नोटबंदी की त्रासदी का एक बहुत ही भद्दे मज़ाक के रूप में हमारे सामने आया कि इससे काला धन वापिस आएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि राजनितिक विचारको का मानना था कि भाजपा के सिवाय सभी राजनैतिक पार्टियो के काले धन जिससे वे चुनाव प्रचार करते है उसको खत्म करना था ताकि भाजपा चुनाव कि रेस में आगे आ सके
इसके बाद दो नारे सामने आये पहला डिजिटल इंडिया जिसके जरिये सभी लेन देन ऑनलाइन किये जाएंगे ताकि टैक्स चोरी को रोका जा सके जिसके लिए जी एस टी को लाया गया
जी जी एस टी भी देश का एक ऐसा सगूफा जिसके लिए न तो अफसर तैयार , न ही सरकार लेकिन फिर भी इसको लागू कर दिया गया परिणाम देश के छोटे मोटे व्यापरियो की कमर टूटी , आर्थिक नुक्सान हुए और सालो तक सरकार और अफसर जी एस टी के स्लेब तैयार करने में लगे रहे लेकिन ये स्लेब आज भी तर्कशील नहीं है कही बिना बात का १८ प्रतिशत तो कही बारह प्रतिशत जिसको बारह और छ प्रतिशत होना चाहिए था
लेकिन आम जनता की यानी व्यापरियो की समस्याए कम नहीं हुई है बल्कि जी एस टी , टैक्स आदि भरने की प्रक्रिया और जी एस टी लेने की प्रकिया भी खराब होती जा रही है
पी आर फर्म के एक निदेशक ने बताया कि चार दिन से खुद टी डी एस भरने की कोशिश कर रहे है लेकिन टैक्स की साईट पर पेमेंट गेटवे के नाम से सभी बैंक को हटा दिया गया है केवल इसमें नो बैंक ही रह गए है , अब आप खुद सोचिये कि अगर लास्ट डेट निकल जाएगी और मेरे बैंक को इस लिस्ट से हटा दिया गया है तो मै कैसे टैक्स भरू यानी टैक्स भरना लेट होगा जिसका परिणाम फाइन लगेगा
इसी तरह एक विक्रेता ने बाताया की वो अपने लिए जी एस टी अप्लाई पिछले दिन महीने से कर रहे है और जी एस टी अधिकारी बिना किसी कारण के उन्हें जी एस टी नहीं दे रहे है अब इसके लिए इन्होने सम्बन्धित जी एस टी अधिकारी के खिलाफ एक आर टी आई डाली
इसी तरह दिल्ली के जी एस टी ऑफिस के बाहर सैंकड़ो लोग ऐसे मिल जाएंगे जो जी एस टी अधिकारिओ के इंस्पेक्टर राज से बहुत परेशान है , कुछ न मिला तो जी एस टी अधिकारी के दलाल किसी भी ऑफिस पहुच जाते है और कहते है कि हम देखने आये है कि ये ऑफिस चलता भी है या नहीं इसके बाद पैसे की मांग करते है
कुल मिला कर टैक्स डिपार्टमेंट और जी एस टी विभाग दोनों मिल कर केवल और केवल आम व्यापारियो को परेशान कर रहे है जो पैसा देते है उनका कुछ नहीं होता सब शान्ति से जीते है