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Film Productions in India भारत में विदेशी फिल्म निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी की घोषणा की गई

केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर द्वारा आज आईएफएफआई में एक महत्वपूर्ण घोषणा में, विदेशी फिल्म निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी गई है। देश में विदेशी फिल्म निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि आज 30 करोड़ रुपये (3.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) की बढ़ी हुई सीमा और महत्वपूर्ण भारतीय सामग्री (एसआईसी) के लिए अतिरिक्त 5 प्रतिशत बोनस के साथ किए गए खर्च का 40 प्रतिशत है। यह कदम देश में मध्यम और बड़े बजट की अंतरराष्ट्रीय फिल्म परियोजनाओं को आकर्षित करने के भारत के प्रयासों को और गति देगा।

भारत द्वारा पिछले साल कान्स में विदेशी फिल्मों के निर्माण के लिए प्रोत्साहन योजना की घोषणा की गई थी, जिसमें देश में फिल्म निर्माण के लिए किए गए खर्च का 30 प्रतिशत तक की प्रतिपूर्ति की पेशकश की गई थी, जो कि 2.5 करोड़ रुपये तक सीमित थी। श्री ठाकुर ने गोवा में घोषणा करते हुए कहा, “फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने में यह आदर्श बदलाव कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए भारत की प्रतिबद्धता और समर्थन के लिए एक मानक के रूप में कार्य करता है और सिनेमाई प्रयासों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में हमारी स्थिति को मजबूत करता है।”

ऐसे अंतर्राष्ट्रीय प्रोडक्शन इस प्रोत्साहन योजना के लिए पात्र होंगे, जिन्हें 01 अप्रैल, 2022 के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और विदेश मंत्रालय (केवल वृत्तचित्रों के लिए) द्वारा शूटिंग की अनुमति प्रदान की गई है। प्रोत्साहन राशि दो चरणों में वितरित की जाएगी यानी अंतरिम और अंतिम। भारत में परियोजना पूरी होने के बाद अंतिम संवितरण के लिए दावा किया जा सकता है। प्रोत्साहन राशि एक विशेष प्रोत्साहन मूल्यांकन समिति की सिफारिश पर प्रदान की जाएगी। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के तहत स्थापित फिल्म सुविधा कार्यालय (एफएफओ) इस प्रोत्साहन योजना को क्रियान्वित कर रहा है। एफएफओ एकल-खिड़की सुविधा और निपटारा तंत्र के रूप में कार्य करता है जो भारत में फिल्मांकन को आसान बनाता है, साथ ही एक फिल्म के अनुकूल इकोसिस्टम बनाने और देश को फिल्मांकन गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

एफएफओ द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को अब भारतीय फिल्म निर्माताओं तक भी विस्तारित कर दिया गया है। योजना के विस्तृत दिशानिर्देश एफएफओ वेबसाइट: https://ffo.gov.in/en  और फिल्पम सलाहकार  www.oviyancommunicaations.com  उपलब्ध हैं।

इस क्षेत्र में घोषणा और नीतिगत उपाय का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना, रोजगार के अवसर सृजित करना और देश में पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देना है। एवीजीसी: एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स और पोस्टप्रोडक्शन सेवाओं जैसे उभरते उद्योगों को भी फिल्म क्षेत्र में हालिया पहल से लाभ होने की उम्मीद है।

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n a significant announcement by Union Minister Shri Anurag Singh Thakur today at IFFI, the incentive for foreign film production has been enhanced from 30% to 40%. The incentive for foreign film production in the country stands today at 40 % of the expenses incurred with an increased cap limit of Rs. 30 crore (exceeding 3.5 million US Dollars) and an additional 5% percent bonus for Significant Indian Content (SIC). This step will give further impetus to India’s efforts to attract medium and big budget international film projects to the country. The announcement is also part of the efforts to streamline foreign film productions and to ensure ‘Ease of Doing Business in India.’

The Incentives Scheme for the Production of Foreign Films was announced by India last year in Cannes, offering a reimbursement of up to 30% of the expenses incurred for film production in the country, capped at a figure of Rs 2.5 Crore. Making the announcement in Goa, Shri Thakur said “this paradigm shift in incentivizing film production serves as a testament to India’s commitment and support for artistic expression and reinforces our position as a preferred destination for cinematic endeavors”, he added.

International productions that have been granted shooting permission by the Ministry of Information & Broadcasting and Ministry of External Affairs (for documentaries only) after 01.04.2022 will be eligible for this incentive scheme. The Incentives will be disbursed in two stage i.e. Interim and Final. The final disbursement claim can be made once the project is complete in India. Incentives will be provided on the recommendation of a Special Incentive Evaluation Committee. Film Facilitation Office (FFO) set up under the National Film Development Corporation (NFDC) is executing this incentive scheme. FFO acts as a single-window facilitation and clearance mechanism that eases filming in India, as well as endeavoring to create a film-friendly ecosystem and promoting the country as a filming destination.

The services rendered by the FFO have now been extended to Indian filmmakers as well. The detailed guidelines of the scheme are available on the FFO website: https://ffo.gov.in/en

The announcement and the policy interventions in the sector are aimed at boosting the economy, creating jobs and promote tourism and culture in the country. The sunrise industries like AVGC: Animation, Visual Effects and Postproduction services are also expected to benefit from the recent initiatives in the film sector.

 

EVM  बात पैसे और समय की नहीं ,लोकतंत्र और जनविश्वास खतरे में है : New Democratic party of India

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में ई वी एम् पर सुनवाई चल रही है और तरह तरह के सवाल कोर्ट याचिकाकर्ता से पूछ रहा है  कि क्या हमे दुबारा बैलेट पेपर पर जाना चाहिए ,  नब्बे करोड़  वोट की गिनती कैसे होगी , इसमें कितना पैसा लगेगा  और कितना समय लगेगा आम लोग  ई वी एम् पर विश्वास नहीं करते ये डेटा आपको कैसे और कहा से मिला , आदि आदि  इस प्रक्रिया के बाद ई वी एम  पर सुनवाई 18 अप्रैल को जारी रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट के  वकील हर्ष गौतम ने  कोर्ट में चल रही  बहस पर कहा कि कौर्ट यकीनन एक अच्छा फैसला लेगी जो देश के हित में होगा क्योकि यहाँ पर बात पैसे और समय कि नहीं है लोकतंत्र की आन बान शान की है  कि हम दुनिया के सामने अपने देश के लोकतंत्र को कैसे पेश करना चाहते है  क्या हम ये चाहते है कि हमारे देश में लोकतंत्र कुछ पूंजीपतियो कुछ पार्टियो के यहाँ नौकर है उसके अंदर अपनी कोई स्वास नहीं चल रही  और उसकी कोई इज्जत नहीं है  और लोकतंत्र के बहाने देश की संस्थाओं को  ऐसे चलाया  जा रहा है जैसे कोई गुंडा गैंग अपने गुर्गो को हुक्म  देता है और देश की सभी सविन्धानिक संस्थाए वैसे ही काम करती है

इस तरह हम एक आदर्श राष्ट्र की तरफ एक आधुनिक राष्ट्र की तरफ नहीं बढ़ रहे है बल्कि पोरानिक काल में  घुसते जा रहे है , हम क्यों डर रहे है कि देश में चुनाव में पारदर्शिता लाइ जाए ? आखिर इसके क्या कारण है कि हम ईमानदारी न बरतना चाहते है और न ही ईमानदार दिखना चाहते है ?  हमे ईमानदारी पारदर्शिता को अपनाना ही होगा और मुझे उम्मीद है की सुप्रीम कोर्ट किसी रूलिंग पार्टी की नहीं बल्कि जनमानस को ध्यान रखेगा , अपने देश के लोकतंत्र के सुंदर भविष्य को ध्यान में रख कर फैसला करेगा   हर्ष  गौतम ने कहा

इधर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के कुछ अंश है जिन्हें जानकार पाठक अपना मन खुद बना सकते है कि आखिर इस केस में क्या फैंसला आ सकता है

चुनाव में ई वी एम  की जगह मतपत्रों के उपयोग को लेकर जारी चर्चाओं के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलट पेपर पर लौटने से भी कई नुकसान हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना ने ई वी एम को हटाने की याचिका के पक्ष में अपनी बात रख रहे प्रशांत भूषण से पूछा कि अब आप क्या चाहते हैं?  तो प्रशांत भूषण ने कहा कि पहला बैलेट पेपर पर वापस जाएं . दूसरा फिलहाल 100 फीसदी VVPAT मिलान हो.   तो इस पर  अदालत ने कहा कि देश में 98 करोड़ वोटर हैं. आप चाहते हैं कि 60 करोड़  वोटों की गिनती हो. ?

