लेकर नियमो की अनदेखी करते है अगर नियमो से चलते तो आजतक ये दिल्ली खाली ही दिखाई देती इसमें जनसँख्या , बिली पानी जैसी कोई समस्या नहीं आती

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