इसे भी पढ़े https://townhalltimes.com/chunaavi-survey-bjp-modi-ki-haar-nischit-hai/मोदी की हार पक्की है 

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सामान्यतः मानवीय हस्तक्षेप से समस्याएं उत्पन्न होती हैं. समस्या तब पैदा होती है जब मानवीय हस्तक्षेप होता है या जब वे सॉफ्टवेयर या मशीन मे अनधिकृत परिवर्तन करते हैं. यदि आपके पास इसे रोकने के लिए कोई सुझाव है, तो आप हमें दे सकते हैं.

प्रशांत भूषण ने वीवीपैट की पर्ची मतदाताओं को देने की मांग के साथ कहा कि मतदाता उसे एक बैलेट बॉक्स मे डाल दे. अभी जो वीवीपैट है उसका बॉक्स ट्रांसपेरेंट नहीं है.सिर्फ सात सेकेंड के लिए पर्ची वोटर को दिखाई देती है.

वकील संजय  हेगड़े ने मांग की कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से किया जाना चाहिए. जस्टिस खन्ना: क्या 60 करोड़ वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए? वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे. एक वकील ने वोट देने के लिए बारकोड का सुझाव दिया. जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर आप किसी दुकान पर जाते हैं तो वहां बारकोड होता है. बारकोड से गिनती में मदद नहीं मिलेगी जब तक कि हर उम्मीदवार या पार्टी को बारकोड न दिया जाए और यह भी एक बहुत बड़ी समस्या होगी.

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से पूछा कि आपने कहा कि अधिकांश मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते?  तो इस पर  कोर्ट ने पूछा  आपको यह डेटा कैसे मिला? प्रशांत भूषण: एक सर्वेक्षण हुआ था. जस्टिस दत्ता – हम निजी सर्वेक्षणों पर विश्वास नहीं करते.

याचिकाकर्ता के वकील द्वारा जर्मनी के सिस्टम के उदाहरण देने पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है. हमें किसी पर भरोसा और विश्वास जताना होगा. इस तरह से व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश मत करिए.  इस तरह के उदाहरण मत दीजिए… यह एक बहुत बड़ा काम है… और यूरोपीय उदाहरण यहां काम नहीं आते.

EVM case in Supreme Court , Advocate Prashant Bhushan , New Democratic Party of India ,Congress , BJP , Modi , Kejriwal

भारतीय सेना की टुकड़ी भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास डस्टलिक के लिए रवाना हुई

भारतीय सेना की टुकड़ी आज भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास डस्टलिक के 5वें संस्करण के लिए रवाना हो गई है। यह अभ्यास 15 से 28 अप्रैल 2024 तक उज़्बेकिस्तान गणराज्य के टर्मेज़ में आयोजित होने वाला है। यह अभ्यास डस्टलिक का एक वार्षिक कार्यक्रम है जो भारत और उज्बेकिस्तान में बारी-बारी आयोजित किया जाता है। अंतिम संस्करण फरवरी 2023 में पिथौरागढ़ (भारत) में आयोजित किया गया था।

60 कर्मियों वाली भारतीय सशस्त्र बल टुकड़ी का प्रतिनिधित्व भारतीय सेना के 45 कर्मियों द्वारा किया जा रहा है, जिनमें प्रमुख रूप से जाट रेजिमेंट की एक बटालियन और भारतीय वायु सेना के 15 कर्मी शामिल हैं। उज़्बेकिस्तान सेना और वायु सेना के लगभग 100 कर्मियों वाली उज़्बेकिस्तान टुकड़ी का प्रतिनिधित्व दक्षिण-पश्चिम सैन्य जिले के हिस्से, दक्षिणी ऑपरेशनल कमांड के कर्मियों द्वारा किया जाएगा।

डस्टलिक अभ्यास का उद्देश्य सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना और पहाड़ी व अर्ध-शहरी इलाकों में संयुक्त अभियानों को अंजाम देने के लिए संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाना है। यह उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास और विशेष हथियार कौशल की बुनियादी बातों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

अभ्यास के दौरान अभ्यास किए जाने वाले सामरिक अभ्यास में एक संयुक्त कमांड पोस्ट का निर्माण, एक खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना, लैंडिंग साइट की सुरक्षा, छोटी टीम को किसी ऑपरेशन में भीतर भेजना और वहां से बाहर निकालना, विशेष हेलिबोर्न ऑपरेशन, कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन, रूम इंटरवेंशन ड्रिल्स व अवैध ढांचों को गिराने के अभ्यास शामिल होंगे।

एक्सरसाइज डस्टलिक के इस संस्करण की जटिलता को मल्टी डोमेन ऑपरेशन के संचालन के साथ बढ़ाया गया है क्योंकि दल में इन्फैंट्री के अलावा लड़ाकू सहायक हथियारों और सेवाओं के कर्मी शामिल हैं। दो महिला अधिकारी भी आईए दल का हिस्सा हैं, जिनमें एक आर्टिलरी रेजिमेंट से और दूसरी आर्मी मेडिकल कोर से हैं।

अभ्यास ‘डस्टलिक’ दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपनी सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने में सक्षम बनाएगा। यह अभ्यास दोनों देशों के सैनिकों के बीच अंतर-संचालन क्षमता और सौहार्द्र विकसित करने में मदद करेगा। इससे रक्षा सहयोग का स्तर भी बढ़ेगा, दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा।

आंकड़े तोड़ मरोड़ कर पेश की गई विकास दर

लगातार वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, कुल निर्यात (माल+सेवाएं) के पिछले साल के उच्चतम रिकॉर्ड को पार करने का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के 776.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में, वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसके 776.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है

वित्तीय वर्ष 2023-24, मार्च 2024 के दौरान 41.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर के चालू वित्तीय वर्ष के उच्चतम मासिक माल निर्यात के साथ समाप्त हुआ

गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात वित्तीय वर्ष 2022-23 में 315.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 1.45 प्रतिशत बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 320.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया

वित्तीय वर्ष 2023-24 में माल निर्यात वृद्धि के मुख्य कारकों में इलेक्ट्रॉनिक सामान, ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान, लौह अयस्क, कॉर्टन यार्न/फैब्स/मेड-अप, हथकरघा उत्पाद, सिरेमिक उत्पाद और कांच के बर्तन आदि शामिल हैं

वित्तीय वर्ष 2022-23 में इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात 23.55 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 23.64 प्रतिशत बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 29.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया

दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात वित्तीय वर्ष 2022-23 में 25.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 9.67 प्रतिशत बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 27.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया

इंजीनियरिंग सामान का निर्यात वित्तीय वर्ष 2022-23 में 107.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 2.13 प्रतिशत बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 109.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया

कृषि वस्तुओं का निर्यात यानी तम्बाकू (19.46 प्रतिशत), फल और सब्जियां (13.86 प्रतिशत), मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद (12.34 प्रतिशत), मसाले (12.30 प्रतिशत), अनाज से तैयार उत्पाद और विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं (8.96 प्रतिशत), तिलहन (7.43 प्रतिशत) और ऑयल मील्स (7.01 प्रतिशत) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की

कुल व्यापार घाटा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 121.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 35.77 प्रतिशत घटकर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 78.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है; चालू वित्तीय वर्ष में माल व्यापार घाटा 9.33 प्रतिशत घटकर 240.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह 264.90 बिलियन अमेरिकी डॉलर था

प्रविष्टि तिथि: 15 APR 2024 3:08PM by PIB Delhi

मार्च 2024* में भारत का कुल निर्यात (माल एवं सेवाएं) 70.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो मार्च 2023 की तुलना में (-) 3.01 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्शाता है। मार्च 2024* में कुल आयात 73.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो मार्च 2023 की तुलना में (-) 6.11 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्शाता है।

तालिका 1: मार्च 2024 के दौरान व्यापार*

मार्च 2024

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

मार्च 2023

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

माल

निर्यात

41.68

41.96

आयात

57.28

60.92

सेवाएं*

निर्यात

28.54

30.44

आयात

15.84

16.96

कुल व्यापार

(माल+सेवाएं) *

निर्यात

70.21

72.40

आयात

73.12

77.88

व्यापार संतुलन

-2.91

-5.48

नोटरिजर्व बैंक द्वारा जारी सेवा क्षेत्र का नवीनतम डेटा फरवरी 2024 के लिए है। मार्च 2024 का डेटा एक अनुमान हैजिसे रिजर्व बैंक की बाद की विज्ञप्ति के आधार पर संशोधित किया जाएगा। (ii) वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैलमार्चऔर अप्रैलदिसंबर 2023 के डेटा को तिमाही भुगतान संतुलन डेटा का उपयोग करके आनुपातिक आधार पर संशोधित किया गया है।

चित्र 1: मार्च 2024 के दौरान कुल व्यापार*

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च)*में भारत का कुल निर्यात (माल और सेवाएं) 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में 0.04 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च)* में कुल आयात 854.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में (-) 4.81 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्शाता है।

तालिका 2: वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैलमार्चके दौरान व्यापार*

2023-24

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

2022-23

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

माल

निर्यात

437.06

451.07

आयात

677.24

715.97

सेवाएं*

निर्यात

339.62

325.33

आयात

177.56

182.05

कुल व्यापार

(माल+सेवाएं)*

निर्यात

776.68

776.40

आयात

854.80

898.01

व्यापार संतुलन

-78.12

-121.62

चित्र 2: वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैलमार्चके दौरान कुल व्यापार*

माल व्यापार

  • मार्च 2024 में वस्तुओं का निर्यात 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि मार्च 2023 में यह 41.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  • मार्च 2024 में वस्तुओं का आयात 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि मार्च 2023 में यह 60.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

चित्र 3: मार्च 2024 के दौरान माल व्यापार

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) की अवधि के लिए माल निर्यात     06 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान यह 451.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) की अवधि के लिए माल आयात     24 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान यह 715.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए माल व्यापार घाटा 17बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था, जबकि वित्तीय वर्ष      2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान यह 264.90 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

चित्र 4: वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैलमार्चके दौरान माल व्यापार

  • मार्च 2024 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 67 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि मार्च 2023 में यह 30.87 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  • मार्च 2024 में गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न और आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) का आयात 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि मार्च 2023 में यह 36.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

तालिका 3: मार्च 2024 के दौरान पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण को छोड़कर व्यापार

मार्च 2024

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

मार्च 2023

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

गैर-पेट्रोलियम निर्यात

36.29

33.61

गैर-पेट्रोलियम आयात

40.05

42.90

गैर-पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण निर्यात

33.67

30.87

गैर-पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण आयात

35.21

36.51

नोटरत्न और आभूषण आयात में सोनाचांदी और मोतीकीमती और अर्धकीमती पत्थर शामिल हैं

चित्र 5: मार्च 2024 के दौरान पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण को छोड़कर व्यापार

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान गैर-पेट्रोलियम व गैर-रत्न और आभूषण निर्यात 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में यह 315.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न और आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) का आयात 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में यह 435.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

तालिका 4: वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैलमार्चके दौरान पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण को छोड़कर व्यापार

2023-24

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

2022-23

(बिलियन अमेरिकी डॉलर)

गैर-पेट्रोलियम निर्यात

352.92

353.60

गैर-पेट्रोलियम आयात

497.62

506.55

गैर-पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण निर्यात

320.21

315.64

गैर-पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण आयात

422.80

435.54

नोट: रत्न एवं आभूषण आयात में सोना, चांदी और मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर शामिल हैं

चित्र 6: वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैलमार्चके दौरान पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण को छोड़कर व्यापार

सेवा व्यापार

  • मार्च 2024*के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 54 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि मार्च 2023 में यह 30.44 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  • मार्च 2024*के लिए सेवाओं के आयात का अनुमानित मूल्य 84 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि मार्च 2023 में यह 16.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

चित्र 7: मार्च 2024 के दौरान सेवा व्यापार*

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च)*के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में यह 325.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च)*के लिए सेवाओं के आयात का अनुमानित मूल्य 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में यह 182.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च)*के लिए सेवा व्यापार अधिशेष 05 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में यह 143.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

चित्र 8: वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैलमार्चके दौरान सेवा व्यापार*

  • मार्च 2024 के महीने के लिए, माल निर्यात के तहत, 30 प्रमुख क्षेत्रों में से 17 ने पिछले वर्ष की समान अवधि (मार्च 2023) की तुलना में मार्च 2024 में सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित की। इनमें हस्तशिल्प को छोड़कर हाथ से बना कालीन (128.39 प्रतिशत), मसाले (51.01 प्रतिशत), कॉफी (40.3 प्रतिशत), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (39.67 प्रतिशत), तंबाकू (35.81 प्रतिशत), चाय (27.05 प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक सामान (23.12 प्रतिशत), कालीन (16.23 प्रतिशत), ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स (12.73 प्रतिशत), प्लास्टिक और लिनोलियम (11.16 प्रतिशत), इंजीनियरिंग सामान (10.66 प्रतिशत), मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद (8.72 प्रतिशत), अनाज से तैयार उत्पाद और विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं (8.23 प्रतिशत), कॉटर्न यार्न/फैब्स/मेड-अप्स, हथकरघा उत्पाद आदि (6.78 प्रतिशत), फल और सब्जियां (2.92 प्रतिशत), सभी तरह के रेडिमेड वस्त्र (1.7 प्रतिशत) तथा सिरेमिक उत्पाद और कांच के बने पदार्थ (0.22 प्रतिशत) शामिल हैं।

  • माल आयात के तहत, मार्च 2024 में 30 प्रमुख क्षेत्रों में से 18 में ऋणात्मक वृद्धि देखी गई। इनमें सोना (-53.56 प्रतिशत), अखबारी कागज (-36.42 प्रतिशत), उर्वरक-कच्चा और विनिर्मित (-36.23 प्रतिशत), चमड़ा और चमड़ा उत्पाद (-25.67 प्रतिशत), वनस्पति तेल (-24.29 प्रतिशत), लौह अयस्क और अन्य खनिज (-22.15 प्रतिशत), रासायनिक सामग्री और उत्पाद (-20.26 प्रतिशत), आर्टिफिशियल रेजिन, प्लास्टिक सामग्री आदि (-19.87 प्रतिशत), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (-19.29 प्रतिशत), मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर (-17.69 प्रतिशत), टेक्सटाइल यार्न फैब्रिक, मेड-अप सामग्री (-12.17 प्रतिशत), कच्चा कपास और अपशिष्ट (-11.29 प्रतिशत), परिवहन उपकरण (-10.7 प्रतिशत), लोहा और इस्पात (-10.1 प्रतिशत), लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद (-9.84 प्रतिशत), कोयला, कोक और ब्रिकेट आदि (-6.6 प्रतिशत), क्रूड पेट्रोलियम और उत्पाद (-4.4 प्रतिशत) तथा औषधीय एवं फार्मास्यूटिकल उत्पाद (-2.85 प्रतिशत) शामिल हैं।

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए, माल निर्यात के तहत, 30 प्रमुख क्षेत्रों में से 17 ने वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित की। इनमें लौह अयस्क (117.74 प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक सामान (23.64 प्रतिशत), तंबाकू (19.46 प्रतिशत), सिरेमिक उत्पाद और कांच के बर्तन (14.44 प्रतिशत), फल और सब्जियां (13.86 प्रतिशत), मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद (12.34 प्रतिशत), मसाले (12.3 प्रतिशत), कॉफ़ी (12.22 प्रतिशत), औषधियां और फार्मास्यूटिकल्स (9.67 प्रतिशत), अनाज से तैयार उत्पाद और विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं (8.96 प्रतिशत), तिलहन (7.43 प्रतिशत), ऑयल मील्ज़ (7.01 प्रतिशत), हस्तशिल्प को छोड़कर हाथ से बना कालीन (6.74 प्रतिशत), कॉर्टन यार्न /फैब्स/मेड-अप्स, हथकरघा उत्पाद आदि (6.71 प्रतिशत), कालीन (2.13 प्रतिशत), इंजीनियरिंग सामान (2.13 प्रतिशत) और चाय (1.05 प्रतिशत) शामिल हैं।

  • माल आयात के तहत, 30 प्रमुख क्षेत्रों में से 16 ने वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में ऋणात्मक वृद्धि प्रदर्शित की। इनमें कच्चा कपास और अपशिष्ट (-58.39 प्रतिशत), उर्वरक, कच्चा और निर्मित (-39.23 प्रतिशत), सल्फर और अनरोस्टेड आयरन पाइराइट (-37.51 प्रतिशत), वानस्पतिक तेल (-28.63 प्रतिशत), मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर (-22.37 प्रतिशत), कोयला, कोक और ब्रिकेट्स आदि (-21.81 प्रतिशत), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (-20.13 प्रतिशत), अखबारी कागज (-18.39 प्रतिशत), प्रोजेक्ट गुड्स (-17.56 प्रतिशत), क्रूड पेट्रोलियम और उत्पाद (-14.23 प्रतिशत), परिवहन उपकरण (-14.02 प्रतिशत), टेक्सटाइल यार्न फैब्रिक, निर्मित वस्तुएं (-12.98 प्रतिशत), लुगदी और अपशिष्ट कागज (-12.33 प्रतिशत), लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद (-11.31 प्रतिशत), चमड़ा और चमड़ा उत्पाद (-11.26 प्रतिशत) और आर्टिफिशियल रेजिन, प्लास्टिक सामग्री आदि (-5.51 प्रतिशत) शामिल हैं।

  • वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में, वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान सेवाओं का निर्यात 4.39 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में, भारत के व्यापार घाटे में काफी सुधार देखा गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च)*के लिए कुल व्यापार घाटा 78.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान 121.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा हुआ था, जिसमें (-) 35.77 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान माल व्यापार घाटा, वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान 264.90 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में, 240.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें (-) 9.33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

रामदेव ने अपने खिलाफ फैसला देने वाले जज के खिलाफ शिकायत दर्ज कर जजों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की

शिकायत एडवोकेट द्वारा भारत के राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास दायर की गई है। इंडियन लॉयर्स एंड ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट एसोसिएशन की ओर से नीलेश सी. ओझा

शिकायत सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों की अवमानना ​​करने के लिए न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और पीके मिश्रा द्वारा अवैध धमकी देने की है।

संविधान पीठ द्वारा बनाए गए कानून के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे कानून के दायरे से बाहर जाकर कोई आदेश पारित नहीं कर सकते और सरकारी संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं कर सकते.

शिकायतकर्ता ने आरोपी जजों के खिलाफ आईपीसी की धारा 166, 219, 409, 120(बी), 34 के तहत कानूनी कार्रवाई कर उन्हें तुरंत बर्खास्त करने का अनुरोध किया.

आरोपी न्यायाधीशों द्वारा फार्मा माफिया को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए पद और सुप्रीम कोर्ट की सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग के संबंध में आरोप लगाए गए हैं।

शिकायतकर्ता संगठन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के खिलाफ आईपीसी की धारा 175, 302, 304, 409, 120 (बी) आदि के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने और घातक टीकों को बढ़ावा देकर जनता को मौत के मुंह में धकेलने के लिए उनका पंजीकरण रद्द करने की भी मांग की। कार्यकारी समिति के सदस्यों के गुप्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आईएमए की संपत्ति का दुरुपयोग करके दवाएं।

शिकायत में आईएमए द्वारा आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा जैसी अधिक प्रभावी, हानिरहित और किफायती चिकित्सा प्रणालियों को बदनाम करने की साजिश का खुलासा किया गया था। आईएमए फार्मा माफिया की मदद के लिए एलोपैथी दवाओं और टीकों के घातक दुष्प्रभावों को छिपाने का प्रयास कर रहा है।

यूनिवर्सल हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन, अवेकन इंडिया मूवमेंट, इंडियन बार एसोसिएशन समेत देशभर के विभिन्न संगठनों ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की निंदा की। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के खिलाफ देशभर में गुस्सा फूट पड़ा। आईएमए के खिलाफ जल्द ही आपराधिक मामला दर्ज होने की संभावना.

नई दिल्ली:- पिछले साल यानी 2022 में फार्मा माफिया के इशारे पर एलोपैथी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप में पतंजलि आयुर्वेद और रामदेव बाबा के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। बाबा रामदेव और ऐसे अन्य लोगों को जनता की सेवा करने से रोकने की आपराधिक साजिश थी।

21.11.2023 को उस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश श्री अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने बाबा रामदेव को धमकी दी थी कि न्यायाधीश पतंजलि की उत्पादन इकाई पर ताला लगाने का आदेश देंगे और प्रति उत्पाद 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाएंगे। हालाँकि, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को किसी दवा कंपनी पर ताला लगाने और प्रति उत्पाद 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया हो। दरअसल कानून के मुताबिक अगर बाबा रामदेव द्वारा किसी भी दवा का उत्पादन करते समय नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो कार्रवाई करने का अधिकार केवल ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, कॉस्मेटिक एक्ट के कानूनों के तहत राज्य अधिकारियों को दिया जाता है। आदि और मामला केवल स्थानीय अदालत में ही चल सकता है।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के कुछ न्यायाधीशों ने इस तरह की अवैधता की थी और शक्ति का दुरुपयोग किया था और मजिस्ट्रेट कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को हड़प लिया था और एक आईपीएस पुलिस अधिकारी एम.एस. को दंडित किया था। अहलावत और अन्य। यह गैरकानूनी सज़ा का मामला था. सुप्रीम कोर्ट की सीनियर डिवीजन बेंच ने माना था कि सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने गलती की थी और उस सजा को रद्द कर दिया था. [एमएस। अहलावत बनाम हरियाणा राज्य, (2000) 1 एससीसी 278]

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ। बनाम भारत संघ, (1998) 4 एससीसी 409, ने सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच के आदेश को रद्द कर दिया था, जहां एक वकील का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। संविधान पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को चेतावनी दी कि वे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर किसी भी कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर ऐसे आदेश पारित न करें.

लेकिन न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने उक्त निर्देशों की अवमानना करते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया और अवैध रूप से रामदेव बाबा को धमकी दी कि वह पतंजलि की सभी कंपनियों को बंद कर देंगे और प्रत्येक दवा पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाएंगे और बाबा रामदेव की कोई सुनवाई नहीं होने देंगे। कंपनी देश की किसी भी अदालत में

रे: सी.एस. कर्णन, (2017) 7 एससीसी 1, और बरदाकांत मिश्रा बनाम भीमसेन दीक्षित, (1973) 1 एससीसी 446 के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था कि बाध्यकारी मिसाल की अवमानना ​​में कार्य करने वाले न्यायाधीश को दोषी ठहराया जा सकता है। न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(बी),12 के अनुसार छह महीने की कैद की सजा दी गई।

जिन न्यायाधीशों ने गैरकानूनी कार्य करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया है और जो कानून के विपरीत आदेश पारित करते हैं, वे आईपीसी की धारा 166, 219, 409, 120 (बी), 34 के तहत कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हैं, जहां सजा 7 साल और आजीवन कारावास है।

वैज्ञानिक शोध पत्र में यह साबित हुआ कि कोरोना वैक्सीन कोरोना महामारी में कोई विश्वसनीय सुरक्षा प्रदान नहीं करती है, लेकिन इस वैक्सीन के घातक दुष्प्रभाव हैं। मौत के साइड इफेक्ट के कारण 21 यूरोपीय देशों में कोविशील्ड वैक्सीन पर रोक लगा दी गई।

 

The complaint is filed with the President of India and Chief Justice of India by Adv. Nilesh C. Ojha on behalf of Indian Lawyers and Human Rights Activists Association

Grievance is of making illegal threats by Judges Ahsanuddin Amanullah and P.K Mishra for acting in contempt of the directions given by the Constitution Bench of the Supreme Court.

As per law made by the Constitution Bench, clear instructions have been given to the judges of the Supreme Court that they cannot pass any order going beyond the scope of law and they cannot encroach upon the jurisdiction of government institutions.

Complainant requested to immediately dismiss the accused judges by taking legal action against them under sections 166, 219, 409, 120(B), 34 of IPC.

Allegations are made regarding misuse of position and Supreme Court’s public property by the accused judges to provide undue benefits to the pharma mafia.

Complainant organization also demanded registering of  criminal case against Indian Medical Association (IMA) under section 175, 302, 304, 409, 120(B), etc. of IPC and to cancel their registration for pushing the public to death by promoting deadly vaccines and medicines by misusing the property of IMA to serve the ulterior purposes of executive committee members.

The complaint had exposed the conspiracy by IMA to defame more effective, harmless and  economical medical systems like Ayurveda and Naturopathy. IMA is making an attempt to hide the deadly side effects of allopathy medicines and vaccines to help the pharma mafia.

Condemnation of Indian Medical Association (IMA) by various organizations across the country including Universal Health Organization, Awaken India Movement, Indian Bar Association. Anger erupted across the country against the Indian Medical Association (IMA). Possibility of criminal cases being filed against IMA soon.

 

New Delhi: – Last year i.e. in 2022 a  petition was filed in the Supreme Court by the Indian Medical Association (IMA) against Patanjali Ayurved and Ramdev Baba at the behest of the pharma mafia for giving undue benefit to allopathy companies.  There was a criminal conspiracy to deter Baba Ramdev and other such people from serving the public.

During the hearing of that case on 21.11.2023, Supreme Court Judge Shri Ahsanuddin Amanullah had given threats to Baba Ramdev that the Judges will Order to lock the production unit of Patanjali and will also impose a cost of Rs.1 Crore per product. However, there is no provision in the law in which the Supreme Court judge has been authorized  to lock a medicine  company and to impose a fine of Rs 1 crore per product. In fact as per law if any rules have been found to be violated by Baba Ramdev while doing the production of any medicine, then the right to take action is given to the state authorities only under the laws of Drugs and Magic Remedies Act, Cosmetic Act etc. and the case can go only in the local court.

Earlier, some judges of the Supreme Court had committed such illegality and misused the power and usurped the jurisdiction  of the Magistrate Court and punished an IPS police officer M.S. Ahlawat and others. This was a case of  illegal punishment. The senior division bench of the Supreme Court had admitted that the two Judge bench of the Supreme Court had committed blunder  and set aside that sentence. [M.S. Ahlawat v. State of Haryana, (2000) 1 SCC 278]

 The Constitution Bench of the Supreme Court in the case of Supreme Court Bar Assn. v. Union of India, (1998) 4 SCC 409, had set aside the order of three Judge Bench of the Supreme Court where liscence of a Lawyer was suspended. The Constitution Bench warned all the judges of the Supreme Court to not to pass such orders by bypassing any legal process beyond their jurisdiction.   

But Justice Ahsanuddin Amanullah had acted in contempt of said directions and misused his position and illegally threatened Ramdev Baba that he would close all the companies of Patanjali and impose a fine of Rs 1 crore on each medicine and would not allow any hearing of Baba Ramdev and the company in any court of the country

Constitution Bench of the Supreme Court in the case of Re: C. S. Karnan, (2017) 7 SCC 1, and in  Baradakanta Misra v. Bhimsen Dixit, (1973) 1 SCC 446 had ruled that the Judge acting in contempt of binding precedent can be punished for six months imprisonment as per sec 2(b),12 of the Contempt of Courts Act,1971.

Judges who have misused their position to commit unlawful acts and who pass orders contrary to law are liable for action under  sections 166, 219, 409, 120(B), 34 of IPC where punishment is 7 years and life imprisonment.

In the scientific research paper, it was proved that the corona vaccine does not provide any reliable protection in the corona epidemic, but this vaccine has fatal side effects. Covishield vaccine was banned in 21 European countries due to the side effects of death.

Link: –  https://www.aljazeera.com/news/2021/3/15/which-countries-have-halted-use-of-astrazenecas-covid-vaccine

The data received from research conducted worldwide proves that the countries with more vaccine are having more deaths.

Link:- https://expose-news.com/2022/09/30/5-months-to-killcovid-vaccination/

Title: – Five Months to Kill: The horrifying relationship between Deaths, COVID Deaths & Covid-19 Vaccination – The Expose (expose-news.com)

That data and research had shown that every dose of vaccine increases chances of death. Booster doses increases more chances of death.

Link:-https://expose-news.com/2022/09/30/5-months-to-killcovid-vaccination/

The warning given by WHO about deadly GBS disease being caused by Covishield (Astrazenca) vaccines.

 Title: Statement of the WHO Global Advisory Committee on Vaccine Safety (GACVS) COVID-19 subcommittee on reports of Guillain-Barré Syndrome (GBS) following adenovirus vector COVID-19 vaccines.

 “On 13 and 20 July 2021, the COVID-19 subcommittee of the WHO Global Advisory Committee on Vaccine Safety (GACVS) met virtually to discuss rare reports of Guillain-Barré Syndrome (GBS) following vaccination with the Janssen and AstraZeneca COVID-19 vaccines. Both vaccines use an adenovirus platform as their backbone.”

Link: https://www.who.int/news/item/26-07-2021-statement-ofthe-who-gacvs-covid-19-subcommittee-on-gbs

The research also found that countries with more vaccines have more deaths and the risk of vaccine is 98 times more harmful than Corona.

Links: – https://www.thegatewaypundit.com/2022/09/ethically-unjustifiable-new-harvard-johns-hopkins-study-found-covid-19-vaccines-98-times-worse-disease/

The research also found that the risk of cancer increased by 10,000 times in people who took the vaccine.

Link: – https://adversereactionreport.org/research/govt-database-shows-10000-increase-in-cancer-reports-due-to-covid-vaccines

In India too, there have been many deaths due to vaccine side effects and this has been acknowledged in the AEFI Committee of the Central Government. It is proved that the death of Dr. Snehal Lunawat was due to side effect of covishield vaccine and Bombay High Court had issued a notice of Rs. 1000 Crores compensation to Bill Gates and Adar Poonawalla.

But the same deadly vaccine was given to crores of people of India by hiding its deadly side effects. The IMA did not raise any voice against it. On the contrary when Baba Ramdev raised his voice against it, the IMA opposed Baba Ramdev and gave an affidavit in the Supreme Court in support of that deadly vaccine. This proves that IMA is not concerned about the life of the common man but they are working for the welfare of pharma mafia.

As per  Universal Declaration on Bioethics & Human Rights, 2005 &  according to the direction given by the Supreme Court in the case of Montgomery v. Lanarkshire Health Board (General Medical Council intervening), [2015] 2 WLR 768, it is the duty of every doctor to explain all the side effects of the vaccine or therapy in the language of understanding the patient and also tell the patient that if they don’t want to get treatment with that medicine /vaccine or therapy, then what other medical methods and medicines like Ayurveda, Naturopathy are available to that patient. The license of the doctors who violate these rules can be cancelled and such doctors are liable to pay compensation to the, the victim patient and his family. Under these laws, legal action has been sought against IMA.

सौजन्य https://rashidkhanpathan.com/

भारत  राष्ट्र निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर पुरे विश्व के लिए ज्ञान और मानव अधिकारों के प्रेरणा श्रोत

.टाउन हॉल टाइम्स , ये भी आप सभी को बड़े कमाल की बात मिलेगी कि पुरे विश्व में हर धर्म में भाई चारा , बंधुत्व  और समानता की बाते नज़र आएँगी या उनके उपदेशक बतायेंगे , लेकिन  ये उपदेशक ये नहीं बता पाते कि बावजूद इसके आपके धर्म में समाज में भेदभाव क्यों है , क्यों आप एक दुसरे  को गुलाम बनाने के लिए उतारू है , क्यों नहीं आप एक दुसरे को समान समझते क्यों नहीं आपके अंदर इंसानियत जागती ?

ऐसा ही भारत के ब्राह्मण धर्म में जिसे  कभी हिन्दू धर्म , तो कभी  सनातन धर्म  कह कर  एक धर्म के रूप में स्थापित करने की कवायद चल रही है  जो की पूरी तरह जातिय भेदभाव , उत्पीडन ,सूत हिंसा पर टिका है जिसमे एक व्यक्ति को दुसरे व्यक्ति के ऊपर अत्याचार करने को धर्म कहा जाता है उसे छोटा  और वंचित रहने को  धर्म कहा जाता है , इस ध्स्र्म की सबसे बड़ी बात ये कि इस धर्म की सभी किताबे यानी ब्राह्मण धर्म की सभी किताबे केवल ब्राह्मणों ने लिखी , और ब्राह्मणों ने पाने को ही ईशवर का प्रतिनिधि बताया और  अपने आपको ही श्रेष्ट  रखा यानी समाजिक स्तर पर ये खुद ही श्रेष्ट है और ये बाते इन्होने खुद ही लिखी है

हजारो साल की घृणित गुलामी से लड़ते हुए डॉ. भीम राव आंबेडकर  ने भारत के मूलनिवासियो के लिए  अंग्रेजो  से पृथक निर्वाचन हांसिल किया लेकिन यानी भारत के आजाद होने के बाद दलित अपने प्रतिनिधि अपने ही लोगो को चुन सकेंगे  और अपने दोहरे वोट के जरिये देश के प्रतिनिधि को चुन सकेंगे  जिसकी वजह से मूलनिवासियो के उत्पीडन की समस्या एकदम खत्म हो जाती लेकिन यहाँ पर गाँधी ने  एक राजनैतिक दाव मारा और अपनी नौटंकी से भूख हड़ताल पर बैठ गया और   पुरे देश में एक राजनैतिक माहौल बना कर  डॉ. आंबेडकर को पूना पैक्ट के लिए राजी कर लिया जिसमे पृथक निर्वाचन खत्म करके मूलनिवासी  लोगो के लिए आरक्षण पर सहमती बनाई गई

इसे भी पढ़े https://townhalltimes.com/chunaavi-survey-bjp-modi-ki-haar-nischit-hai/ मोदी काल तबाही काल 

 यानी अगर डॉ. बी आर आंबेडकर इस पैक्ट पर सहमत न होते तो आज न तो भारत के पास अपना सविंधान होता  और न ही हिन्दू राष्ट्र कहने के लिए वो जनसँख्या होती यानी लोग होते जिन्हें आज हिन्दू कहा जाता है क्योकि आज देश के एस सी एस टी  और ओ बी सी ही ब्राह्मणों के सांस्कृतिक गुलाम हिन्दू कहलाते है  और न ही ये राष्ट्र होता  इसलिए भारत पर न सिर्फ सविंधान बना कर डॉ. बी आर आंबेडकर ने उपकार किया  बल्कि इसको एक सशक्त राष्ट्र बनाने में भी  उनके योगदान को कोई नहीं भुला सकता

 हिन्दू कोड बिल के जरिये महिलाओं को सम्पत्ति में अधिकार , समान शिक्षा   ,  कामगारों के लिए काम के आठ घंटे ,  छुट्टी और मजदूरों के सभी अधिकार बाबा साहेब ने दिलवाए , देश का रिजर्व बैंक  डॉ. अम्बेडकर की सलाह और  देख रेख में बना , योजना आयोग , वित्त आयोग

साल 1945 में उन्होंने देश के लिए जलनीति और औद्योगिकरण की आर्थिक नीतियां जैसे नदी-नालों को जोडना, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजन… राष्ट्रीय जलमार्ग, केंद्रीय जल और विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किए. .

साल 1944 में प्रस्तावित केंद्रीय जल मार्ग और सिंचाई आयोग के प्रस्ताव को 4 अप्रैल 1945 को वाइसराय की ओर से अनुमोदित किया गया और बड़े बांधों वाली तकनीको… . को भारत में लागू करने हेतु प्रस्तावित किया.

लेकिन आज भाजपा –मोदी संघ डॉ. आंबेडकर के योगदान को न सिर्फ नकार रहे है बल्कि उनके द्वारा रचे गए सविंधान को बदलना चाहते है  उनके द्वारा बनाए गए संस्थाओं के नाम बदल रहे है  उनके विचारों की किताबे मोदी सरकार ने प्रकाशन बंद करवा दिया है  आंबेडकर  भवन में काल्पनिक सरस्वती की मूर्ति लगा दी है और उनको बदनाम करने के लिए हर यत्न करने में लगे है , उसका सिर्फ एक ही कारण है   भारत सदीओ से एक सांस्कृतिक सम्राज्यवाद  को झेल रहा है और इसके पीड़ित यहाँ के मूलनिवासी है

मोदी काल ,2014-2024  तबाही काल  ! मोदी –भाजपा की हार सुनिश्चित ,सर्वे ने लगा दी मोहर

नई दिल्ली : इस देश ने 2014 -2024 तक भाजपा शासन में सिर्फ तबाही देखी है , देश समाजिक , आर्थिक , राजनैतिक और मानसिक बदहाली और तंगी से जूझने लग गया   और इन सब समस्याओं का कारण सब जानते है अतार्थ मोदी सरकार की अमानवीय कार्य शैली और पूंजीपतियो के आगे नतमस्तक होना

मोदी ही इस देश के  अकेले प्रधानमन्त्री है जो पूंजीपतियो के इशारो पर नाचते है , अपने देश की कम्पनी बी एस एन एल की जगह जिओ का विज्ञापन कर  रहे थे और आज बी एस एन एल को ख़त्म होने एक कागार पर मोदी ने ही ला कर खड़ा किया है

देश में बेरोजगारी , महंगाई , गरीबी को अपने उच्तम स्तर पर लाने वाले मोदी ही है  देश को हर तरीके से बर्बाद करने के बाद भाजपा और मोदी

https://twitter.com/LoknitiCSDS/status/1778306614136647696/photo/1

 चार सौ न्यूज़ चैनल  और एक हजार से ज्यादा न्यूज़ पेपर  मोदी के लिए एकतरफा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे है , लेकिन  अचानक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण ने चौंकाने वाले नतीजे आने के संकेत दिए हैं। राम मंदिर, भ्रष्टाचार  धारा ३७० जैसे जिन मुद्दों की दिनरात चर्चा कर माहौल बनाने की कोशिश की गई है, वे मतदाताओं के लिए बड़े मुद्दे नहीं हैं।

सीएसडीएस-लोकनीति ने द हिंदू के साथ मिलकर जो सर्वे किया है उसमें मतदाताओं की सबसे बड़ी तीन चिंताएँ- रोज़गार, महंगाई और विकास उभरी हैं। सर्वेक्षण के अनुसार नौकरियों और महंगाई की चिंताओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया गया है।

https://twitter.com/LoknitiCSDS/status/1778306891845603363/photo/1

इस सर्वे ने यह साबित कर  दिया है कि क्या यह देश में भाजपा और मोदी के खिलाफ एक लहर चल रही है और मोदी के जुमलो पर झूट पर और अंट शंट बकवास को महत्व नहीं देते

 

चुनाव पूर्व इस सर्वेक्षण से पता चला है कि बेरोजगारी और महंगाई सर्वे किए गए लोगों में से क़रीब आधे मतदाताओं की प्रमुख चिंताएं हैं। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से लगभग दो तिहाई यानी क़रीब 62% ने कहा है कि नौकरियां पाना अधिक मुश्किल हो गया है। हालांकि यह सवाल सर्वे कम्पनी ने सीधा नहीं पंहुचा और इस सवाल में भी कही न कही मोदी को बचाने की कोशिश की गई है , क्योकि नौकरी मिलना मुश्किल मतलब बेरोजगारी बहुत बढ़ गई है   ऐसा मानने वाले शहरों में 65% हैं। गाँवों में 62% और कस्बों में 59% लोग ऐसा मानते हैं। 59% महिलाओं की तुलना में 65% पुरुषों ने ऐसी ही राय रखी है। केवल 12% ने कहा कि नौकरी पाना आसान हो गया है।

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सर्वे के अनुसार मुसलमानों में यह चिंता सबसे अधिक थी। 67% ने कहा कि नौकरी पाना मुश्किल हो गया है। यह संख्या अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के लोगो में 63% है और अनुसूचित जनजाति में 59% है। जब लोगों से यह सवाल पूछा गया कि क्या नौकरियाँ पाना आसान था?  हिंदू उच्च जातियों में से 57% ने महसूस किया कि नौकरियाँ पाना अधिक मुश्किल हो गया है।

महंगाई के मामले में भी मतदाताओं की चिंताएँ बेहद गंभीर हैं। उन्होंने बेरोज़गारी की तरह ही महंगाई को बड़ा मुद्दा माना है। संपर्क किए गए लोगों में से 71% ने कहा कि महंगाई बढ़ी है। गरीबों में यह संख्या बढ़कर 76%, मुसलमानों और अनुसूचित जातियों में 76% और 75% हो गई है।

सर्वे में 19 राज्यों में क़रीब 10 हज़ार लोगों की राय ली गई है।

 इस ताज़ा सर्वेक्षण के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था से जुड़ा संकट मतदाताओं के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

सार्थक रोजगार के अवसर सुरक्षित न कर पाने का डर, महंगाई की वास्तविकता, जीवन और आजीविका पर इसका प्रभाव और ग्रामीण संकट का तथ्य कुछ ऐसा है जो उत्तरदाताओं के दिमाग में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि आर्थिक रूप से कम संपन्न लोग इस संकट को अधिक तीव्रता से अनुभव कर रहे हैं। लेकिन सम्पन्न लोग भी इस खतरे से डरे हुए है

इसे भी पढ़े https://townhalltimes.com/pradhanmantri-narender-modi-ke-chunaav-ladne-par-chunaav-aayog-rok-lagaaye/ आचार सहिंता का उलंघन कर प्रधानमंत्री मोदी ,

मीडिया में भाजपा के प्रवक्ताओं का दावा है भारत में ऐसा कोई संकट नहीं जो पहले नहीं था यानी भाजपा की सरकार से पहले भी भारत इस  तरह के  संकटों से जूझ रहा था .  लेकिन कमाल की बात वो इस बात का जवाब नहीं दे पाते कि रिजर्व बैंक को भी मोदी ने कंगाल कर दिया है , वस्तुओ के दाम जिसमे आटा दाल ,गेहू , चावल , मिर्च तेल पेट्रोल जिन पर आम आदमी का जीवन चलता है वो सब चीजे दुगने से लेकर चार गुना तक बढ़ गई है , रूपये का दाम लगातार गिरता जा रहा है

प्रशांत भूषण जो एक वरिष्ट वकील है उनका कहना है कि मोदी  जिस तरह २०१९ में पुलवामा के शहीदों  के नाम पर  वोट मांग रहे थे इस बार भी कुछ न कुछ ऐसा करवा सकते है कि अयोध्या राम  मंदिर पर हमला हो जाए या कश्मीर में पाकिस्तान के अंदर भारतीय फौज घुस जाए फिर उसे दिखा कर राष्ट्रवाद के नाम पर वोट माँगा जा सके , क्योकि मोदी है तो कुछ भी मुमकिन है  मोदी का राजनैतिक चरित्र बहुत गिरा हुआ है अब भी वो राम के नाम पर धारा ३७० के नाम पर वोट मांग रहे है आम जनता की मूल समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार नहीं

PM, Misusing Air Force Aircraft  प्रधानमंत्री  नरेंदर मोदी के चुनाव लड़ने पर चुनाव आयोग लगाएगा रोक ! NDPI

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी द्वारा आचार सहिंता का उलंघन किया जा रहा है और ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के लोकसभा चुनाव 2024 के लड़ने पर रोक लगे ऐसी एक याचिका और सूचना न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया की तरफ से चुनाव आयोग को प्रेषित की गई

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के महा सचिव  डॉ. एडवोकेट श्री अरुण माजी ने एक खत लिख कर चुनाव आयोग से शिकायत की है की नरेंदर मोदी लगातार तानाशाही तरीके से आचार  सहिंता का उलंघन कर रहे है ऐसे में चुनाव आयोग को निष्पक्ष तरीके से काम करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए और उन्हें आगामी  लोकसभा चुनाव लड़ने से रोकना चाहिए क्योकि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है और चुनाव आयोग को राष्ट्र के समक्ष एक नजीर पेश करनी चाहिए ताकि बाकी पार्टी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल न हो

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया के सीनियर लीडर एडवोकेट श्री हर्ष गौतम ने  कहा कि चुनाव आयोग की

यह बता दे कि कि देश में आचार सहिंता  सोलह मार्च को लागू कर दी गई थी लेकिन बावजूद इसके लगातार प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी  सरकारी अमले का प्रयोग अपने राजनैतिक कारणों से कर  रहे है और अठारह मार्च  को एयर फ़ोर्स के एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल किया , और एक अप्रैल को मुंबई में रिजर्व बैंक के स्थापना दिवस कार्यक्रम में न सिर्फ बतौर प्रधानमंत्री शामिल हुए बल्कि इशारों ही इशारों में पुरे जोर से अपनी पार्टी के लिए प्रचार किया .

आचार संहिता की धारा VII के तहत दिशानिर्देशों के अनुसार, सत्ता में मौजूद पार्टी को चुनाव प्रचार उद्देश्यों के लिए आधिकारिक पद, मशीनरी, कर्मियों और संसाधनों का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन नरेंदर मोदी लगातार ऐसा कर रहे है

 

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हर्ष गौतम ने कहा कि सत्ता में रहने वाली पार्टी, चाहे वह केंद्र में हो या राज्य में या संबंधित राज्यों में, यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी शिकायत का कोई कारण न दिया जाए कि उसने अपने आधिकारिक पद का उपयोग अपने चुनाव अभियान के प्रयोजनों के लिए किया है क्योकि  चुनाव आयोग की  आचार सहिंता की  निम्न धाराएं इसी चुनावी वव्हार के बारे में बताती है

  1. (ए) मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार कार्य के साथ नहीं जोड़ेंगे और चुनाव प्रचार कार्य के दौरान आधिकारिक मशीनरी या कर्मियों का उपयोग भी नहीं करेंगे।

(बी) सरकारी विमान, वाहन, मशीनरी और कर्मियों सहित सरकारी परिवहन का उपयोग सत्ता में पार्टी के हित को आगे बढ़ाने के लिए नहीं किया जाएगा;

  1. चुनावी बैठकें आयोजित करने के लिए सार्वजनिक स्थान और चुनाव के संबंध में हवाई उड़ानों के लिए हेलीपैड के उपयोग पर स्वयं का एकाधिकार नहीं होगा।

  2. विश्राम गृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर सत्ताधारी पार्टी या उसके उम्मीदवारों का एकाधिकार नहीं होगा और ऐसे आवासों को अन्य पार्टियों और उम्मीदवारों को निष्पक्ष तरीके से उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन कोई भी पार्टी या उम्मीदवार इसका उपयोग नहीं करेगा और न ही करेगा। ऐसे आवास (उससे जुड़े परिसर सहित) को एक अभियान कार्यालय के रूप में या चुनाव प्रचार के प्रयोजनों के लिए कोई सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की अनुमति दी गई है;

इतिहासिक परिपेक्ष्य में देखते हुए हर्ष गौतन ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी का मामला, जहां चुनावी कदाचार के कारण उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था और उन्हें छ साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी गई थी

हमने चुनाव आयोग को लैटर लिख कर मांग की है कि चुनाव आयोग से इन आरोपों की गहन जांच करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखने के लिए उचित उपाय करे आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2024 के मौजूदा लोकसभा चुनाव में लड़ने से रोकने सहित उचित दंड पर विचार किया जाए।

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गौर तलब है कि देश में आचार सहिंता  सोलह मार्च को लागू कर दी गई थी लेकिन बावजूद इसके लगातार प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी  सरकारी अमले का प्रयोग अपने राजनैतिक कारणों से कर  रहे है और अठारह मार्च  को एयर फ़ोर्स के एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल किया , और एक अप्रैल को मुंबई में रिजर्व बैंक के स्थापना दिवस कार्यक्रम में न सिर्फ बतौर प्रधानमंत्री शामिल हुए बल्कि इशारों ही इशारों में पुरे जोर से अपनी पार्टी के लिए प्रचार किया .

ऐसे में चुनाव आयोग को खुद आगे आकर निष्पक्ष रूप से मामले की जांच करनी चाहिए और नरेंदर मोदी को चुनाव लड़ने से न सिर्फ रोका जाए बल्कि आगामी छ सालो तक चुनाव की प्रक्रिया से बाहर रखा जाए

BSES Delhi चला रहा है वसूली गैंग  निजामुद्दीन प्रकरण

. नई  दिल्ली  :टाउनहॉल टाइम्स   आपने  लोन के वसूली गैंग नाम सूना होगा जो लोग लोन की क़िस्त नहीं चुका पाते तो ये  वसूली गुंडे उन लोगो को फोन करके धमकी देते है   उनके घर पर जाकर धमकी देते है , अगर कोई गाडी की क़िस्त जमा नहीं करा पा रहा है तो  उस व्यक्ति की गाडी सडक से छीन कर ले आयंगे

दिल्ली के निजामुद्दीन  ज़ोन में आजकल   बी एस ई एस ने एक वसूली गैंग विभाग की शुरआत की है जिसका काम उन लोगो को धमकी भरे  कॉल करना  और धमकाने का है जो लोग समय पर  बिजली का बिल नहीं दे पाते या बिल देने में देरी हो जाती है इनका कहना है कि ये सिर्फ लोगो को याद दिलाते है जबकि मुख्य काम इनका धमकी देना  ही है ,यहाँ तक कि ये लोग लॉक डाउन तक में लोगो को धमकी भरे फोन कर रहे थे , टाउनहाल टाइम्स इस बात की जांच में तब जुटा जब खुद सम्पादक के पास में इस वसूली गैंग का फोन आ गया और ऐसे पैसे मांगने लगा जैसे बिजली का बिल भरने में देर नहीं हुई है बल्कि सम्पादक ने जो बिजली इस्तेमाल करके  और बिल देने में जो देर करने का गुनाह किया है उसका खामियाजा इस वसूली गैंग के जरिये चुकाना पड़ रहा है

सम्पादक ने जब जब इस वसूली गैंग से  कहा कि आप तीन दिन से रोज रोज फोन कर रहे हो इसका  बिल दे दिया जाएगा  तो इस वसूली गैंग ने पैसे की ऐसे मांग कि जैसे उसका कर्जा लिया हुआ है और उसका भुगतान समय पर नहीं किया गया  यानी पूरी बदतमीजी  जब इस गैंग से सम्पादक ने कहा आपने किसी सीनियर से बात करवा दो तो कह दिया जा कर कस्टमर केयर  से नम्बर ले लो वैसे इसका खुद का नंबर 9555045394   से बात कर रहा था और अपना नाम सुभाष बता रहा था

सम्पादक ने इस बात को बहुत अजीब समझा  और ये समझ कर कि जब एक  सम्पादक से ये वसूली गैंग इस तरह से बात करता है तो ये यकीनन आम लोगो से बहुत ज्यादा बदतमीजी करते होंगे  सो ऐसे कई लोगो से सम्पादक की बात हुई और उन्होंने अपने किस्से बताये किस तरह उनकी बिजली जबरदस्ती काट दी गई , किस तरह उन लोगो से  पांच सौ के बिल के बदले पचास हजार रूपये  बिल के भरवा लिए गए  इनके पुरे किस्से हम अपनी अगली  कड़ी में लगातार पेश करते रहेंगे

 किसी तरह  बी एस ई एस  निजामुद्दीन क्षेत्र के एक बड़े अधिकारी का  नम्बर मिला  जिनका नाम ललित मखिया 9350261165 बताया गया और उन्हें निजामुद्दीन का डिप्टी जनरल मेनेजर बताया गया .संपादक ने  कॉल करके इनको पुरे मामले की जानकारी दी लेकिन इनका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला

ये बात पुरे निजामुद्दीन क्षेत्र की नहीं है  बल्कि पुरे दिल्ली की है   इसी क्षेत्र में आम लोग बिजली दफ्तर के चक्कर लगाते रहते है  जरा जरा सी बात पर लोगो को हजारो चक्कर लगाने पड़ते है जबकि इसी क्षेत्र में हजारो गैर-कानूनी तरीके से ये लोग बिल्डर्स के मीटर लगाते  है उनके लिए सारे नियम ताक पर रख देते है क्योकि इनके पास एक बिल्डिंग में मीटर लगाने के लिए लाखो रूपये कि रिश्वत मिलती है  ये सब कहना है आम लोगो का जो लोग बिजली दफ्तर से परेशान है , इस क्षेत्र में हजारो बिल्डिंग ऐसी है

हलांकि अभी कुछ दिन पहले ही यहाँ के कुछ अधिकारी रिश्वत लेते हुए भी पकडे गए है लेकिन पकडे गए लोग छोटी मछली है

 लॉक डाउन के बाद से ऐसा लगता था की दुनिया दुबारा से शुरू हुई है  लेकिन हमारे देश के ये कॉर्पोरेट  गुंडे और उनके वसूली गैंग देश में पूरी तरह सक्रीय हो गए , जिस वक्त में लोगो के पास न तो नौकरी थी न ही काम था ,  न ही कोई  रोजगार  वैसे में ये वसूली गैंग  और कॉर्पोरेट  गुंडे जिन्हें हम बैंक , और वितीय संस्था के नाम से भी जानते है इन्होने  लोगो का जीना मुश्किल कर रखा था , देश में लगभग आज भी इन वसूली गैंग की वजह से लगभग ढाई सौ लोग आत्महत्या कर रहे है और ये सिलसिला आजतक बरकरार है क्योकि मीडिया  में और सरकार में सामाजिक सरोकार नाम की कोई चीज बची नहीं है इसलिए इस तरह के आंकड़े न तो आपको अखबारों में प्रकाशित मिलेंगे और न ही सरकार इस पर कोई ब्यान जारी करेगी  ,

इसे भी पढ़े https://townhalltimes.com/haar-ke-dar-se-bhaybheet-modi-chun-nahi-paa-rahe-hai-candidates/ हार का डर सता रहा है मोदी को 

जहा तक मीडिया की बात रही  तो जो मीडिया चलता ही इन कॉर्पोरेट गुंडों के दम से है तो वो समाज की इन सच्चाई को क्यों दिखायंगे  और  रही सरकार की बात तो उसे आम लोगो से कोई मतलब है ही नहीं पहले ये होता था कि सरकार में बैठे लोगो को पांच साल के अंत में लोगो से वोट लेना होता था इसलिए कुछ न कुछ आम लोगो के लिए काम करते थे लेकिन अब तो नेताओं को वोट ई वी एम् से लेना है इसलिए उन्हें आम लोगो से कोई मतलब नहीं इसलिए देश में हमारी सरकार भी एक तानाशाह की तरह काम कर रही है और देश की हर सम्पद्दा को इन कॉर्पोरेट गुंडों यानी पूंजीपतियो को बेचती जा रही है

वर्तमान सरकार जिस तेजी से पूंजीपतियो को सरकारी संस्थान बेचती जा रही है उससे ये ही लगता है अब वो  दिन दूर नहीं  जब बिजली  कंपनी पूरी तरह प्रीपेड सेवा देंगी यानी जिसको जितनी बिजली इस्तेमाल करनी है उसका पहले भुगतान  कर दो और फिर  बिजली का इस्तेमाल करो

हलांकि नियमानुसार भी किसी भी संस्था के लोग चाहे वो लोन देने वाले हो बैंक हो या कोई भी लोगो को फोन करके धमकी नहीं दे सकती लेकिन फिर भी ऐसा हो रहा है

CM केजरीवाल गिरफ्तार ,मोदी ने खुद को तानाशाह साबित कर दिया ,महज ओपचारिक घोषणा बाकी ! : NDPI

दिल्ली हाई कोर्ट में श्री अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी से बचने की याचिका पर कोर्ट ने उनकी इस याचिका को नामंजूर कर दिया और इसे बाद ही शाम को केजरीवाल के घर ई डी वांरट लेकर पहुच गई और  रात को नो  बजे तक अरविन्द केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है  आज हाई कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत ना मिलनेके बाद ईडी 7-8 अधिकारी सीएम केजरीवाल के आवास पर पहुंचे। इस दौरान

एक घंटे से उन से पूछताछ की। पूछताछ के बाद ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। हलांकि पूछताछ की और इसके बाद यह कहा  गया कि केजरीवाल ने सहयोग नहीं किया . गिरफ्तारी से पहले ही केजरीवाल के घर के आसपास पुलिस की बेरिकेडिंग कर दी गई और धारा १४४ लागू कर दी

इसी के साथ साथ दिल्ली के कई इलाको में पुलिस की गस्त भी चल रही है केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद काफी संख्या में आप समर्थक सीएम आवास के बाहर पहुंचे। इस दौरान सीएम आवास के

इसे भी पढ़े https://townhalltimes.com/haar-ke-dar-se-bhaybheet-modi-chun-nahi-paa-rahe-hai-candidates/ हार का डर समाया हुआ है भाजपा और मोदी में 

बाहर ‘आप’ नेताओं ने भारी संख्या में पहुंचकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। आवास बाहर दिल्ली के विधानसभा अध्यक्ष और आप नेता रामनिवास गोयल भी पहुंचे। उन्होंने बताया कि पार्टी ने ये तय किया है कि गिरफ्तारी के बाद भी दिल्ली के सीएम केजरीवाल सीएम पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि गिरफ्तार होनेके बाद भी दिल्ली के सीएम बने रहेंगे और सरकार जेल सेभी चलती रहेगी।

बता दें कि आज दिल्ली हाई कोर्ट सेदिल्ली के सीएम केजरीवाल को झटका लगा था। कोर्ट मेंअरविंद केजरीवाल की तरफ से यह गुजारिश की गई थी कि उनको ईडी की गिरफ्तारी से राहत दी जाए। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में केजरीवाल को राहत

देने से इनकार कर दिया है।  लेकिन साथ ही ई डी को बाईस अप्रैल को सबूत पेश करने के लिए कहा है इस मामले पर कोर्ट की गिरफ्तारी से राहत देने के बात से इनकार करनेके बावजूद आम आदमी

आम आदमी  पार्टी के नेताओं का कहना  है कि देश में  विपक्ष के खिलाफ एक तानाशाही का माहौल चला हुआ है जिसमे प्रधानमंत्री एक तानाशाह की तरह काम कर रहे है और  विपक्ष के नेताओं को एक एक करके जेल में डाल रहे है

उनका ये भी कहना है की नरेंदर मोदी सिर्फ  और सिर्फ केजरीवाल से डरते है , केजरीवाल जैसा नेता हजारो साल में एक बार पैदा होता है उन्होंने देश और दिल्ली के लिए जो काम किया है वो कोई नहीं कर सकता

आम आदमी पार्टी के नेताओ का ये भी कहना है की ई डी सिर्फ विपक्ष के खिलाफ डंडा लेकर क्यों पीछे पड़ी है , वो गुजरात में अम्बानी अडानी के जांच क्यों नहीं करती ,

कांग्रेस के सभी खाते आयकर ने सील कर दिए है वो भी एक तीस साल पुराने केस की वजह से जिसमे जुर्माना केवल दस हजार है लेकिन कांग्रेस पर दोउ सो दस करोड़ रूपये का जुर्माना किया गया है इसी तरह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन  को भी गिरफ्तार करके  जेल में डाल दिया गया है

सबसे कमाल की बात यह है कि  सारी की सारी सविन्धानिक संस्थाए सरकार के इशारे पर काम कर रही है न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया के महासचिव श्री अरुण माजी का कहना है कि मोदी ने लोकतंत्र और लोकतंत्रिक प्रक्रियाओं को एकदम ध्स्वस्त कर दिया है और महज अब ओपचारिकता बाकी है मोदी खुद को देश का तानाशाह घोषित  कर दे , ऐसा भी संभव  है कि मोदी देश में इस बार लोकसभा चुनाव होने ही न दे , क्योकि चाहे कुछ भी हो जाए जब तक ई वी एम् खत्म नहीं होगी तब तक मोदी साम्राज्य खत्म नहीं होगा और जबतक मोदी राज खत्म नहीं होगा देश में लोकतंत्र बहाल नहीं होगा अरुण माजी ने कहा .

केजरीवाल की गिरफ्तारी को एन डी पी आई के वरिष्ट नेता सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट   श्री हर्ष गौतम ने कहा  पुलिस , सी बी आई ,ई डी की प्रक्रिया के तहत ही बताया है लेकिन ख़ास व्यक्ति विशेष को टारगेट करना  दूसरी तरफ से नज़र फेर लेना ये सब राजनीती के ही प्रभाव हो सकते है  और ये भी हो सकता है कि आम आदमी पार्टी  और कांग्रेस में जिस तरह दिल्ली में गठबंधन हुआ है उससे यह बात तय हो गई कि भाजपा  को दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिलने वाली क्योकि अरविन्द केजरीवाल के और आम आदमी ने केवल कांग्रेस के वोट काटे है जिसका फायदा भाजपा को हुआ लेकिन अब ये दोनों एक हो गए है तो ऐसे में भाजपा बोखला गई है

सीनियर एडवोकेट श्री प्रशांत भूषण का एक विडियो भी वायरल हो रहा है जिसमे वो बता रहे है कि हो सकता है देश में एक दुसरा पुलवामा हो जाए या बालाकोट हो जाए  और  मोदी लोगो  को देशप्रेम में फंसा कर फिर वोट मांगे शहीदों के नाम पर